बेघरों के लिए शिवराज की स्वराज योजना

शिवराज

21 हजार एकड़ पर बनेंगे गरीबों के आशियाने

मप्र में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जितने संवेदनशील हैं, उतने ही कठोर भी। उनकी संवेदनशीलता गरीबों और जरूरतमंदों के लिए हमेशा दिखती है, वहीं माफिया ने उनकी कठोरता को झेला है। अपनी चौथी पारी में शिवराज ने माफिया पर जमकर नकेल कसी है। प्रदेश को माफियामुक्त बनाने के लिए न केवल उन्होंने प्रशासन को फ्रीहैंड दिया है, बल्कि माफिया के कब्जे से अवैध जमीनों को मुक्त कराया है। अब इन जमीनों पर बेघरों के लिए मकान बनाने के लिए स्वराज योजना लाई जा रही है। जिसके तहत माफिया की जमीनों पर गरीबों के आशियाने बनाए जाएंगे।

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)।
मप्र सरकार ने इसी साल जून में घोषणा की थी कि प्रदेश में माफिया और गुंडों से मुक्त कराई गई जमीन पर गरीबों के आशियाने बनेंगे। अब इस योजना का ड्राफ्ट तैयार हो गया है। सरकार इस 21 हजार एकड़ जमीन पर गरीबों के लिए स्वराज योजना ला रही है। इसमें फ्लैट, डुप्लेक्स, प्लॉट भी मिलेंगे। कवर्ड कैंपस भी बनाए जाएंगे, लेकिन बड़ी बात ये कि ये मकान फ्री नहीं मिलेंगे, इसके लिए खरीदार को आंशिक कीमत देनी होगी। हालांकि ये कीमत कितनी होगी, ये अभी तय होना बाकी है, लेकिन नगरीय आवास एवं विकास विभाग के सूत्रों ने बताया कि यह कीमत करीब 20 प्रतिशत ही होगी। यानी 10 लाख का मकान है तो खरीदार को सिर्फ 2 लाख रुपए देने होंगे। इसकी अंतिम कीमत प्रोजेक्ट और लोकेशन के हिसाब से तय की जाएगी।
ड्राफ्ट के मुताबिक माफिया से मुक्त जमीन पर कलेक्टर प्रोजेक्ट की वायबिलिटी जांचेंगे। यदि प्रोजेक्ट बेहतर लोकेशन पर है तो डेवलपर्स से ऑफर बुलाए जाएंगे। इसमें ऑफर के तहत गरीबों के मकान बनाने के बदले उसी जमीन का कुछ हिस्सा कमर्शियल उपयोग के लिए मिल जाएगा। इस राशि से वह लागत निकालेगा। इसमें सीधे तौर पर सब्सिडी नहीं मिलेगी, बल्कि हितग्राही को कुछ राशि देने की बाध्यता होगी। प्रदेश में पिछले दो साल में सरकार ने माफिया से 21502 एकड़ जमीन मुक्त कराई है। इसका बाजार मूल्य 18146 करोड़ रुपए है। नई योजना में हितग्राहियों से लेकर एजेंसी और डेवलपर्स के चयन आदि को लेकर गाइडलाइन बनाई गई है। इसमें हितग्राहियों का चयन करने का अधिकार कलेक्टर के पास रहेगा। अभी योजना का ड्राफ्ट मंजूरी के लिए सीनियर सेक्रेटरी की कमेटी के पास जाएगा। ये कमेटी पात्र हितग्राही की स्क्रूटनी भी करेगी।

पीएम आवास योजना से भी सस्ते होंगे घर
