सरकार को खटकने लगे 9 हजार कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर

 कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर
  • पदनाम तो दिया नहीं, वेतन के भी पड़ने लगे लाले…

    भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। कोरोना काल में देवदूत की भूमिका निभाने वाले कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर अब सरकार को खटकने लगे हैं। जरूरत के समय सरकार ने प्रदेशभर में  करीब 9 हजार कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (सीएचओ)की भर्ती की थी।  कोरोना काल में उप स्वास्थ्य केंद्रों पर स्वास्थ्य सेवाओं की कमान संभालने वाले सीएचओ को अब तक कोई पदनाम नहीं दिया गया। अब पिछले दो महीने से इनको वेतन भी नहीं मिल रहा है।  जानकारों का कहना है कि कोरोना संक्रमण काल में सरकार ने जरूरत के हिसाब से सीएचओ की भर्ती तो  कर ली , लेकिन अब वे सरकार को भारी लगने लगे हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी संगठन मप्र के अध्यक्ष डॉ. शशांक राय का कहना है कि सीएचओ को 25 हजार रुपए वेतन दिया जाता है। ऐसे में दो महीनों का वेतन जोड़ा जाए तो सभी सीएचओ का करीब 45 करोड़ रुपए का वेतन बकाया है। अब अधिकारी बजट ना होने का बहाना बना रहे हैं। डॉ. राय ने विभाग को सौंपे ज्ञापन में कहा कि अगर विभाग उनका वेतन नहीं जारी करता है तो सारे सरकारी कार्यों के साथ सबसे महत्वपूर्ण काम योजनाओं के रिकॉर्ड ऑनलाइन करने का काम भी बंद कर देंगे।
    बिना बताए परीक्षा में शामिल होने पर शो कॉज नोटिस
    उधर, भोपाल जिला क्षय अधिकारी डॉ. मनोज वर्मा ने पल्मोनरी मेडिसिन सेंटर पर कार्यरत एसटीएस कर्मचारी अनुपमा कैथवास को कारण बताओ नोटिस दिया है। इस नोटिस का जवाब कैथवास को दो दिन के भीतर देना है। जानकारी अनुसार अनुपमा कैथवास रसूल अहमद सिद्दीकी पल्मोनरी मेडिसिन जहांगीराबाद में संविदा कर्मचारी हैं, उनकी नियुक्ति नेशनल हेल्थ मिशन के अंतर्गत हुई है। गत दिनों वह अपने कार्य दिवस के दिन किसी परीक्षा में शामिल हुई थी, जबकि नियमानुसार कर्मचारी को किसी भी परीक्षा में शामिल होने से पहले अपने अधिकारी से अनुमति लेना होती है और इसके लिए अवकाश का आवेदन भी देना होता है, लेकिन अनुपमा कैथवास ने इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया। इतना ही नहीं वह परीक्षा वाले दिन अस्पताल में आई और हाजिरी रजिस्टर में साइन कर चली गई जो सेवा आचरण नियम के विरुद्ध है। जिला क्षय अधिकारी डॉ. मनोज वर्मा ने उन्हें नोटिस देते हुए यह भी पूछा है कि आप संस्था में नौकरी के साथ साथ किसी एनजीओ में भी काम करती हैं, यह संविदा नियमों के खिलाफ है। एक कर्मचारी एक समय में एक ही जगह काम कर सकता है।
    सेवा समाप्ति के आदेश पर वेतन नहीं दिया
    वहीं कोरोना काल में मेडिकल  ऑफिसर्स के रूप में काम करने वाले आयुष डॉक्टर्स को भी दो माह का वेतन नहीं मिला। प्रदेश में करीब 800 से ज्यादा आयुष मेडिकल  ऑफिसर्स हैं, जिन्होंने कोविड ड्यूटी के रूप में काम किया था। मार्च में इन्हें सेवा समाप्ति के आदेश दिए गए थे, लेकिन वेतन नहीं दिया गया। मेडिकल ऑफिसर्स का कहना है कि एनएचएम अब बजट ना होने की बात कर रहा है। इनके साथ ही करीब दो हजार से ज्यादा आयुष नर्सिंग स्टाफ को भी दो माह का वेतन नहीं मिला। मालूम हो कि कोविड ड्यूटी में काम करने वाले डॉक्टर्स को 25 हजार तो सपोर्टिंग स्टाफ को 15 हजार रुपए वेतन तय किया था।

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