केंद्र लौटाएगा फसल बीमा की राशि

फसल बीमा

हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में हाल ही में हुई बारिश और ओलावृष्टि से किसानों की फसलों को नुकसान हुआ है। सरकार किसानों के नुकसान का आकंलन कर उसकी भरपाई करेगी। वहीं दूसरी तरफ मप्र सरकार को फसल बीमा से करीब 2200-2300 करोड़ रुपए मिलने वाले हैं। सरकार इस राशि को विकास कार्यों में उपयोग करने की तैयारी कर रही है। राज्य सरकार को बीमा कंपनी पैसा लौटाती है तो इसी आधार पर केंद्र सरकार भी राशि वापस मांग सकती है। हालांकि इसकी संभावना कम ही दिख रही है।
गौरतलब है कि मप्र में हर साल किसान बड़ी संख्या में फसल बीमा करवाते हैं। किसान, राज्य सरकार, केंद्र मिलकर बीमा कंपनी को फसल बीमा का प्रीमियम जमा करते हैं। नुकसान होने पर प्रीमियम की कुल राशि से 10 प्रतिशत राशि तक का क्लेम कंपनी देती है। इससे आगे जो भी नुकसान होता है, उसे सरकार भरती है। यदि नुकसान प्रीमियम की कुल राशि से 20 प्रतिशत तक कम हो तो कंपनी बचा पैसा सरकार को लौटाती है।
2200 करोड़ वापस मिलेंगे
जानकारी के अनुसार वित्तीय वर्ष 2021-22 में किसानों का नुकसान कम होने की वजह से बीमा कंपनी मप्र को 2200 करोड़ रुपए से अधिक राशि लौटाने जा रही है। फसल उत्पादन और उसकी कटाई का डाटा सरकार ने बीमा कंपनी को सौंप दिया। अब जल्द ही क्लेम राशि का निर्धारण होगा जो 2200 से 2300 करोड़ रुपए के बीच रहने वाला है। गौरतलब है कि वर्ष 2020-21 में रबी और खरीफ फसल का नुकसान ज्यादा हुआ था। ऐसे में राज्य सरकार की 600 करोड़ रुपए अतिरिक्त राशि खजाने से देनी पड़ी थी।
2016 में शुरू हुई थी योजना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2016 में फसल बीमा योजना की शुरुआत की थी। कोशिश थी कि योजना से किसानों को फसल की सुरक्षा प्रदान की जा सके। प्राकृतिक आपदाओं की वजह से फसलों को होने वाले नुकसान का खामियाजा किसानों को न भुगतना पड़े। फसल बीमा योजना में प्रीमियम राशि को भी किसान की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए काफी कम रखा गया है। खरीफ फसलों के लिए बीमा राशि का मात्र 2 प्रतिशत और रबी फसलों पर बीमा राशि का पर 1.5 प्रतिशत प्रीमियम राशि किसानों को देनी होती है।
6750 करोड़ जमा हआ था प्रीमियम
मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2020-21 में किसान, राज्य सरकार और केंद्र ने 7200 करोड़ रुपए प्रीमियम दिया था। इसमें 3100 करोड़ रुपए राज्य के थे। नुकसान ज्यादा हुआ तो 600 करोड़ अतिरिक्त भरना पड़ा। इसी तरह वर्ष 2021-22 में 6750 करोड़ प्रीमियम जमा हुआ। इसमें राज्य सरकार का 2900 करोड़ शामिल था। अनुमानत: क्लेम के निर्धारण के बाद सरकार को 2200-2300 करोड़ रुपए मिल सकते हैं। बीमा कंपनी से पैसा मिलने के बाद तैयारी है कि इस राशि को 2023-24 के बीमा प्रीमियम में इस्तेमाल किया जाए। हालांकि सहमति नहीं बनी है। वजह- चुनावी साल में सडक़ों व विकास के काम, लाड़ली बहना योजना आदि में सरकार को पैसे की जरूरत है।
मध्यप्रदेश सरकार पूरे देश में अव्वल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस महत्वाकांक्षी योजना का लाभ उठाकर कृषि को लाभ का धंधा बनाने के सपने को साकार करने में मध्य प्रदेश सबसे आगे है। मुख्यमंत्री प्रदेश के किसानों को योजना का भरपूर लाभ देना चाहते हैं। इसी वजह से पिछले 5 साल से राज्य में बीमा योजना से लाभान्वित किसानों की संख्या लगातार बढ़ रही है। आत्मनिर्भर भारत की तर्ज पर आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के रोडमैप पर काम कर रहे मुख्यमंत्री ने कृषि कल्याण योजनाओं को भी सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखा है। राज्य सरकार ने सुनिश्चित किया है कि न सिर्फ फसल बीमा योजना बल्कि किसानों को केंद्र व राज्य सरकार की हर योजना का भरपूर लाभ मिले।  साल 2016-17 में फसल बीमा योजना की शुरुआत हुई। पहले ही साल रबी व खरीफ की फसल मिलाकर कुल 9 लाख 61 हजार 659 किसानों को 1,814 करोड़ रुपये की फसल बीमा राशि वितरित की गई थी। 2019-20 में प्रदेश के 25 लाख 46 हजार 649 किसानों को 6,016 करोड़ रुपये की बीमा राशि वितरित की गई। 2020 की खरीफ और 2020-21 की रबी की फसलों के दावों की संख्या 49 लाख थी। पीएम फसल बीमा योजना में प्रदेश के 49 लाख दावों के लिए किसानों को 7600 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया।

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