भाजपा संगठन व सत्ता में अगले सप्ताह से शुरू हो जाएगा बदलाव

भाजपा संगठन
  • मिशन-2023 के लिए की जा रही है कवायद

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। भाजपा ने रातापानी के मनोहारी जंगल में मिशन 2023 के लिए तैयार किए गए ब्लू प्रिंट पर अमल की तैयारी शुरू कर दी  है।  इस पर अगले हफ्ते के अंत में अमल होना शुरु हो जाएगा।  इस कवायद को शुरू करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उज्जैन दौरे के समाप्त होने का इंतजार किया जा रहा है। ब्लू प्रिंट पर अमल की शुरुआत निगम मंडलों में रिक्त पदों पर नेताओं की नियुक्ति से की जाएगी।  इसके बाद संगठन में बदलाव किया जाएगा और बाद में मंत्रिमंडल की बारी आएगी।
इन बदलाव के बहाने भाजपा आमजन को सुशासन के साथ ही कार्यकर्ताओं को यह  संदेश देने का प्रयास करने जा रही है कि जो काम करेगा वही रहेगा। संगठन में यह बदलाव प्रदश  से लेकर जिले स्तर तक किया जाना संभावित है। फिलहाल इस मंथन के बाद से भाजपा के कई नेताओं की धड़कने बढ़ी हुई हैं।  यह बात अलग है कि मंत्रिमंडल में होने वाले बदलाव में किसी भी मंत्री को हटाया नहीं जाएगा बल्कि, उसका विस्तार किया जाएगा।  इस विस्तार के बाद कुछ मंत्रियों को कद कम जरुर किया जाएगा, जिसमें अच्छा परफारमेंस नहीं कर पाने वाले मंत्रियों को कम महत्व के विभाग देकर उनका वजन जरुर कम किया जाएगा। रातापानी में महत्वपूर्ण व बड़े नेताओं की मौजूदगी में हुई इस बैठक में नेताओं ने साफ संकेत दिए है कि अगले दो महीने प्रदेश में सत्ता व संगठन के लिए कई बदलावों वाले रहने वाले हैं।
पार्टी सूत्रों के अनुसार संगठन से उन नेताओं की विदाई की जाएगी, जो अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए दावेदार हैं और जो सक्रियता में भी पीछे चल रहे हैं। उनके स्थान पर नए चेहरों को मौका दिया जाएगा। यह बात अलग है कि संगठन में मौजूदा कई पदाधिकारी ऐसे हैं ,जो संगठन के महत्वपूर्ण पदों पर तो हैं ही साथ ही विधायक और सांसद भी हैं।  इसी तरह से कई चेहरे ऐसे भी हैं जो बीता चुनाव हारने के बाद प्रदेश कार्यसमिति में भी जगह पा चुके हैंं। माना जा रहा है कि ऐसे चेहरों को लेकर भी जल्द ही फैसला लिया जा सकता है। इसकी वजह से पार्टी में एक व्यक्ति  एक पद के सिद्दांत को लेकर सवाल खड़े होते रहते हैं। दरअसल प्रदेश उपाध्यक्ष के पद पर राज्यसभा सदस्य सुमित्रा बाल्मिकी, सासंद संध्या राय , गजेंद्र पटेल के अलावा विधायक बहादुर सिंह सोंधिया काम कर रहे हैं ,तो प्रदेश मंत्री के भी दो पद पर विधायक काम कर रहे हैं। इनमें नंदनी मराबी और मनीषा सिंह का नाम शामिल हैं। इसके अलावा प्रदेश संगठन महामंत्री पद पर राज्य सभा सदस्य कविता पाटीदार और विधायक हरीशंकर खटीक कार्यरत हैं। माना जा रहा है कि इनमें से भी कई चेहरों को संगठन से मुक्त किया जा सकता है। बैठक में निगम-मंडलों में नियुक्ति पर सीधे कोई बात नहीं हुई, लेकिन सहमति बनी है कि पार्टी के अनुभवी और सक्रिय कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी दी जाएगी। इसके लिए निगम-मंडलों में नियुक्ति होगी। इसके पहले दो बैठकों में सरकार के खाली पदों पर भर्ती को लेकर चर्चा हो चुकी है। पीएम नरेंद्र मोदी के 11 अक्टूबर वाले उज्जैन दौरे के बाद नियुक्तियों की शुरूआत की जाएगी। निगम मंडलों में उन नेताओं को तवज्जो दी जाएगी, जिनकी मजबूत दावेदारी के बाद भी पार्टी द्वारा उन्हें विधानसभा व लोकसभा चुनाव के टिकट नहीं दिए जा सके। इसके अलावा उनके अनुभव व वरिष्ठता का भी  ध्यान रखा जाएगा।
