हर दिन बढ़ जाता है प्रदेश पर 1 अरब 12 करोड़ का कर्ज

 करोड़ का कर्ज

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश सरकार अब पूरी तरह से कर्ज पर आधारित हो गई है, यही वजह है कि अब प्रदेश सरकार के खजाने पर हर 24 घंटे में 1 अरब 12 करोड़ का कर्ज बढ़ जाता है। यह बढ़ोत्तरी औसत रुप से सरकार द्वारा हर साल लिए जाने वाले कर्ज की वजह से होता है। अब इसमें कमी आने की कोई उम्मीद तो नहीं है बल्कि इसमें लगातार वृद्धि होना जरुर तय है। सरकार द्वारा यह कर्ज लिया तो विकास के कामों के नाम पर है , लेकिन खर्च दूसरी योजना में कर दिया जाता है। यह कर्ज सरकार द्वारा कभी बाजार से, कभी नाबार्ड-एनसीडीसी, एलआइसी या बैंक से तो कभी सरकार केंद्र से लिया जा रहा है। खास बात यह है कि सरकार कर्ज तो लेती जा रही है , लेकिन यह किसी को भी नहीं पता की इसका चुकारा कैसे और किस तरह से किया जाएगा। दरअसल सरकार विकास के नाम पर कर्ज लेकर उसके अपने राजनैतिक फायदे के लिए ऐसी योजनाओं पर खर्च कर देते ही जिसका फायदा समाज के एक तबके को ही मिलता है। यही नहीं सरकार फिजूलखर्ची और नेताओं , अफसरों की विलासिता पर खर्च होने वाली राशि पर रोक लगाने में कोई रुचि नहीं लेती है। इसका खामियाजा सरकार के खजाने को भुगतना पड़ता है। हाल ही में लोकसभा में दी गई जानकारी में बताया गया है कि मध्यप्रदेश सरकार द्वारा  वर्ष 2018 से 2022 तक के वित्तीय वर्षों में 1.91 लाख करोड़ रुपए का कर्ज लिया है। इसमें बताया गया है कि यह हाल केवल मप्र का नहीं है , बल्कि कई अन्य राज्यों ने भी इसी तरह से कर्ज लेने में कोई कंजूसी नहीं दिखाई है। खास बात यह है कि इसी समय में राजस्थान ने तो 2.11 लाख करोड़ रुपए का कर्ज ले डाला।
कम हो गई प्रति व्यक्ति आय
इस साल के आर्थिक सर्वे में वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने बताया था कि  कोरोना काल में प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय 1 लाख 3 हजार 288 रुपए से घटकर सालाना 98 हजार 418 रूपए रह गई है यानी प्रति व्यक्ति की औसत आमदनी 4 हजार 870 रूपए घटी है। 2020 की स्थिति में रजिस्टर्ड बेरोजगारों की संख्या 30 लाख के करीब हो गई है। 10 लाख से ज्यादा छोटे, मझोले उद्योग-धंधे बंद हो गए। यह आंकड़ा तो एक साल पुराना है, जबकि कोरोना काल ने कितने लाख  उद्योग-धंधों पर ताला डलवाया है, ये इस गिनती में शामिल नहीं है। राज्य की जीडीपी में 3.37 फीसदी और विकास दर में 3.9 फीसदी गिरावट की बात क्या करें, क्योंकि यह तकनीकी भाषा और गुणा-भाग आमआदमी नहीं समझता। सरकार की माली हालत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है, कि वह हर महीने वेतन, पेंशन, ब्याज चुकाने के लिए सरकार को कर्ज ले रही है।

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