
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में जारी मनमानी के चलते अब तीन दर्जन से अधिक अफसरों को अपने से जूनियर अफसर के मातहत काम करना होगा। इसका कारनामा कर दिखाया है विभाग के प्रभारी प्रमुख अभियंता, के के सोनगरिया, ने। उनके द्वारा 37 वरिष्ठ अफसरों को दरकिनार कर वरिष्ठता में 38 वें नंबर के अफसर को अधीक्षण यंत्री का प्रभार दे दिया गया है। इससे खुलासा होता है कि पीएचई विभाग में किस तरह से प्रभार का खेल नियम और कायदों को दरकिनार कर खेला जा रहा है। विभाग के प्रभारी प्रमुख अभियंता केके सोनगरिया पर आरोप है कि उनके द्वारा कार्यपालन यंत्री अलोक अग्रवाल पर ही इस तरह की मेहरबानी नहीं दिखाई गई है , बल्कि ग्वालियर, सागर जिले में भी इसी तरह से प्रभार दिया गया है।
अफसरों के पास दो – दो जिलों का प्रभार: प्रदेश में पीएचई में 52 में से 37 जिलों में प्रभारी कार्यपालन यंत्री कार्यरत हैं। रीवा कार्यपालन यंत्री आरके सिंह अधीक्षण यंत्री रीवा मंडल के प्रभारी हैं। अरुण श्रीवास्तव ईई बालाघाट अधीक्षण यंत्री छिंदवाड़ा के भी प्रभारी हैं। महेंद्र सिंह ईई पन्ना के पास अधीक्षण यंत्री मंडल का भी प्रभार है। सवाल ये है कि क्या योग्य अफसरों का टोटा है, जो अधिकारी दोहरी भूमिका निभा रहे हैं। इस मामले में केके सोनगरिया का कहना है कि 37 लोगों की वरिष्ठता प्रदेशभर में है, इसलिए मुख्यालय में जो योग्य अधिकारी है उसे जिम्मेदारी दी गई। जानकारी जुटाने पर पता चला कि प्रमुख अभियंता कार्यालय में ही वरिष्ठ ईई दिलीप जैन, संतराम कुलस्से, नन्हेलाल टांडेकर, संजय दुबे पदस्थ हैं। जो आलोक अग्रवाल से कई साल वरिष्ठ हैं।