एक-एक सीट पर दोनों को दशकों से जीत का इंतजार

जीत का इंतजार
  • महाकौशल की चुनावी जंग

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश का महाकौशल अंचल भी अन्य अंचलों की ही तरह भाजपा का गढ़ बन चुका है, लेकिन इसमें एक सीट ऐसी है जो भाजपा के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है,  तो वहीं कांग्रेस के लिए स्थिति यह है कि इस अंचल के सबसे बड़े शहर वाली जबलपुर सीट पर उसे बीते ढाई दशक से जीत का इंतजार बना हुआ है। इस क्षेत्र के अगर मौजूदा राजनैतिक परिदृश्य पर नजर डालें तो दोनों ही दलों के बीच रोचक चुनावी लड़ाई का अंदाज लग रहा है। दरअसल चार में से तीन सीटों पर भाजपा और एक सीट से कांग्रेस का सांसद है। इसी तरह से अगर बीते साल के अंत में हुए विधानसभा चुनाव के परिणामों पर नज़र डालें तो क्षेत्र की 38 विधानसभा सीटों में से 21 पर भाजपा और 17 पर कांग्रेस को जीत मिली थी। महाकौशल क्षेत्र में चार लोकसभा सीटें हैं, सात विधानसभा सीटें दूसरे लोकसभा क्षेत्र में आती हैं। अंचल की लोकसभा सीटों के तहत आने वाली विधानसभा सीटों में 17 पर कांग्रेस और 14 पर भाजपा का कब्जा है। जबलपुर लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटें आती हैं, जिसमें से सात पर भाजपा और एक पर कांग्रेस का कब्जा है। इस सीट को भाजपा का गढ़ माना जाता है। साल 1996 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अंतिम बार इस सीट पर जीत हासिल की थी। इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस ने नए चेहरों को चुनाव मैदान में उतारा है। भाजपा से आशीष दुबे और कांग्रेस से दिनेश यादव उम्मीदवार बनाए गए हैं। सात अप्रैल को पीएम नरेंद्र मोदी जबलपुर दौरे पर आ रहे हैं, वे यहां पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में रोड शो करेंगे ।
यह है अन्य सीटों का गणित
आदिवासी बाहुल्य मंडला लोकसभा सीट में आठ विधानसभा आती हैं। यह लोकसभा सीट चार जिलों में फैली हुई है। डिंडोरी जिले के अंतर्गत आने वाली दो विधानसभा सीटों में से एक-एक पर भाजपा और कांग्रेस का कब्जा है। मंडला जिले के अंतर्गत आने वाली तीन विधानसभा सीटों में से दो कांग्रेस और एक भाजपा के पास है। सिवनी जिले की चार विधानसभा सीटों में से दो सीटें मंडला लोकसभा में आती हैं, जिन पर कांग्रेस का कब्जा है। नरसिंहपुर की गोटेगांव विधानसभा सीट भी इस लोकसभा क्षेत्र में आती है, जिस पर भाजपा का कब्जा है। भाजपा ने यहां एक बार फिर केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते पर दांव लगा है। कुलस्ते को पिछले विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस ने यह सीट 2009 में जीती थी।
 छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ का गढ़ मानी जाती है। लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस सिर्फ छिंदवाड़ा सीट ही जीत पाई थी। पिछले विधानसभा चुनाव में इस सीट के अंतर्गत आने वालीं सात सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। हालांकि, अमरवाड़ा विधानसभा सीट से जीत हासिल करने वाले कांग्रेस विधायक कमलेश शाह ने भाजपा का दामन थाम लिया है। छिंदवाड़ा सीट पर कांग्रेस ने वर्तमान सांसद नकुलनाथ को चुनाव में उतारा है, जो भाजपा के बंटी साहू को टक्कर देंगे।  
बालाघाट लोकसभा सीट में जिले की 6 और सिवनी की दो विधानसभा सीटें आती हैं। सिवनी जिले की दोनों विधानसभा सीट पर भाजपा का कब्जा है। बालाघाट जिले की 6 विधानसभा सीटों में से चार कांग्रेस और दो भाजपा के पास हैं। इस सीट पर कांग्रेस ने सम्राट सारस्वत और भाजपा ने भारती पारधी को चुनावी मैदान में उतारा है। एक दूसरे को टक्कर देने वाले दोनों ही नए उम्मीदवार हैं। महाकौशल क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले नरसिंहपुर जिले की चार विधानसभा सीटों में से तीन सीटें होशंगाबाद लोकसभा सीट का हिस्सा है। कटनी जिले की तीन विधानसभा खजुराहो और शहडोल लोकसभा सीट का हिस्सा है। इस सातों सीटों पर भाजपा का कब्जा है।

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