आईएएस की मदद की जगह अपराधियों का साथ दे रही भोपाल पुलिस

आईएएस अधिकारी

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। अभी तक आम लोग ही पुलिस और प्रशासन पर नियम विरुद्ध काम करने एवं अपराधियों को संरक्षण देने के आरोप लगाते थे, लेकिन आईएएस अधिकारी ने भोपाल पुलिस पर विधि विरुद्ध काम करने और अपराधियों का साथ देने का गंभीर आरोप लगाया है। आईएएस वीरेन्द्र कुमार सिंह ने पुलिस आयुक्त भोपाल से इसकी शिकायत भी की है। शिकायत में कोलार थाने एवं अन्य पुलिस अधिकारियों पर आरोप लगाए हैं।
वीरेन्द्र कुमार सिंह 2011 बैच के अधिकारी हैं और मंत्रालय में श्रम विभाग के उपसचिव हैं। उन्होंने पुलिस आयुक्त भोपाल को एक प्रतिवेदन दिया था, जिसमें उन्होंने कोलार थाना प्रभारी जय सिंह पर गंभीर आरोप लगाए हैं। साथ ही उपायुक्त विजय खत्री पर भी सुनवाई नहीं करने के आरोप लगाए हैं। दरअसल, आईएएस वीरेन्द्र कुमार ने शिकायत में बताया कि उन्होंने बैंक ऑफ बड़ौदा से ग्राम बंजारी कोलार जिला भोपाल से सर्वे क्रमांक 403/02 रकबा 1.0 हेक्टेयर पर बना मकान खरीदा था। बैंक ने सेल सर्टिफिकेट भी जारी किया और संपत्ति का पंजीयन कराकर प्रतीकात्मक कब्जा भी दे दिया था। इसके बाद जब बैंक प्रबंधक प्रेमसिंह संपत्ति का वास्तविक कब्जा दिलाने पहुंचे तो उसी दिन संपत्ति के पूर्व स्वामी जीके भटनागर, और अन्य ने बैंक के द्वारा भवन लगाए गए ताले तोडक़र कब्जा जमा लिया। बैंक के कार्य में बाधा पहुंचाई। इसका पंचानाम कोलार तहसीलदार मनीष शर्मा ने तैयार कराया और कोलार थाने में प्रकरण दर्ज कराया। थाना प्रभारी ने अपराधियों को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए उनके साथ सांठगांठ कर शासकीय कार्य में बाधा डालने की प्रमुख धारा 353, समेत अन्य धाराओं को छोड़ दिया गया था। साथ ही थाना प्रभारी ने साथी को झूठे केस में फंसाने की धमकी दी। शिकायत में आरोपियों पर धमकाने एवं गार्ड से मारपीट के मामले में थाना प्रभारी द्वारा अपराधियों के खिलाफ भी कार्रवाई नहीं करने के आरोप हैं।
डायल 100 से भी नहीं मिली मदद
आईएएस वीरेन्द्र सिंह ने शिकायत में यह भी कहा है कि उपायुक्त विजय खत्री से दूरभाष पर संपर्क किया गया तो उनके द्वारा फोन तक नहीं उठाया गया। इस मामले में डायल 100 पर फोन लगाने पर भी मदद नहीं मिली।  जिससे अपराधी अपने मंसूबों में सफल हुए और फिर अपराध किया। दूसरे अपराध में भी प्रकरण दर्ज नहीं किया गया। जिससे अपराधी के साथ उसके संबंध स्वतः: सिद्ध होते हैं।

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