8वीं की यूनिफार्म दी 9वीं के छात्रों को, हो गई रिजेक्ट

यूनिफार्म
  • 510 करोड़ का यूनिफार्म निकले घटिया क्वालिटी के …

    भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम।
    स्कूल शिक्षा विभाग की भर्राशाही और लापरवाही से सरकार को 510 करोड़ की चपत लगी है। दरअसल, कोरोना काल में सालभर बंद रहे स्कूलों के खुलने के बाद विद्यार्थियों को स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा यूनिफार्म का वितरण किया जा रहा है। यूनिफार्म बच्चों को छोटी मिल रही है, इनकी क्वालिटी भी घटिया है। यही नहीं 8वीं की यूनिफार्म 9वीं के छात्रों को दी जा रही है जो रिजेक्ट हो गई है। स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार कहते हैं कि कुछ जिलों में छोटी यूनिफार्म की समस्या सामने आई है। कलेक्टरों को यूनिफार्म की क्वालिटी जांचने के लिए भी कहा है। यह भी कहा है कि जो यूनिफार्म छोटी हो गई है, उन्हें छोटे बच्चों को दिया जाए। सभी बच्चों को यूनिफार्म अच्छी दी जाएगी। जहां समस्या आ रही है, वहां यूनिफार्म वापिस कर क्वालिटी की यूनिफार्म बुलवाई जाएगी।  गौरतलब है कि पिछले साल कोरोना के कारण स्कूल बंद रहे छात्र-छात्राओं को घर पर ही स्कूल जैसा माहौल देने के उद्देश्य से यूनिफार्म देने का फैसला लिया गया था। करीब 15 फीसदी बच्चों को शिक्षकों ने विद्यार्थियों के घर पर यूनिफार्म पहुंचाई थी। सरकार ने पिछले साल प्रदेश के करीब 1 लाख 15 हजार 330 स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की यूनिफार्म के लिए 600 रुपए प्रति विद्यार्थी के हिसाब से 510 करोड़ का बजट स्वीकृत किया गया था। आरएसके के आदेशानुसार कक्षा 1 से आठवीं तक पढ़ने वाले करीब 80 लाख  विद्यार्थी को स्टैंडर्ड साइज की दो जोड़ी यूनिफार्म दी जानी थी।
    अधिकांश बच्चों को छोटी पड़ रही यूनिफार्म
    दरअसल, पिछले साल स्वसहायता समूहों के चयन आदि में ही आधा सत्र निकलने के बाद यूनिफार्म की सिलाई का काम शुरू हो सका। मार्च-अप्रैल तक यह यूनिफार्म स्कूलों में पहुंच सकी। स्कूल प्राचार्यों ने बताया कि साल भर बाद स्कूलों में यूनिफार्म पहुंचने के कारण छात्र-छात्राएं एक कक्षा से दूसरे कक्षा में पहुंच चुके हैं और उनकी उम्र भी एक साल बढ़ गई है। इस कारण अधिकांश बच्चों को यूनिफार्म छोटी पड़ रही है। उन्हें स्कूल से यूनिफार्म तो दे दी गई है, लेकिन साइज न आने के करण वे पहन नहीं सकते।
    इसलिए यूनिफार्म हो रही रिजेक्ट
    जो बच्चे पिछले साल 8वीं में थे वह 9वीं में पहुंच गए हैं, पिछले वर्ष के हिसाब से 8वीं कक्षा में पढ़ने वाले विद्यार्थी के लिए जो यूनिफार्म दी गई है, उसमें छात्रों को हाफ पेंट और छात्राओं के लिए शर्ट और जैकेट दी गई है। लेकिन यह बच्चे अब 9वीं कक्षा में पहुंच चुके हैं और वहां यूनिफार्म फुल पेंट है और कुर्ती चलती है। ऐसे में यह यूनिफार्म उनके लिए रिजेक्ट हो गई है।
    गणवेश देखने में ही भद्दी
    स्कूलों में छात्र-छात्राओं के लिए जो यूनिफार्म बांटी गई है, उसका क्वालिटी स्तर भी काफी घटिया बताया जा रहा है। वही सिलाई का भी बुरा हाल है। कुछ बच्चों का कहना है कि शर्ट के एक भाग छोटा तो दूसरा भाग बड़ा मिला। कुछ यूनिफार्म में एक ही जगह पर कई बार सिलाई की गई है, जो गणवेश देखने में ही भद्दी प्रतीत हो रही है।
    बिना यूनिफार्म स्कूल जाने को मजबूर
    घटिया क्वालिटी इसके चलते विद्यार्थी बिना यूनिफार्म के ही स्कूल आने को मजबूर है। जबकि सरकार ने 510 करोड़ रुपए खर्च कर यह यूनिफार्म स्व-सहायता समूहों से तैयार करवाई हैं। अभी छात्र-छात्राओं को यह यूनिफार्म पिछले सत्र 2020-21 के लिए दी गई है। नए सत्र 2021-22 के लिए यूनिफार्म बनाने के लिए स्वसहायता समूहों को नया आॅर्डर दिया गया है।  राजधानी के स्कूलों में 84 हजार बच्चों के लिए गणवेश तैयार करने का ऑर्डर दिया गया था। इसमें 44 हजार आजीविका मिशन को और 40 हजार नगर निगम के स्व सहायता समूहों को ऑर्डर दिया गया था। इन समूहों को यह काम जुलाई में सौंपा गया था, लेकिन अभी तक स्कूलों में यूनिफार्म नहीं पहुंची हैं।

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