इस स्कीम में सब्सिडी नहीं होने पर भी प्रदेश में सबसे सस्ते मकान मिलेंगे। अभी प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राहियों को सब्सिडी पर मकान बनाने के लिए खुद की जमीन लगती है, लेकिन इस प्रोजेक्ट में ऐसा नहीं होगा। इसमें जमीन माफिया के कब्जे से मुक्त कराई होगी। ऐसे समझ सकते हैं कि केवल कुछ अंशदान देना होगा। छोटे शहर में मकान मिलेंगे, जबकि बड़े शहर में फ्लैट मिल जाएंगे। ड्राफ्ट को जल्द ही कैबिनेट के समक्ष रखा जा सकता है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में जहां कई नीतिगत फैसले लिए गए, वहीं मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में माफिया से अब तक 21 हजार एकड़ भूमि मुक्त कराई गई है। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश में अपराधियों के विरुद्ध हुई कार्रवाइयों में अब तक 21 हजार एकड़ से अधिक भूमि मुक्त कराई गई है। इस जमीन का उपयोग मूलत: गरीबों को बांट कर उनके आवास बनाने के लिए किया जाएगा। राज्य सरकार की स्पष्ट मंशा है कि माफिया के कब्जे की अवैध भूमि छुड़ाकर गरीबों में बांटी जाए। जहां आवश्यकता होगी वहां अस्पताल, स्कूल और आंगनवाड़ी बनाने तथा अन्य शासकीय कार्यों के लिए भी भूमि का उपयोग किया जाएगा। बैठक में भू-माफिया, गुंडों, आदतन अपराधियों के विरूद्ध की गई कार्यवाही और हटाए गए अवैध अतिक्रमण से संबंधित प्रस्तुतिकरण दिया गया। प्रस्तुतिकरण में बताया गया कि अप्रैल 2020 से मार्च 2022 तक राजस्व, नगरीय निकाय और वन विभाग की 15 हजार 397 एकड़ भूमि मुक्त कराई गई, जिसका मूल्य 11 हजार 941 करोड़ रुपए है। इसके साथ ही निजी और अन्य विभागों की 6 हजार 105 एकड़ भूमि को भी मुक्त कराया गया। प्रस्तुतिकरण में बताया गया कि मार्च 2021 से मार्च 2022 के बीच भू-माफिया के विरूद्ध 4 हजार 495 प्रकरण दर्ज किए गए। इस अवधि में 9 हजार 896 अवैध अतिक्रमण तोड़े गए, 188 व्यक्तियों के विरूद्ध एनएसए में कार्यवाही की गई तथा 498 को जिला बदर किया गया। जानकारी के अनुसार प्रदेश में एंटी माफिया अभियान में राज्य शासन ने भू-माफिया, गुंडों और आदतन अपराधियों के विरूद्ध सख्त रुख अपनाते हुए दो साल में 15 हजार 397 एकड़ से अधिक राजस्व, नगरीय निकाय और वन भूमि को मुक्त कराया गया है। साथ ही 6105 एकड़ निजी और अन्य विभागों की भूमि भी मुक्त कराई गई है। मुक्त कराई गई भूमि की कीमत 18 हजार 146 करोड़ रुपए है। भू-माफिया, गुंडों और आदतन अपराधियों के 12 हजार 640 अवैध निर्माण, जिसमें मकान, दुकान, गोदाम, मैरिज गार्डन, फैक्ट्री आदि शामिल है, नियमानुसार तोड़े एवं हटाए गए। मुख्यमंत्री ने कहा कि मप्र की धरती से गुंडे, माफियाओं, आदतन अपराधियों का सफाया किया जाए। आम जनता को उनसे मुक्ति दिलाने के लिए सख्त एक्शन लें, जिससे वे या तो सुधर जाए या फिर मप्र छोडक़र चले जाएं। प्रदेश में किसी भी असामाजिक तत्व को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बताया गया कि अप्रैल से दिसंबर 2020 तक 7864 करोड़ रुपए की 3365.26 एकड़, जनवरी-फरवरी 2021 में 1588 करोड़ की 3569.56 एकड़, मार्च से अगस्त 2021 में 539 करोड़ रुपए की 3840.24 एकड़, सितंबर और अक्टूबर 2021 में 721 करोड़ की 1810.8 एकड़, नवंबर-दिसंबर 2021 में 558 करोड़ रुपए की 568.12 एकड़ और जनवरी से मार्च 2022 तक 671 करोड़ रुपए की 2243.79 एकड़ राजस्व, नगरीय निकाय और वन विभाग की भूमि को मुक्त करवाया गया है।
