विधानसभा चुनाव के बाद उमा को बनाया जा सकता है उप्र का लॉट साब!

विधानसभा चुनाव

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। सूबे की पूर्व मुखिया रहीं उमा भारती को उत्तर प्रदेश में चल रहे विधानसभा चुनाव के बाद राज्य का नया लाट साब बनाया जा सकता है। केन्द्र की मोदी सरकार उन्हें राजभवन भेज कर एक साथ कई फायदे देख रही है। इस कयास के पीछे की वजह है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हाल ही में देश के बहादुर बच्चों के साथ संवाद में की गई उमा भारती की सार्वजनिक रूप से प्रंशसा। इस दौरान मोदी ने सीधे संवाद में मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती की प्रतिभा की तारीफ की और बचपन का किस्सा भी सुनाया। पहली नजर में यह सब भले ही सामान्य नजर आता है, लेकिन इसके सियासी मायने तलाशे जाने लगे हैं। यह प्रशंसा ऐसे समय की गई है जब उप्र में विधानसभा चुनाव का दौर चल रहा है।
उप्र अन्य दलों के साथ ही भाजपा के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण प्रदेश है। प्रदेश में भाजपा के लिए लगातार दूसरी बार सत्ता पाने की चुनौती बनी हुई तो वहीं उस सपा से कड़ा मुकाबला करना पड़ रहा है। उप्र में पिछड़ वर्ग का अपना बेहद बड़ा प्रभाव है। इस प्रदेश में भाजपा को सपा के गठबंधन वाले पिछड़े वर्ग के दलों की वजह से मुश्किल बनी हुई है। इन छोटे दलों का अपने इलाकों में अलग प्रभाव है। यही वजह है कि अब पार्टी में आगामी लोकसभा के आम चुनाव के पहले उमा भारती को महामहिम बनाए जाने पर मंथन किया जाने लगा है। दरअसल वे देश में एक बड़ा ओबीसी चेहरा तो हैं हीं साथ ही उनकी छवि भी एक धार्मिक बिदुषी की है। उन्हें हिन्दुत्व का बड़ा चेहरा भी माना जाता है। उन्हें राज्यपाल बनाकर भाजपा उप्र में अपनी राह आसान करने की  रणनीति पर काम करना चाहती है। खास बात यह है कि अब भाजपा के पास ऐसा कोई बड़ा चेहरा उप्र में नहीं है, जो उप्र में लोध मतदाताओं पर प्रभाव रखता हो।
कल्याण सिंह के बाद उमा भारती ही ऐसा चेहरा भाजपा के पास है, जिसकी पकड़ पूरे देश में लोधी मतदाताओं पर बेहद मजबूत मानी जाती है। इसका फायदा पार्टी को उप्र में लोकसभा चुनाव में मिल सकता है। दरअसल इन दिनों उमा भारती शिव सरकार के लिए शराबबंदी की मांग को लेकर मुश्किल खड़ी करती नजर आ रहीं हैं। उनके महामहिम बनने से जहां शिव सरकार को राहत रहेगी तो वहीं पार्टी को उत्तर प्रदेश में हिंदुत्व कार्ड और ओबीसी के लिए उमा भारती प्रभावी चेहरा भी मिल जाएगा। इस बीच उमा भारती द्वारा अगला लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की जा चुकी है। इसी तरह से राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रधानमंत्री की प्रशंसा से उमा भारती अब मप्र की शिव सरकार के लिए मुसीबत बनने वाले अपने शराबबंदी अभियान से कदम पीछे खींच सकती हैं। शिवराज सरकार पहले से ही आर्थिक संकट का सामना कर रही है ऐसे में सरकार फिलहाल शराबबंदी लागू कर आर्थिक मुश्किलों का सामना करने की स्थिति में नहीं है। यही वजह है कि इस मामले में शिवराज सरकार की असहज स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सत्ता और संगठन की ओर से कोई प्रतिक्रिया तक नहीं व्यक्त की जा रही है। इसी तरह से माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बीच इस प्रशंसा का भी फायदा पार्टी को मिल सकता है। माना जा रहा है कि दूसरे चरण के चुनाव से पार्टी उन चेहरों को आगे रखने की रणनीति पर काम कर रही है, जो हिंदुत्व के साथ ओबीसी वर्ग को प्रभावित कर सकें। इसमें उमा भारती की भूमिका भी अहम हो सकती है। दरअसल उमा भारती उप्र की चरखारी सीट से विधायक और उसके बाद वर्ष 2014 में झांसी लोकसभा सीट से सांसद रह चुकी हैं। मध्य प्रदेश की तरह ही उत्तर प्रदेश में भी वे  हिंदुत्व का प्रमुख चेहरा मानी जाती हैं।
इस तरह से की प्रशंसा
बहादुर बच्चों के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को विशिष्ट कार्य करने वाले बच्चों से भी सीधा संवाद किया। इंदौर के बालक अवि शर्मा की प्रतिभा से प्रभावित प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मध्य प्रदेश, विशेषकर मालवा की मिट्टी में कुछ चमत्कार है, जो धार्मिक प्रवृत्ति के बच्चों में दिखाई पड़ती है। उन्होंने बचपन का किस्सा सुनाते हुए कहा कि करीब 45-50 वर्ष पूर्व जब उमा भारती की उम्र कम थी, तभी से वह धार्मिक प्रवचन आदि करती रही हैं। वह गुजरात के मणिनगर में प्रवचन के लिए आई हुई थीं। हालांकि वह बच्ची थीं, लेकिन धाराप्रवाह संस्कृत के श्लोक, वेद पाठ और प्रवचन आदि करती थीं। जिसे देख कर तब मैं भी प्रभावित हो गया था। उन्होंने उमा भारती की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह हमारी सनातन संस्कृति, वेद, धार्मिक ग्रंथों की प्रखर वक्ता हैं।
उप्र में लोध मतदाताओं की स्थिति
देश के सबसे बड़े राज्य उप्र में 52 फीसदी पिछड़े वर्ग के मतदाताओं की संख्या है। इसमें भी सर्वाधिक पिछड़े वर्ग में शामिल जातियों में चौथी बड़ी जाति लोध है। इस जति के सर्वाधिक मतदाता उप्र के दो दर्जन जिलों में है। इन जिलों में जिस भी दल को उनका साथ मिलता है उसके प्रत्याशी विजयी हो जाते हैं। पार्टी के बड़े नेता रहे कल्याण सिंह की वजह से इस जाति का समर्थन भाजपा के साथ रहता है। अब कल्याण सिंह के बाद उप्र में भाजपा के पास इस वर्ग का कोई बड़ा नेता नही है।

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