रावत के बाद एक बार फिर होगा मंत्रिमंडल विस्तार

मंत्रिमंडल विस्तार
  • वरिष्ठता और अनुभवी विधायकों को भी है इंतजार

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। दो दिन पहले अचानक से डां. मोहन यादव के कैबिनेट विस्तार में शामिल किए गए रामनिवास रावत के बाद अब अमरवाड़ा सीट से उप चुनाव लड़ रहे कमलेश शाह का भी मंत्री बनना तय माना जा रहा है। दरअसल भाजपा संगठन से लेकर सरकार और आमजन तक मानना है कि उपचुनाव में प्राय: जनता प्रदेश में जिस दल की सरकार होती है, उसके प्रत्याशी को ही जिताती है। यही वजह है कि माना जा रहा है कि अगले हफ्ते एक और विस्तार हो सकता है। इससे शाह को  भी मंत्री बनाया जाना लगभग तय ही है। इसके अलावा बीना विधायक निर्मला सप्रे को लेकर अभी तक स्थिति स्पष्ट नही है कि उन्हें मंत्री बनाया जाएगा या नहींं। दरअसल यह वे तीनों चेहरे हैं, जो लोकसभा चुनाव के समय कांग्रेस छोडक़र भाजपा में शामिल हो चुके हैं। फिलहाल सप्रे ने अब तक विधायक पद से इस्तीफा नहीं दिया है।
 रावत के दलबदल करने से भाजपा को मुरैना सीट के अलावा कई अन्य सीटों पर भी फायदा भी हुआ है। मुरैना सीट तो ऐसी थी , जहां पर और कांटे की टक्कर में फंसी मुरैना सीट पर आखिर भाजपा की जीत हो ही गई। यह बात अलग है कि यहां से भाजपा को महज 52 हजार मतों से ही जीत मिल सकी। प्रदेश में यह भाजपा की सबसे कम अंतर की जीत है। रावत के मंत्री बनाए जाने के बाद सीएम ने मीडिया से चर्चा में अमरवाड़ा में भाजपा की जीत तय बताते हुए संकेत भी दिए हैं कि  कमलेश शाह की अगली भूमिका जल्द तय की जाएगी। माना जा रहा है कि अगर वह चुनाव जीतते हैं ,तो उनका भी मंत्री बनाया जाना तय है। संगठन सूत्रों की मानें तो पहले रावत और शाह दोनों को एक साथ मंत्री बनाने पर विचार चल रहा था, पर संगठन के कुछ नेताओं का मानना था कि चुनाव के चलते ऐसा किया तो कांग्रेस इस बात को प्रचारित करेगी कि हार के डर से भाजपा ने शाह को मंत्री बनाया है। इसके बाद तय किया गया कि अमरवाड़ा उपचुनाव के नतीजे आने के बाद इस पर फैसला लिया जाएगा। गौरतलब है कि छिंदवाड़ा और मुरैना सीट जीतने के लिए भाजपा ने इन दोनों नेताओं पर दांव खेला था और चुनावी वक्त पर इन्हें अपने पाले में लाकर कांग्रेस को बड़ा झटका दिया था। तभी दोनों नेताओं को मंत्री पद दिए जाने का वादा किया गया था।
दावेदारों की लंबी फौज
प्रदेश में मंत्री पद के दावेदार भाजपा विधायकों की संख्या बहुत बड़ी है। इनमें से कई तो इतने वरिष्ठ हैं, जो लगातार या तो सरकार में मंत्री रहे हैं या फिर लगातार कई बार से विधायक निर्वाचित हो रहे हैं। फिलहाल प्रदेश सरकार में 31 मंत्री है और पद ही रिक्त बने हुए हैं।  रावत के मंत्री बनाए जाने के बाद भाजपा के अंदरखाने में चर्चाओं का माहौल सरगर्म है। अनुशासन की डोर में बंधे सीनियर विधायक खुलकर भले ही कुछ न कहें पर वे बाहर से आने वाले नेताओं को मंत्री बनाए जाने से खुश नहीं हैं। इस बार भाजपा ने अपने सबसे सीनियर विधायक गोपाल भार्गव को भी मंत्री नहीं बनाया है। इसी तरह से  भूपेन्द्र सिंह, प्रभुराम चौधरी, अर्चना चिटनिस, बृजेन्द्र सिंह, जयंत मलैया, अजय विश्नोई, ओमप्रकाश सकलेचा, ललिता यादव, ऊषा ठाकुर, गिरीश गौतम, डॉक्टर सीताशरण शर्मा जैसे नेता भी अपनी दावेदारी में पीछे नही हैं। इनमें गौतम और शर्मा को छोडक़र शेष सभी नेता शिव सरकार के कैबिनेट के सदस्य रह चुके हैं। गौतम और शर्मा तो विधानसभा अध्यक्ष भी रह चुके है। इन नेताओं के अलावा लगातार चुनाव जीत रहे शैलेन्द्र जैन, प्रदीप लारिया, रमेश मेंदोला, राजेन्द्र पांडेय, रामेश्वर शर्मा, आशीष शर्मा जैसे विधायक भी मंत्री पद के दावेदार बने हुए हैं।

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