निवेशकों की पहली पसंद बना मप्र

ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट

-ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट से मप्र भरेगा आर्थिक उड़ान

कोरोना संक्रमण के दौर से लेकर अब तक मप्र सरकार ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए जो क्रांतिकारी कदम उठाए हैं, उससे आज देश की जीएसडीपी में मप्र का योगदान 3.6 से बढक़र 4.6 प्रतिशत हो गया है। प्रदेश की हिस्सेदारी लगातार बढ़ती जा रही हैं। कोविड के कठिन दौर में इस साल मप्र की ग्रोथ रेट करेंट प्राइसेज पर 19.76 प्रतिशत रही है। ये देश में सबसे ऊपर है। इसमें आने वाले दिनों में और उछाल आने की संभावना है। क्योंकि मप्र निवेशकों की पहली पसंद बनता जा रहा है।

विनोद कुमार उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)।
मप्र आज देश में औद्योगिक हब बनता जा रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी नीतियों के कारण देश-विदेश के उद्योगपति मप्र में उद्योग स्थापित कर रहे हैं। प्रदेश की औद्योगिक उड़ान में पंख लगाने के लिए सरकार 10 और 11 जनवरी को इंदौर में ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट आयोजित करने का रही है। इसी सिलसिले में गतदिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नई दिल्ली और पुणे में देश के प्रमुख उद्यमियों से मप्र में निवेश के संबंध में चर्चा की और उन्हें इंवेस्टर्स समिट में आने का न्यौता दिया। सरकार को उम्मीद है की इस बार समिट में प्रदेश में औद्योगिक निवेश के रिकॉर्ड प्रस्ताव मिलेंगे। गौरतलब है की प्रदेश में समिट से पहले ही निवेश के प्रस्ताव आने लगे हैं। इससे प्रदेश में औद्योगिक निवेश का गति मिल रही है।
ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट को सफल बनाने के लिए शासन स्तर पर तैयारियां शुरू हो गई है। सरकार की तैयारियों को निवेशकों का भरपूर समर्थन मिल रहा है। करीब दर्जनभर कंपनियों ने अभी से मप्र में निवेश की तैयारी शुरू कर दी है। इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले समय में मप्र निवेश का केंद्र बनेगा। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार निवेशकों को आकर्षित करने के लिए समिट के पहले इंदौर में प्रस्तावित 6 क्लस्टर को जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश अधिकारियों को दिए है। कोरोना काल के बाद अब प्रदेश में जनवरी में ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट को बड़े स्वरूप में करने की तैयारी है। इसके तहत लाखों के करार होंगे, जिनके लिए अभी से निवेशक कंपनियां तैयार होने लगी हैं। लगभग 12 कंपनियों ने प्रारंभिक रूप से निवेश की ओर कदम बढ़ाए हैं। कुछ निवेशक जमीन देखने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो कुछ चयन कर चुके हैं। कुछ ने अभी निवेश की रुचि दिखाकर सेक्टर तय किए हैं। इन दिनों प्रदेश में औद्योगिक विकास की तेज रफ्तार हो रहा है। ग्रीन एनर्जी, आर्गेनिक खाद से लेकर लॉजिस्टिक इंडस्ट्री आकार ले रही हैं। भोपाल-राजगढ़ में 250 करोड़ से ग्रीन एनर्जी पार्क बनना है। इसमें 15 टन प्रतिदिन क्षमता का बायोगैस प्लांट, ऑर्गेनिक खाद, 20 मीट्रिक टन प्रतिदिन क्षमता का कार्बन-डाई-ऑक्साइड कैप्चर प्लांट और 10 मेगावाट क्षमता का केप्टिव सोलर पॉवर प्लांट बनेंगे। हाइड्रोजन व अमोनिया गैस भी बनेगी। वहीं भोपाल-इंदौर-जबलपुर-ग्वालियर-कटनी सहित 7 प्रमुख क्षेत्रों में एयरपोर्ट व सडक़ कनेक्टिविटी वाले बड़े लॉजिस्टिक पार्क लाने की तैयारी। भोपाल-इंदौर कॉरिडोर में आष्टा के समीप बड़े क्षेत्र पर एआइ व आईटी हब के लिए प्लान है। पांच नए औद्योगिक क्षेत्रों को 714.56 करोड़ से बनना है। बैरसिया-भोपाल में 25.88 करोड़, आष्टा-सीहोर में 99.43 करोड़, धार में 79.43 करोड़, रतलाम में 462 करोड़ और नरसिंहपुर में 47.82 करोड़ की परियोजना है। इनमें 32 हजार करोड़ का निवेश संभावित है। 38 हजार रोजगार मिलेंगे।