मुक्त करवाई गई भूमि में से 1820.13 एकड़ भूमि आवास एवं अन्य प्रयोजन में ली जा रही है, जो इस प्रकार है- आवास निर्माण के लिए आवंटित रकबा-159.32 एकड़। आवास निर्माण के लिए आवंटन प्रक्रियाधीन रकबा-75.85 एकड़। शासकीय विभाग/एजेंसी को अन्य प्रयोजन के लिए आवंटित भूमि-365.47 एकड़। शासकीय विभाग/एजेंसी को अन्य प्रयोजन के लिए आवंटित प्रक्रियाधीन भूमि-940.56 एकड़। लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग के पोर्टल पर नीलामी के लिए दर्ज की गई भूमि-29.48 एकड़। मूल विभाग को सौंपा गया रकबा-257.45 करोड़। कुल 1828.13 एकड़ भूमि आवास एवं अन्य प्रयोजन के लिए उपयोग में लाई जा रही है। प्रदेश में मार्च 2021 से मार्च 2022 तक भू-माफियाओं, गुंडों और आदतन अपराधियों के अवैध कब्जों के विरूद्ध की गई कार्यवाही में 4,495 प्रकरण दर्ज किए गए हैं। इनमें से पुलिस विभाग द्वारा 585, राजस्व विभाग द्वारा 2459, नगरीय निकायों द्वारा 925, वन विभाग द्वारा 47 और संयुक्त रूप से 479 प्रकरण भू-माफियाओं के विरूद्ध दर्ज किए गए। एंटी माफिया अभियान में मार्च 2021 से मार्च 2022 तक 9896 अवैध अतिक्रमणों को ध्वस्त किया गया। इसमें पुलिस द्वारा 370, राजस्व द्वारा 3359, नगरीय निकायों द्वारा 3915, वन विभाग द्वारा 2 और संयुक्त विभागीय टीम द्वारा 1650 अवैध अतिक्रमण तोड़े गए। इस अवधि में 8450.45 एकड़ भूमि अतिक्रमण से मुक्त कराई गई, जिसकी अनुमानित कीमत 2490 करोड़ रुपए है। अभियान में 188 व्यक्तियों को एनएसए में निरूद्ध और 498 को जिला बदर किया गया।

भूमिहीनों को सरकार देगी जमीन
शासन और प्रशासन का इकबाल तभी बुलंद होता है, जब अपराध और अपराधियों में कानून का खौफ दिखे। मप्र में इन दिनों माफिया की दुनिया में शासन-प्रशासन का खौफ दिखाई दे रहा है। प्रदेश में भूमाफिया, गुंडा तत्वों और सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करने वालों पर पुलिस-प्रशासन ने शिकंजा कस दिया है। प्राकृतिक सौंदर्य और खनिज संपदा से भरपूर मप्र का जितना अवैध दोहन हुआ है उतना किसी और राज्य का नहीं हुआ है। 3,08,252 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले मप्र में लाखों हैक्टेयर जमीन भू माफिया और रसूखदारों ने सीलिंग एक्ट की आड़ में कब्जा कर रखी है। वहीं दूसरी तरफ प्रदेश की एक बड़ी आबादी आज भी भूमिहीन है। भू-माफिया ने वन भूमि, चरनोई भूमि, ग्रीन बेल्ट, मरघट, कब्रिस्तान, खेल मैदान, नदी, तालाब आदि पर कब्जा कर रखा है। शासकीय अधिकारियों की मिलीभगत से बड़े स्तर पर गोलमाल किया गया है। सरकार अब सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करने वालों की जिलावार सूची बनवाकर उनके कब्जे से जमीन छुड़वा रही