
भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। दूसरे प्रदेशों की तरह ही मप्र में भी कोरोना की दूसरी लहर में आॅक्सीजन की कमी पैदा होने से बड़ी समस्या खड़ी हो गई थी। भविष्य में इस तरह की स्थिति न बने इसके लिए अब प्रदेश में ऑक्सीजन भंडारण की क्षमता में तीन सौ मीट्रिक टन की वृद्धि करने की कवायद जारी है।
इस भंडारण क्षमता की वृद्धि होने से प्रदेश में कुल क्षमता 1041 मीट्रिक टन की हो जाएगी। इसके साथ ही प्रदेश में ऑक्सीजन उत्पादन में भी तेजी से वृद्धि के प्रयास लगातार जारी हैं। दरअसल प्रदेश सरकार चाहती है कि प्रदेश में जरुरत के समय स्थानीय स्तर पर ही आवश्यकतानुसार ऑक्सीजन की उपलब्धता रहे। इसकी वजह से अब प्रदेश में 167 पीएसए प्लांट लगाने का काम जोर शोर से जारी हैं।
इन प्लांटों की स्थापना केन्द्र सरकार की मदद से की जा रही है। यह सभी प्लांट शुरू होने से प्रदेश में हर मिनट 1 लाख लीटर से ज्यादा ऑक्सीजन का उत्पादन होगा। दरअसल प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर के समय प्रदेश में हर दिन 615 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरुरत पड़ रही थी।
इसकी वजह से ऑक्सीजन का संकट खड़ा हो गया था, जिसकी वजह से उसकी पूर्ति देश के दूर दराज के प्लांटों से मंगाकर करनी पड़ रही थी। इसमें सरकार को बहुत अधिक राशि तो खर्च करनी ही पड़ रही थी और पूरे अमले को उसकी पूर्ति के लिए लगाना पड़ा था। यही वजह है कि अब सरकार ने तीसरी लहर की संभावना के समय की आवश्यकता का आंकलन कर इस तरह के कदम उठाना तय किया है।
इन प्लांटों के शुरू होने की वजह से इस मामले में प्रदेश पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो जाएगा। इसके साथ ही प्लांट ऐसी जगह लगाए जा रहे हैं जिससे कि उसकी सप्लाई के लिए परिवहन की बेहद कम जरुरत पड़े। इन प्लांटों के लिए स्थान चयन में जिला अस्पतालों को प्राथमिकता दी गई है। यही वजह है कि इनमें से 167 प्लांट सरकारी अस्पतालों में स्थापित किए जा रहे हैं। इन प्लांटों से हर रोज लगभग 1,07490 लीटर प्रति मिनट (215 मीट्रिक टन) ऑक्सीजन तैयार होकर मरीजों को बिस्तरों पर ही मिल सकेगी। खास बात यह है कि इनमें से 28 पीएसए प्लांट तो ऑक्सीजन के उत्पादन का काम भी शुरू कर चुके हैं। इसी तरह से सरकार द्वारा एयर सिपरेशन यूनिट से प्रतिदिन 160 मीट्रिक टन ऑक्सीजन तैयार करने की योजनाओं पर भी काम किया जा रहा है।
पीएम केयर्स फंड से मिली राशि
दरअसल ऑक्सीजन के मामले में प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पीएम केयर्स फंड से प्रदेश सरकार को इसके लिए प्लांट लगाने के लिए राशि दी गई है। इसी राशि से प्रदेश के अस्पतालों में अलग-अलग संस्थाओं और विभागों द्वारा ऑक्सीजन प्लांट लगाए जा रहे हैं।