दूसरे राज्यों के जाति प्रमाण पत्र… भारी पड़े प्रत्याशियों पर

 जाति प्रमाण पत्र
  • कई पूर्व पार्षदों के नामाकंन पत्र हुए निरस्त, दूसरे नामों की करनी पड़ रही घोषणा

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। सरकार का एक नियम दूसरे राज्यों की महिलाओं के चुनाव लड़ने में भारी पड़ गया है। इसकी वजह से भाजपा व कांग्रेस के अलावा कई दूसरे प्रत्याशियों के उम्मीदवारी ही प्रशासन ने रोक दी है। इसमें भी सबसे अधिक महिलाएं प्रभावित हुई हैं। यह वे महिलाएं हैं जिनका मायका दूसरे राज्यों में हैं, लेकिन शादी के बाद वे मप्र की निवासी हो गई। इसकी वजह से उनका जाति प्रमाण पत्र दूसरे राज्यों का बना हुआ है, जिसे जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा अमान्य कर दिया गया। इस वजह से भाजपा व कांग्रेस को नामाकंन जांच के बाद आनन -फानन में कई वार्डों के लिए नए प्रत्याशियों की घोषणा करनी पड़ गई है। इसकी वजह से उनके वार्डों के सियासी गणित ही बिगड़ गए हैं। खास बात यह है इनमें से कई महिलाएं तो नगर पालिका या फिर नगर परिषद की अध्यक्ष की भी दावेदार थीं।  चुनाव से जुड़े अफसरों का इस सबंध में कहना है कि आयोग की गाइडलाइन में स्पष्ट है कि मप्र के अलावा किसी अन्य राज्य का व्यक्ति आरक्षण का लाभ नहीं ले सकता है। इसके चलते जिलों में चुनाव लड़ रहीं महिलाओं के आवेदन निरस्त कर दिए गए हैं।
इन राज्यों के लगाए गए थे जाति प्रमाण पत्र
विदिशा जिले में नाम निर्देशन पत्रों की जांच में कुरवाई नगर परिषद में अनुसूचित जाति के लिए मुक्त वार्ड नौ की भाजपा प्रत्याशी अंशिता सप्रे का आवेदन निरस्त कर दिया गया। उन्होंने छत्तीसगढ़ का जाति प्रमाण पत्र लगाया था।
इस वार्ड से उनके पति अभिषेक सप्रे ने भी आवेदन जमा किया है। पत्नी की जगह अब वे चुनाव लड़ेंगे। इसी तरह विदिशा नपा में वार्ड 20 से प्रियंका अहिरवार का आवेदन भी उत्तर प्रदेश का जाति प्रमाण पत्र की वजह से खरिज कर दिया गया। इस वजह से जिले के छह नगरीय निकायों में कुल 12 आवेदन निरस्त किए गए हैं। इसी तरह से बैतूल जिले की मुलताई नगर पालिका में इस बार पटेल वार्ड से पार्षद पद के लिए कांग्रेस प्रत्याशी दर्शना जैन का भी आवेदन निरस्त कर दिया गया। उनका भी प्रशासन ने नामांकन पत्र महाराष्ट्र का जाति प्रमाण पत्र होने की वजह से निरस्त कर दिया। इसी तर से गुना नगर पालिका चुनाव में उत्तर प्रदेश और राजस्थान की रहने वाली बहुओं को पार्षद बनने का मौका नहीं मिला। नाम निर्देशन पत्रों की जांच में रिटर्निंग अधिकारी ने दो प्रत्याशियों के आवेदन निरस्त कर दिए। इनमें एक ने राजस्थान का और दूसरे ने उत्तर प्रदेश का जाति प्रमाण पत्र आवेदन के साथ लगाया था। इधर, कटनी में भी भाजपा प्रत्याशी शिल्पी सोनी का उप्र का जाति प्रमाण पत्र होने की वजह से नामांकन निरस्त कर दिया गया। अब उनकी भतीजी को प्रत्याशी बनाना पड़ा है। सागर जिले के 14 नगरीय निकायों में जांच के बाद 47 प्रत्याशियों के आवेदन निरस्त किए गए हैं। इनमें अधिकांश आवेदन दूसरे राज्यों का जाति प्रमाण पत्र लगाने के कारण निरस्त हुए है।
सागर के 48 वार्डों में 287 प्रत्याशियों ने नामांकन पत्र जमा किया था। इनमें सात प्रत्याशियों के नामांकन निरस्त हुए। वहीं बीना में 15, नपा मकरोनिया बुजुर्ग में दो, नप शाहपुर में दो, नप बिलहरा में तीन, नप सुरखी में तीन, नपा देवरी में सात, नप बंडा तीन, नप बरोदिया कला में एक आवेदन निरस्त किया गया है। भापोल में भी कांग्रेस के दो पार्षद पद के उम्मीदवारों के आवेदन निरस्त कर दिए गए। है। दरअसल इनके जाति प्रमाण पत्र को लेकर भाजपा ने आपत्ति दर्ज कराई गई थी। वार्ड 29 से पार्षद पद के लिए कांग्रेस उम्मीदवार संतोष कंसाना का मूल जाति प्रमाण पत्र फरीदाबाद हरियाणा का है और जो उन्होंने आवेदन में लगाया है वह माइग्रेशन वाला बना हुआ है। वहीं, वार्ड 28 से उम्मीदवार राहुल देवराज जाधव का जाति प्रमाण पत्र औरंगाबाद महाराष्ट्र का है।
बेटे को बनाया अब प्रत्याशी
भोपाल महिला कांग्रेस की जिलाध्यक्ष और वार्ड 29 से कांग्रेस पार्षद प्रत्याशी संतोष कंसाना का नामांकन जिला प्रशासन ने निरस्त किया तो कांग्रेस ने अब उनके बेटे को प्रत्याशी बना दिया है। कंसाना का ओबीसी वर्ग का जाति प्रमाण पत्र नियमानुसार नहीं था। इसकी वजह से पार्टी ने उनकी जगह उनके बेटे देवांशु कंसाना को टिकट दे दिया है। पूर्व पार्षद और कांग्रेस नेता संतोष कंसाना हरियाणा की रहने वाली है। उनका जाति प्रमाण पत्र उनके पिता के जाति प्रमाण पत्र के आधार पर मध्य प्रदेश में बना है। इसे लेकर कंसाना के जाति प्रमाण पत्र के मध्य प्रदेश में वैध नहीं होने की शिकायत की गई थी।

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