चार विधायक बन सकते हैं मंत्री
प्रदेश में अभी मंत्री के चार पद खाली हैं। माना जा रहा है कि अब चुनाव में एक साल रहने की वजह से चारों पदों को भर दिया जाएगा। इसमें अलग-अलग उन चारों अंचलों से एक -एक विधायक को शामिल किया जा सकता है, जो अंचल अभी मंत्रिमंडल में उपेक्षित बने हुए हैं।  इसके लिए जो चार प्रमुख दावेदार बताए जा रहे हैं ,उनमें मालवा से सुलोचना रावत, मध्य भारत से रामपाल सिंह , विंध्य से राजेन्द्र शुक्ल और महाकौशल से संजय पाठक का नाम शामिल है। हालांकि इन अंचलों से कई अन्य विधायकों की भी दावेदारी बनी हुई है। माना जा रहा है कि जिन नामों पर सत्ता , संगठन और संघ की सहमति बन जाएगी उन्हें मंत्री पद दे दिया जाएगा।  
विधायकों को निगम मंडल देने का विश्नोई ने किया विरोध
वरिष्ठ विधायक एवं पूर्व मंत्री रहे अजय विश्नोई ने सोशल मीडिया पर लिखा कि भाजपा में अनेक योग्य कार्यकर्ता किसी कारण से विधायक नहीं बन पाते हैं। विधायकों को निगम-मंडल में पद देना, उनके साथ अन्याय होगा । विश्नोई की नाराजगी उनके क्षेत्र से एक विधायक को निगम-मंडल में लेने की तैयारी पर है। यह ट्वीट ऐसे समय आया है जब निगम मंडलों में नियुक्ति और मंत्रिमंडल विस्तार को संगठन ने हरी झंडी दी है। खास बात यह है कि इस ट्वीट को उनके द्वारा पार्टी के सभी प्रमुख नेताओं को टैग किया गया है।
लंबे समय से बना हुआ है इंतजार
सरकार बनने के बाद बीजेपी में राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर इतना इंतजार पहले कभी नहीं देखा गया। सरकार बनने के एक साल बाद बढ़ते दबाव के बाद 25 नेताओं को विभिन्न निगम मंडलों में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष बनाया गया था। इसके बाद एक दो नेताओं की और नियुक्ति की गई , लेकिन उसके बाद यह मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। अब एक बार फिर से कोर ग्रुप की बैठक के बाद इन पदों के दावेदारों में उत्साह देखा जा रहा है। अब निगम मंडल में नियुक्तियों के जल्द एलान होने की संभावना जताई जा रही है। हालांकि बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती सिंधिया के समर्थकों को एडजेस्ट करने की बनी हुई है। हालांकि बचे हुए राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर दोवदारों की सक्रियता बढ़ गई है। माना जा रहा है कि इनके लिए नाम तय करने के लिए जल्द ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान , प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा के बीच बैठक हो सकती है। संभावना जताई जा रही है कि इसी माह के अंत तक नियुक्तियां की जा सकती हैं। गौरतलब है कि प्रदेश में करीब एक दर्जन संस्थाओं में अटकी सियासी नियुक्तियों का इंतजार डेढ़ साल बाद भी पूरा नहीं हो पाया।  यह पहला मौका है जब ढाई साल से विधानसभा उपाध्यक्ष का पद खाली पड़ा है। निगम-मंडल, प्राधिकरण, शासकीय अभिभाषक, कॉलेज, रोगी कल्याण, जेल की जनभागीदारी और अंत्योदय समितियों के अलावा सरकार में खाली राजनीतिक पदों पर नियुक्तयों का बेसब्री से इंतजार हो रहा है। बताया जा रहा है कि निगम मंडलों में की जाने वाली निुयक्तियों में एक-दो श्रीमंत समर्थकों को भी मौका मिल सकता है। बीते एक साल पहले की गई नियुक्तियों में आठ श्रीमंत समर्थकों को मौका दिया गया था। यह वे श्रीमंत समर्थक थे , जो विधानसभा उपचुनाव में हार गए थे।

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