है। प्रदेश में अपने रसूख के दम पर सरकारी जमीनों पर अवैध रूप से बड़े होटल, रेस्टोरेंट, गोदाम, घर बनाकर ठप्पे से रहने वाले भूमाफिया, ड्रग माफिया, शराब माफिया और अवैध कामों में लिप्त लोगों पर सख्त कार्यवाही की जा रही है। मुख्यमंत्री का कहना है कि मध्यप्रदेश की धरती से गुंडे, माफियाओं, आदतन अपराधियों का सफाया किया जाए। आम जनता को उनसे मुक्ति दिलाने के लिए सख्त एक्शन लें, जिससे वे या तो सुधर जाए या फिर मध्यप्रदेश छोड़ कर चले जाए। प्रदेश में किसी भी असामाजिक तत्व को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बताया गया कि अप्रैल से दिसंबर 2020 तक 7864 करोड़ रूपये की 3365.26 एकड़, जनवरी-फरवरी 2021 में 1588 करोड़ की 3569.56 एकड़, मार्च से अगस्त 2021 में 539 करोड़ रूपये की 3840.24 एकड़, सितंबर और अक्टूबर 2021 में 721 करोड़ की 1810.8 एकड़, नवंबर-दिसंबर 2021 में 558 करोड़ रूपये की 568.12 एकड़ और जनवरी से मार्च 2022 तक 671 करोड़ रूपये की 2243.79 एकड़ राजस्व, नगरीय निकाय और वन विभाग की भूमि को मुक्त करवाया गया है।
मुक्त करवाई गई भूमि में से 1820.13 एकड़ भूमि आवास एवं अन्य प्रयोजन में ली जा रही है, जो इस प्रकार है -आवास निर्माण के लिये आवंटित रकबा-159.32 एकड़। आवास निर्माण के लिए आवंटन प्रक्रियाधीन रकबा-75.85 एकड़। शासकीय विभाग/एजेंसी को अन्य प्रयोजन के लिए आवंटित भूमि-365.47 एकड़। शासकीय विभाग/एजेंसी को अन्य प्रयोजन के लिए आवंटित प्रक्रियाधीन भूमि-940.56 एकड़। लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग के पोर्टल पर नीलामी के लिए दर्ज की गई भूमि-29.48 एकड़। मूल विभाग को सौंपा गया रकबा-257.45 करोड़। कुल 1828.13 एकड़ भूमि आवास एवं अन्य प्रयोजन के लिए उपयोग में लाई जा रही है। प्रदेश में मार्च 2021 से मार्च 2022 तक भू-माफियाओं, गुंडों और आदतन अपराधियों के अवैध कब्जों के विरूद्ध की गई कार्यवाही में 4,495 प्रकरण दर्ज किये गये हैं। इनमें से पुलिस विभाग द्वारा 585, राजस्व विभाग द्वारा 2459, नगरीय निकायों द्वारा 925, वन विभाग द्वारा 47 और संयुक्त रूप से 479 प्रकरण भू-माफियाओं के विरूद्ध दर्ज किये गये। एंटी माफिया अभियान में मार्च 2021 से मार्च 2022 तक 9896 अवैध अतिक्रमणों को ध्वस्त किया गया। इसमें पुलिस द्वारा 370, राजस्व द्वारा 3359, नगरीय निकायों द्वारा 3915, वन विभाग द्वारा 2 और संयुक्त विभागीय टीम द्वारा 1650 अवैध अतिक्रमण तोड़े गये। इस अवधि में 8450.45 एकड़ भूमि अतिक्रमण से मुक्त कराई गई, जिसकी अनुमानित कीमत 2490 करोड़ रूपये है। अभियान में 188 व्यक्तियों को एनएसए में निरूद्ध और 498 को जिला बदर किया गया।

450 अरब की जमीन भू माफिया के कब्जे में