औद्योगिक विकास की संभावनाएं
देश के हृदय प्रदेश में स्थित मप्र में आज औद्योगिक निवेश के लिए सभी संसाधन मौजुद हैं। मप्र में सभी औद्योगिक क्षेत्रों में अपार संभावनाएं हैं। टेक्सटाईल, खाद्य प्र-संस्करण, फार्मास्युटिकल सेक्टर सहित सभी क्षेत्रों में निवेशकों के लिए मध्यप्रदेश आकर्षण का केन्द्र है। यहां सिंगल विन्डो सिस्टम से उद्योग स्थापना संबंधी प्रक्रियाओं को सुगम और समय-सीमा में पूर्ण करना संभव हो रहा है। पर्यटन की दृष्टि से भी मप्र, देश के सबसे समृद्ध राज्यों में से एक है। भारत को वर्ष 2026 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थ-व्यवस्था बनाने के संकल्प को पूर्ण करने मध्यप्रदेश में निवेश प्रोत्साहन के लिये राज्य सरकार प्रतिबद्ध है। प्रदेश में एक लाख 22 हजार एकड़ का लैंड बैंक, पर्याप्त पानी, बिजली, रोड नेटवर्क, दक्ष मानव संसाधन और शांतिपूर्ण वातावरण उपलब्ध है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि प्रदेश में निवेशकों को किसी भी तरह की समस्या आने नहीं दी जाएगी।
दरअसल, कोरोना काल के कारण बीते दो सालों से इंवेस्टर्स समिट नहीं हो सकी है। इससे पहले कांग्रेस सरकार के समय मैग्निफिसेंट एमपी के नाम से इंवेस्टर्स समिट हुई थी। 2020 में सत्ता परिवर्तन हुआ और उसके तत्काल बाद कोरोना का कहर शुरू हो गया। इस कारण इन्वेस्टमेंट प्लान और समिट की तैयारियां धरी रह गई। एक साल से स्थिति सुधर रही है। ऐसे में इंवेस्टर्स समिट को लेकर बड़े निवेश का ग्राउंड तैयार कर लिया गया है। इंवेस्टर्स समिट पहले नवंबर में होनी थी, लेकिन इसे आगे बढ़ाकर जनवरी 2023 में कर दिया गया है। इसके तहत मेगा शो होगा। सामान्यत: अब इंवेस्टर्स समिट में एमओयू नहीं घोषित किए जाते हैं। समिट में केवल ईओआई यानी इंट्रेस्ट ऑफ इंवेस्टमेट प्रस्ताव ही घोषित किए जाते हैं। जनवरी की तैयारी के लिए पहले से निवेशकों से बातचीत की जा रही है। प्रदेश में ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट से पहले की निवेश के प्रस्ताव मिलने शुरू हो गए हैं। जानकारी के अनुसार अब तक करीब 51 हजार करोड़ से ज्यादा के निवेश प्रस्ताव सरकार के पास पहुंच चुके हैं। 12 से ज्यादा ऐसी कंपनियां हैं, जो सहमति निवेश के लिए दे चुकी हैं। कंपनियों के निवेश प्रस्ताव विभिन्न चरणों में हैं। इनमें से कुछ ने जगह भी फाइनल कर दी है। खास बात ये कि ई-व्हीकल, सौर ऊर्जा और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टर में भी इस बार निवेश आना है। 7 इसके लिए प्रारंभिक सहमतियां बनी है। वहीं फूड प्रोसेसिंग, लॉजिस्टिक, टेक्सटाइल और आईटी जैसे सेक्टर भी निवेश के मामले में अभी से फाइनल हो चुके हैं। इन सेक्टर्स में विभिन्न कंपनियों ने रुचि दिखाई है। लगभग छह विदेशी कंपनियों के प्रस्ताव भी गंभीरता से विचार-विमर्श के स्तर पर हैं। यूएस, कनाडा सहित कई देशों की कंपनियों ने निवेश में रुचि दिखाई है। सीएम शिवराज सिंह के दो विदेश दौरे पूर्व में जुलाई में प्रस्तावित थे, लेकिन स्थानीय चुनाव आने के कारण दौरे नहीं हो सके। अब फिलहाल सीएम के पास दौरे मुंबई, बेंगलूरु, हैदराबाद और दिल्ली के प्रस्तावित हैं। विदेश दौरे को लेकर नए सिरे से प्लानिंग की जाएगी। इंदौर में प्रस्तावित 6 क्लस्टर पर तेजी से काम करना शुरू कर दिया है। यह क्लस्टर अलग- अलग इंडस्ट्री सेक्टर के होंगे। जिसमें लगभग 1 हजार 20 करोड़ रुपए की पूंजी का निवेश होगा। सरकार द्वारा तैयार किए जा रहे इन 6 क्लस्टर में 585 उद्योग स्थापित होंगे। जिससे इंदौर में लगभग 18 हजार 500 लोगों को प्रत्यक्ष व इतने ही लोगों को अप्रत्यक्ष रुपए से रोजगार मिलेगा। इंदौर में टॉय क्लस्टर और फर्नीचर क्लस्टर को लेकर एमएसएमई विभाग काम कर रहा है। वहीं बहु उत्पाद क्लस्टर, फार्मा पार्क, दाम मिल क्लस्टर प्लास्टिक क्लस्टर को तैयार किया जा रहा है।

