किसानों के ब्याज का भार… उठाएगी भाजपा सरकार

  • कांग्रेस की ऋण माफी योजना किसानों के लिए बनी गंभीर समस्या
  • गौरव चौहान
भाजपा सरकार

कांग्रेस सरकार के समय शुरु की गई किसान कर्जमाफी योजना किसानों के लिए मुश्किल खड़ी कर रही है, क्योंकि कर्जमाफी में अपनी बारी का इंतजार कर रहे किसान लगातार कर्ज डिफॉल्ट कर रहे हैं। अभी ऐसे किसानों की संख्या बढक़र 12 लाख तक पहुंच गई है। संकट में फंसे किसानों की सहायता के लिए शिवराज सरकार ने बड़ा कदम उठाया है और इन किसानों के ब्याज का भार अब सरकार खुद उठाएगी। गौरतलब है कि बैंकों और सहकारी समितियों से कर्ज लेने वाले किसानों को कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में दो लाख तक का कर्ज माफ करने की घोषणा की थी। साल 2018 में कमलनाथ की सरकार बनी तो 50 हजार तक के कर्ज माफ भी हुए। लेकिन 50 हजार से दो लाख तक का ऋण लेने वाले किसान कर्ज माफी के चक्कर में डिफॉल्टर हो गए।
इन किसानों पर कर्ज की राशि के अलावा भारी भरकम ब्याज भी चढ़ गया। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस की ऋण माफी योजना किसानों के लिए गंभीर समस्या बन गई है। ऋण माफ होने की उम्मीद में प्रदेशभर के करीब 12 लाख किसान डिफॉल्टर हो गए हैं। इसमें कांग्रेस ने अपने समय में दो लाख से अधिक कर्ज लेने वाले 4.42 लाख किसानों का ऋण माफ नहीं किया था। अब सभी किसानों के ब्याज का भार भाजपा सरकार उठाएगी। विभाग ने रोडमैप तैयार कर लिया है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में प्रति वर्ष 29 लाख किसानों को 28 हजार करोड़ से अधिक का फसल ऋण वितरित किया जाता है। बताया जाता है कि इस वर्ष 28 लाख किसानों ने फसल ऋण लिया है, जिसके लिए सरकार ने 30 अप्रैल तक ड्यू डेट बढ़ा दी है। पहले इसकी आखिरी तारीख 28 मार्च थी। हालांकि सरकार की ब्याज माफी योजना की घोषणा के बाद किसानों ने ऋण अदा करना एकदम से बंद कर दिया है।
ब्याज माफी करेगी शिवराज  
डिफॉल्टर हुए किसान खाद और बीज के लिए परेशान हो रहे हैं। अब कांग्रेस फिर कर्जमाफी करने की बात कह रही है वहीं भाजपा कमलनाथ की कर्जमाफी स्कीम के चक्कर में डिफॉल्टर हुए किसानों का ब्याज माफ करने की बात कह रही है। सीएम शिवराज ने फिर कमलनाथ की कर्जमाफी योजना पर हमला बोलते हुए ब्याज माफ करने की बात कही। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा- कमलनाथ जी ने कर्जमाफी का झूठा वादा किया था। कमलनाथ ने कर्जा माफ नहीं किया और कर्जामाफी के चक्कर में कई किसानों ने पैसे नहीं भरे और डिफाल्टर हो गए और ब्याज बहुत ज्यादा हो गया। अब हमने ये तय किया है कि कर्जामाफी की झूठी घोषणा के कारण किसान के सिर पर जो ब्याज चढ़ गया है वो भाजपा की सरकार और मामा भरवाएगा। जय किसान ऋण माफी योजना का लाभ नहीं मिल पाने से कई किसान डिफॉल्टर हो गए हैं। अब चुनाव करीब आते देख प्रदेश की भाजपा सरकार कमलनाथ सरकार की इस कमजोरी पर चुनावी दांव खेलने की तैयारी में है। कांग्रेस के कर्ज माफी की योजना के कारण डिफॉल्टर हुए किसानों के साथ फसल ऋण जमा नहीं कर पाए सभी तरह के डिफॉल्टर किसानों को बढ़ते ब्याज के बोझ से से मुक्त कर डिफॉल्टर की श्रेणी से बाहर निकालने के लिए ब्याज भरेगी।
ब्याज माफी के लिए बजट में किया गया है प्रावधान
शिवराज सरकार ने इस साल के बजट में 11 लाख डिफॉल्टर किसानों की ब्याज माफी के लिए करीब 27 सौ करोड़ का प्रावधान किया है। सहकारिता विभाग, अपेक्स बैंक और वित्त विभाग मिलकर ब्याजमाफी का फॉर्मूला तय कर रहे है। कुल 11 लाख किसान इसके दायरे में आ रहे है। तय यह करना बाकी है दो लाख रुपए तक के मूलधन वाले किसानों को इसमें शामिल करना है या दो लाख रुपए तक मूलधन और ब्याज को मिलाकर इस दायरे में रखना है। या फिर जीरो प्रतिशत ब्याज दर की अधिकतम सीमा तीन लाख रुपए तक का कर्ज लेने वाले किसानों का ब्याज माफ किया जाएगा। ब्याजमाफी के फार्मूले पर मुहर लगते ही इसे कैबिनेट में रखा जाएगा और कैबिनेट की मंजूरी मिलते ही लागू किया जाएगा। अगले महीने सरकार यह योजना लागू कर देगी।
10 से 12 हजार करोड़ का कर्ज
प्रदेश के 12 लाख से अधिक किसानों पर 10 से 12 हजार करोड़ का कर्ज है। सरकार इनका ब्याज माफ करती है तो खजाने पर करीब 3 हजार करोड़ रुपए का वित्तीय भार आएगा। ये आंकड़े जिला सहकारी बैंकों और समितियों के कर्जदार किसानों के हैं। सहकारिता विभाग ने ब्याज माफी योजना का पूरा खाका तैयार कर लिया है। योजना की शुरुआत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जल्द ही कर सकते हैं। बताया जाता है कि चुनावी वर्ष होने के कारण किसान फसल ऋण फिर समितियों में जमा नहीं कर रहे हैं। क्योंकि प्रदेश सरकार ब्याज माफी की घोषणा कर चुकी है और कांग्रेस ने कर्जमाफी योजना को इस चुनावी एजेंडे में शामिल किया है। सरकार किसी की भी बने किसानों को राहत ही मिलना तय है। कर्ज माफी योजना से समितियों और जिला सहकारी बैंकों की रीढ़ टूटती जा रही है। क्योंकि बैंक और समितियों पर इस कर्ज माफी योजना का 2200 करोड़ रुपए सहकारी समितियों को देना है, जबकि 800 करोड़ रुपए जिला बैंकों में जमा करना है। यह राशि कांग्रेस के समय ही समिति और बैंकों में पहुंच जाना चाहिए था। इससे समितियां पर्याप्त मात्रा में किसानों को खाद-बीज नहीं उपलब्ध करा पाती है। गौरतलब है कि सरकार ने फसल ऋण के लिए बजट प्रावधान किया था, लेकिन कांग्रेस सरकार गिर गई, इससे उन्हें राशि आवंटित नहीं हो पाई । समितियों को पैसे नहीं मिलने से उनका कारोबार प्रभावित हो रहा है।

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