प्राकृति सौंदर्य और खनिज संपदा से भरपूर मप्र का जितना अवैध दोहन हुआ है उतना किसी और राज्य का नहीं हुआ है। 3,08,252 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले मप्र में लाखों हैक्टेयर जमीन भू माफिया और रसूखदारों ने सीलिंग एक्ट की आड़ में कब्जा कर रखी है। वहीं दूसरी तरफ प्रदेश की एक बड़ी आबादी आज भी भूमिहीन है। भू-माफिया ने वन भूमि, चरनोई भूमि, ग्रीन बेल्ट, मरघट, कब्रिस्तान, खेल मैदान, नदी, तालाब आदि पर कब्जा कर रखा है। शासकीय अधिकारियों की मिलीभगत से बड़े स्तर पर गोलमाल किया गया है। गत वर्ष आयुक्त भू-अभिलेख ने करीब 3.32 लाख हैक्टेयर जमीन पर कब्जे का गोलमाल पकड़ा था। जिसकी कीमत करीब 450 अरब रूपए से अधिक हो सकती है।
मप्र में एक तरफ सरकार माफिया पर अंकुश लगाने के लिए कायदे-कानून सख्त करती है, वहीं अधिकारियों के साथ मिलकर रसूखदार माफिया अपना अवैध कारोबार बेरोकटोक बढ़ाते रहते हैं। खासकर सरकारी भूमि पर कब्जा करने का कालाकारोबार यहां बेरोकटोक चल रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मप्र में 231.34 लाख हैक्टेयर भूमि कृषि उपयोग की है। वहीं वन क्षेत्रफल 85.89 लाख हैक्टेयर, काश्त उपयोगी पड़त भूमि 10.02 लाख हैक्टेयर, कुल पड़त भूमि 9.81 लाख हैक्टेयर है। लेकिन हकीकत में वन भूमि, चरनोई और पड़त भूमि पर बड़े स्तर पर भू माफिया ने कब्जा किया है। सरकार भूमि को कब्जाने का यह खेल सुनियोजित तरीके से किया गया है। इसे कब्जाने वाले रसूखदार लोग हैं। अत: प्रशासन इनके खिलाफ कार्रवाई करने से हिचकता है। लेकिन अपनी चौथी पारी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान माफिया के कब्जे से सरकारी जमीनों को मुक्त कराने का अभियान शुरू कर दिया है। मंत्रालयीन सूत्रों का कहना है कि गत वर्ष आयुक्त भू-अभिलेख की पड़ताल में प्रदेश में बड़े पैमाने पर भू माफिया का खेल उजागर हुआ था। भू माफिया ने अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके प्रदेशभर में 3.32 लाख हैक्टेयर सरकारी जमीन कब्जाई है। अनुमानत: भू माफिया के कब्जे में वाली इन जमीनों की कीमत कम से कम 250 अरब रूपए होगी। अब उसी रिपोर्ट के आधार पर सरकार एक-एक माफिया से सरकारी जमीनों को मुक्त करवा रही है।

42 लाख हैक्टेयर जमीन लापता
मप्र में जमीनों का गोरखधंधा किस मुकाम पर है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां वर्षों से 42 लाख हैक्टेयर जमीन लापता है। इसमें राजधानी भोपाल की ही 65 हजार हैक्टेयर जमीन सरकारी रिकॉर्ड से गायब है। सरकारी रिकॉर्ड से जमीन गायब होने का ये पूरा मामला वर्ष 1980 से 2000 के बीच का बताया जा रहा है, जिसमें शहडोल, सीधी, शिवपुरी, बालाघाटा और छिंदवाड़ा में सबसे ज्यादा जमीन गायब हुई है। यहां वर्ष 1980 से 2000 के बीच दो लाख हैक्टेयर से लेकर पांच लाख हैक्टेयर तक जमीन का रिकॉर्ड नहीं मिल पा रहा है। शहडोल की बात करें तो वर्ष 1980 से पहले यहां सरकारी जमीन करीब 13 लाख 55 हजार 066 हैक्टेयर थी, जो वर्ष 2000 में घटकर मात्र 6 लाख 44 हजार 964 हैक्टेयर ही रह गई