इन्वेस्ट फ्रेंडली प्रदेश है मप्र
देश की राजधानी दिल्ली में टेक्सटाइल राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने देश के प्रमुख उद्यमियों से मप्र में निवेश के संबंध में चर्चा की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने प्रदेश के विकास और यहां उपस्थित व्यवस्थाओं को उद्यमियों के सामने रखते हुए प्रदेश में निवेश करने के लिए प्रेरित किया। मुख्यमंत्री ने उद्यमियों से कहा कि औद्योगिक इकाई स्थापित करने में जो भी बुनियादी सुविधाओं की जरूरत है, वो सभी मध्यप्रदेश में उपलब्ध हैं। प्रदेश में लैंड बैंक है, आप उंगली रखिए और एक महीने के अंदर सारी औपचारिकताएं पूरी करके जमीन आवंटित कर दी जाएगी। इस दौरान सीएम ने उद्यमियों से मध्यप्रदेश में इन्वेस्ट करने की बात कही। सीएम ने कहा कि मध्यप्रदेश इन्वेस्ट फ्रेंडली प्रदेश है। निवेशकों की राह में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए हम तत्पर रहते हैं। आवश्यकता पडऩे पर हम पुरानी नीतियों में भी परिवर्तन करने के लिए तैयार रहते हैं। इस दौरान सीएम ने उद्यमियों से कहा कि मध्यप्रदेश अद्भुत प्रदेश है। जल संपदा, वन संपदा, खनिज संपदा, कृषि संपदा, प्रकृति ने मध्यप्रदेश को भरपूर दिया है। सवाल केवल इच्छाशक्ति का था।
सीएम ने कहा कि देश की जीएसडीपी में मध्यप्रदेश का योगदान 3.6 से बढक़र 4.6 प्रतिशत हुआ है। हमारी हिस्सेदारी लगातार बढ़ती जा रही हैं। मध्यप्रदेश में आज चारों तरफ शानदार सडक़ें और नेशनल हाईवे हैं। कोविड के कठिन दौर में इस साल मध्यप्रदेश की ग्रोथ रेट करेंट प्राइसेज पर 19.76 प्रतिशत रही है। ये देश में सबसे ऊपर है। सीएम ने कहा कि जब हमने सरकार बनाई तो मध्यप्रदेश में ओवरऑल साढ़े सात लाख हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई की व्यवस्था थी। हमारे मन में एक जुनून सवार हुआ कि बिन पानी सब सून। आज हम 45 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गए हैं और 2026 तक 65 लाख हेक्टेयर तक पहुंच जाएंगे। सीएम ने कहा कि बिना बिजली के आज दुनिया चल नहीं सकती है। इसलिए हम बिजली उत्पादन में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। विंड एनर्जी, सौर ऊर्जा, पानी से बिजली उत्पादन करना हो, हमारा जोर ज्यादा से ज्यादा बिजली उत्पादन पर है। रीवा में सबसे बड़ा 750 मेगावाट क्षमता का सौर ऊर्जा प्लांट स्थापित है। अब ओंकारेश्वर डैम के पानी पर सोलर पैनल बिछाकर 600 मेगावाट क्षमता का पावर प्लांट बनाया जा रहा है। मध्यप्रदेश में आज भरपूर बिजली उपलब्ध है। प्रदेश में बिजली उत्पादन के क्षेत्र में भी लगातार काम हो रहा है। हमारा जोर सौर ऊर्जा उत्पादन पर ज्यादा है।

