
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में वैसे से हर रोज कहीं न कहीं किसी न किसी की हादसों में घायल होने के बाद समय पर इलाज नहीं मिलने से मौत हो जाती है, लेकिन कुछ मामले ऐसे भी होते हैं कि नेक दिल इंसान जान बचाने के लिए फरिश्ते बन कर आ जाते हैं। ऐसे लोग घायल को समय पर अस्पताल भेज देते हैं, जिससे सही वक्त पर इलाज मिलने से घायल व्यक्ति बच जाता है। लेकिन अब तक इस मामले में जो जानकारी सामने आयी है ,उसमें छोटे शहरों के लोगों में नेकदिली पायी गई है , जबकि बड़े शहरों में इसका पूरी तरह से अभाव दिख रहा है। यह सच सामने आया है परिवहन विभाग के गुड सेमेरिटन यानि की नेकदिल वालों के चयन में। हद तो यह है कि बीते सवा साल में इस तरह के लोग बहुत कम मिले हैं। अगर सरकारी जानकारी के आधार पर बात करें तो पूरे प्रदेश से महज 17 लोगों ने ही इस मामले में दावा किया है, जिनकी जांच के बाद महज एक दर्जन लोंगों को ही इसके लिए पात्र माना गया है। अब उन्हें गुड सेमेरिटन (नेक व्यक्ति) माना गया है । इनको 5-5 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। दरअसल यह वे लोग होते हैं जो एक्सीडेंट के बाद गंभीर रूप से घायल व्यक्ति को गोल्डन ऑवर में अस्पताल पहुंचाकर जान बचाने का काम करते हैं।
ऐसे होता है चयन
योजना में शामिल होने के लिए लोगों को पुलिस के सामने दावा करना पड़ता है। यहां से गुड सेमेरिटन व जिला अप्रेजल कमेटी को मामला भेजा जाता है। कलेक्टर की अध्यक्षता वाली कमेटी में एससी, सीएमएचओ और जिला परिवहन अधिकारी सदस्य होते हैं। इंदौर में ट्रैफिक पुलिस के पास 4-5 दावे आए थे, पर अफसरों ने आगे नहीं बढ़ाया। परिवहन आयुक्त संजय झा के मुताबिक मंत्रालय से पांच लाख रुपए मिले हैं। 12 लोगों का चयन हुआ है।
बीते साल शुरू की गई है यह योजना
सड़क हादसे में होने वाली मौतों का बड़ा कारण इलाज में देरी को पाया गया है। सामान्यतया लोग पुलिस व झंझट से बचने के लिए घायल को अस्पताल तक ले जाने में झिझकते हैं। नहीं ले जाते। तुरंत इलाज मिलने से जान बच सकती हैं। ऐसे में परिवहन मंत्रालय ने गुड सेमेरिटन (नेक व्यक्ति) योजना लागू की। यह सूबे में 15 अक्टूबर 2021 को लागू हुई, पर किसी को इनाम नहीं मिला। अब 12 लोग चुने गए। परिवहन विभाग के पास प्रदेश भर से 17 मामले पहुंचे थे।