पेट्रोल-डीजल की तरह बढ़े सीमेंट के दाम

 सीमेंट के दाम
  • सटोरियों और बिचौलियों के कब्जे में बिल्डिंग मटेरियल

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। सीमेंट कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल की तर्ज पर पिछले एक महीने में सीमेंट के दाम 60 रुपए तक बढ़ा दिए हैं। गत फरवरी माह तक सीमेंट के दाम स्थिर थे, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते कंपनियों ने शुरूआत में पांच-पांच रुपए कर बढ़ोतरी की। इसी बीच पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते ढुलाई की लागत अधिक होने के कारण सोमवार से कीमतों में 35 रुपए प्रति बोरी की वृद्धि कर दी है। अब  सीमेंट की कीमतों में 15 से 20 रुपए का और इजाफा करने की तैयारी की जा रही है ।
जानकारों का कहना है कि यह स्थिति इसलिए बनी है क्योंकि मुनाफाखोरी करने सटोरियों ने बिल्डिंग मटेरियल पर अपनी दिलचस्पी दिखा रहे हैं जिसके चलते लोहा-सीमेंट सहित अन्य बिल्डिंग मटेरियल में दाम में कृत्रिम आसमानी तेजी बन रही है और आगे भी बनेगी।
स्टील, लोहा के दाम में बेतहाशा मूल्यवृद्धि से परेशान घर बनाने और बनवाने वाले लोगों को सीमेंट ने जोरदार झटका दिया है। मात्र एक ही दिन में सीमेंट के दाम 10 फीसदी बढ़ गए हैं।
रविवार तक 345 रुपए के दाम पर मिलने वाली सीमेंट की बोरी सोमवार को 375- 380 रुपए पर के दाम मिल रही है, तो 365 रुपए वाली सीमेंट की बोरी 400 रुपए में विक्रय होने लगी है। मूल्यवृद्धि की वजह सटोरिए और बिचौलियों का सक्रिय होना है और कंपनियों द्वारा कॉर्टेल बनाना है।
महंगा होता जा रहा मकान बनाना
मकान बनाना महंगा होता जा रहा है। सीमेंट-सरिया, ईंट व रेत सहित अन्य मटेरियल के दाम बढने से निर्माण की लागत भी 40 फीसदी तक बढ़ गई है। स्थति यह है कि इस उछाल के बाद तो कुछ निर्माण होल्ड पर भी हैं। इसकी वजह है ठेकेदार को पुराने रेट में निर्माण करना संभव नहीं रहा। इधर निर्माण करवाने वाला बजट बढ़ाने व बढेÞ हुए दाम अदा करने की स्थिति में नहीं है। सरिया, सीमेंट व रेत के अलावा स्टील,पीवीसी व कॉपर आदि के भाव भी बढ़े हैं। व्यापारी बताते हैं कि 60 रुपए किलो बिकने वाला स्टील अब 100 रुपए के पार बोला जा रहा है। पीवीसी मटेरियल में 40 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। कॉपर के दाम भी बढ़े हैं। बाजार के जानकार और कारोबारियों के अनुसार दाम में बेतहाशा इजाफा होने से बिल्डिंग मटेरियल की बिक्री में 50 फीसदी की गिरावट आई है। जरूरतमंद लोग ही माल की खरीदी कर रहे हैं। लोहा कारोबारी और लोहा विक्रेता एवं निर्माता संघ के अध्यक्ष बलदेव खेमानी के अनुसार राजधानी भोपाल में 3 हजार टन रोजाना और महीने में 80 हजार से1 लाख मी. टन सीमेंट की खपत है, लेकिन मार्च-अप्रैल माह में महंगाई, त्यौहार, फसल कटाई आदि के चलते बिक्री 50 फीसदी गिरी है बिक्री के आंकड़ा 20 हजार से 25 हजार टन तक ही सीमित है।
निर्माण कार्यों पर पड़ा असर
कंस्ट्रक्शन साइटों पर सीमेंट की कीमतें बढऩे का प्रभाव पड़ा है। हालांकि अभी बिल्डरों के पास पुरानी कीमत की सीमेंट का स्टाक है, लेकिन अब आगे खरीद करने के लिए बिल्डर विचार कर रहे हैं। पिछले दिनों सरिए के दामों में उछाल के कारण कुछ दिन के लिए कंस्ट्रक्शन साइटों को बंद कर दिया गया था। अब सीमेंट की कीमतें बढऩे पर भी बिल्डर काम बंद करने की तैयारी कर रहे हैं। इस मामले में बिल्डरों का कहना है कि एक बार फ्लैट या डुपलेक्स की बुकिंग हो जाने के बाद वे कीमतें नहीं बढ़ा सकते हैं। ऐसे में निर्माण की बढ़ी हुई लागत उन्हें स्वयं वहन करनी होगी और इससे उन्हें नुकसान होगा।
कैसे पूरा होगा पीएम आवास
मकान निर्माण में लगने वाली सामग्रियों के बढ़ते दाम के बाद अब प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनने वालों मकानों पर ब्रेक लगता नजर आ रहा है। शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र में शासन द्वारा ऐसे लोगों को इस योजना का लाभ दिया जा रहा है जिनके पास खुद की जमीन है और वह उसमें भवन का निर्माण कराना चाहते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में अभी तक 1 लाख 20 हजार रुपए तथा शहरी क्षेत्र में ढाई लाख रुपए प्रति हितग्राही दिया जाता है। उक्त राशि से दो कमरा, लेट्रिन बाथरूम एवं टैंक का निर्माण करना आवश्यक है। शासन द्वारा यह राशि किश्तों में दी जाती है। अब जब दाम काफी ज्यादा बढ़ गए हैं तो ऐसे में प्रधानमंत्री आवास योजना के अधूरे भवन कैसे पूरे हो पाएंगे, इस संबंध में अधिकारी कुछ भी कहने से बच रहे हैं।
32 फीसदी तक लगता है सरिया
घर निर्माण के कुल लागत का तीस से 32 प्रतिशत सरिया लगता है। यूक्रेन संकट के बाद सरिया की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। 60 रुपये किलोग्राम बिकने वाला सरिया की कीमत बढ़कर 90 रुपये पहुंच गयी है। इसके अलावा गिट्टी की कीमत में भी बढ़ोतरी हुई है। सीआईआई के प्रदेश अध्यक्ष कहते हैं कि 62 सौ रुपये प्रति सौ सीएफटी बिकने वाली गिट्टी की कीमत बढ़कर साढ़े आठ हजार रुपये तक हो गई है। सौ सीएफटी बालू की कीमत में एक हजार रुपये बढ़ोतरी हुई है। बिहार फ्लाई एश ब्रिक्स एसोसिएशन के महासचिव विकास कुमार सिंह कहते हैं कि निर्माण सामग्री महंगी होने के कारण फ्लाई एश और सामान्य ईंट की कीमतों में एक रुपये प्रति ईंट तक की बढ़ोतरी हुई है।

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