है। यानी कि 5 लाख 41 हजार 042 हैक्टेयर जमीन का ही सरकारी रिकॉर्ड उपलब्ध है। सीधी में 3 लाख 62 हजार 030 हैक्टेयर, शिवपुरी में 3 लाख 12 हजार 200 हैक्टेयर, बालाघाट में 2 लाख 28 हजार 322 हैक्टेयर, छिंदवाड़ा में 2 लाख 16 हजार 560 हैक्टेयर और सतना में 2 लाख 3 हजार 485 हैक्टेयर सरकार जमीन गायब है। हालाकि सागर में 407 हैक्टेयर, उज्जैन में 663 हैक्टेयर और देवास में 985 हैक्टेयर जमीन गायब है, जबकि होशंगाबाद और विदिशा में जमीन का रिकॉर्ड सही पाया गया है।
राजस्व विभाग के सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में सरकारी जमीनों को कब्जाने का धंधा वर्षों से चल रहा है। शासन और प्रशासन की मिलीभगत से यह कालाकारोबार लगातार चल रहा है। हालांकि 42 लाख हैक्टेयर जमीन रिकार्ड से गायब होने का मामला सामने आने के बाद इसकी पड़ताल शुरू हो गई है। सभी जिलों के कलेक्टरों को पत्र लिखा गया है। रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है।

15 हजार हेक्टेयर गोचर भूमि गायब
मप्र में सरकारी रिकार्ड से जमीनों के गायब होने की पड़तान के दौरान ग्वालियर जिले में साल 2004 के बाद से 15 हजार हेक्टेयर चरनोई यानि की गोचर की भूमि गायब पाई गई है। आनन-फानन में कलेक्टर ने इसकी जांच बैठा दी है लेकिन मासला रसूखदार भूमाफियों से जुड़ा हुआ है, तो प्रशासन भी कुछ नहीं कर पा रहा है क्योंकि उसके ही लैंड रिकोर्ड विभाग में इन जमीनों की 552 फाइलें गायब है। जिनकी बढ़ी शिद्दत से तलाश की जा रही है। वहीं कांग्रेस और भाजपा एक दूसरे पर हमला कर रही है। लेकिन इस बीच यही सवाल है क्या 15 हजार हेक्टेयर जमीन शासन को वापस मिल पाएंगी। जानकारी के अनुसार मप्र में 1968 के बाद भू अभिलेख विभाग में रिसायतकालीन जमीन को चरनोई यानि की गोचर की भूमि के लिए हर एक ग्राम पंचायत में आरक्षित किया गया था। लेकिन आज वो जमीन सरकारी नक्शें से गायब हो गई है। आनन-फानन में इसकी जांच बैठाई गई है तो चौकानें वाले खुलासे हो रहे है। जिसमें 552 फाइलें गायब है तो वहीं 15 हजार हैक्यटेर चरनोई यानि की गोचर की भूमि तो वहीं 23 हजार हैक्यटेर पड़त (सरकारी उपजाऊ) भूमि पर दंबगों का कब्जा मिला है। ये जो आंकड़े है, वो चौकानें वाले है। ऐसे में कांग्रेस और भाजपा दोनों इस मुद्दे पर आमने-समाने आ गए है। कांग्रेस कह रही है ये सारी 2004 के बाद से गायब हुई है। ग्वालियर जिला प्रशासन और भू अभिलेख विभाग की जांच में चौकाने वाले आंकड़े सामने आ रहे हैं। जांच में जो आकड़े प्रशासनिक अफसरों को मिले है, उसमें दस हजार हेक्टेयर जमीन पर दबंगों का कब्जा है। ऐसे में अफसर उन जमीनों को लिस्टेड कर रहे हैं जिन पर कब्जाधारी दंबगों पर बेदखली की कार्रवाई करने के साथ-साथ प्रशासन के निचले राजस्व के आधिकारियों को राउंडअप कर रहे है जिनकी शह पर जमीनों का ये फर्जीवाड़ा हुआ है।

22,000 गांवों में नहीं बची चरनोई भूमि
सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में विकास ने नाम पर प्रदेश में जमीनों की ऐसी बंदरबांट की गई है कि अफसरों ने रसूखदारों को पड़त और चरनोई भूमि बांट दी है। पिछले एक दशक में प्रदेश में करीब 25,000 हैक्टेयर चरनोई भूमि पर या तो अतिक्रमण हो गया है या फिर रसूखदारों को आवंटित कर दी गई है। मार्च 2010 में विधानसभा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह आश्वासन दिया था कि प्रदेश में यदि किसी कलेक्टर ने किसी व्यक्ति के लिए चरनोई भूमि की अदला बदली की है तो ऐसे मामलों की जांच कर उसे निरस्त किया जाएगा। लेकिन आज 10 साल बाद स्थिति यह है कि प्रदेश के 22,000 गांवों में चरनोई भूमि ही नहीं बची है। मध्य प्रदेश भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 237 (1) के तहत चरनोई भूमि को प्रथक रखा जाना है और इसपर शासन का अधिकार रहता है। लेकिन मुख्यमंत्री के आश्वासन को राजस्व अमले ने गंभीरता से नहीं लिया था।
दरअसल प्रदेश में भू-माफिया, दलाल, पूंजीपतियों और राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से चरनोई भूमि का लूटा जा रहा है। प्रदेश में सर्वाधिक चरनोई भूमि की बंदरबांट उन जिलों में हुई है जहां तेजी से विकास हुआ है। कटनी, सतना, रीवा, शहडोल, छतरपुर, ग्वालियर, भिंड सहित करीब दो दर्जन जिलों में करोड़ों रुपए की चरनोई भूमि पर प्रशासन की ढुलमुल नीति और लचर व्यवस्था के चलते असरदार भू माफिया के कब्जे में चली गई है। सरकारी जमीन को अतिक्रमणकारियों के कब्जे से मुक्त कराने के नाम पर अधिकारी कागजी कार्रवाई में उलझे रहते हैं। चौतरफा हो रहे सरकारी जमीन पर अतिक्रमण को रोक पाने में प्रशासन बौना साबित हो रहा है। शासकीय संपत्ति का किस प्रकार दोहन किया जा रहा है और इसकी देखभाल करने के लिए रखे गए जिम्मेदार अधिकारी, कर्मचारी किस प्रकार अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सरेआम भू स्वामित्व और राजस्व रिकार्ड की बेशकीमती सरकारी भूमि भू-माफिया के कब्जे जा रही है, किंतु शासन और प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा है। पट्टे की भूमि को हड़पने का खेल राजस्व रिकार्ड में अहस्तांतरणीय के च्अ’ पर सफेदा लगाकर कई एकड़ भूमि को खुर्दबुर्द करने का अधिकारियों व कर्मचारियों ने किया था। अधिकारियों व कर्मचारियों ने अहस्तांतरणीय का ’अ’ विलोपित कर उसे हस्तांतरणीय बना दिया जिससे पट्टा व चरनोई की हजारों एकड़ भूमि निजी फैक्ट्रियों के कब्जे में चली गई हैं और वहां बेजा निर्माण कार्य भी करा लिए गए। आलम यह है कि तहसीलदारों और पटवारियों की मिलीभगत से कब्जे की जमीन पर निर्माण करा दिए गए हैं। यही नहीं राजस्व रिकार्ड में जो भूमि वृक्षारोपण के लिए आरक्षित की गई थी, उन्हें भी दस्तावेजों में हेराफेरी कर कूटरचना कर कब्जाई गई है।

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