इन्वेस्ट के लिए सबसे अच्छी जगह मप्र
वही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पुणे में इंटरेक्टिव सेशन ऑन इन्वेस्टमेंट अपाच्र्युनिटी इन मध्यप्रदेश कार्यक्रम में निवेश को लेकर उद्योगपतियों के साथ मुलाकात की और जनवरी में इंदौर में होने वाले ग्लोबल इन्वेस्टर समिटि में शामिल होने का भी न्यौता दिया। मुख्यमंत्री ने वर्ष 2016-27 तक प्रदेश की अर्थव्यवस्था को 550 बिलियन डालर बनाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए मुख्यमंत्री ने रोडमैप भी बताया। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर कहा कि मध्यप्रदेश शांति का टापू है। प्रत्येक उद्यम के लिए यहां स्किल मैन पावर की उपलब्धता है। आत्मनिर्भर भारत के लिए आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का रोड मैप हमने बनाया है। हमने तय किया है कि 550 बिलियन डॉलर की इकोनॉमी मध्यप्रदेश को बनाएंगे। चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में हमारे मुख्य फोकस क्षेत्र हैं, इंफ्रा, स्वास्थ्य, शिक्षा, सुशासन और अर्थव्यवस्था एवं रोजगार। मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश इन्वेस्टमेंट के लिए बहुत उत्तम प्रदेश है। ई व्हीकल भविष्य की जरूरत है इसलिए हमने मध्यप्रदेश में ईवी पार्क बनाने का फैसला किया है।
सीएम शिवराज सिंह ने कहा कि मध्य प्रदेश की आर्थिक विकास दर देश में सबसे ज्यादा रही है। भारत के सकल घरेलू उत्पाद में सबसे ज्यादा योगदान करने वाले टॉप के 5 राज्यों में मध्यप्रदेश का नाम है। यहां की अर्थव्यवस्था में 8 फीसदी योगदान मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का है। इसे अगले एक दशक में बढ़ाकर 15 फीसदी करने का हमारा लक्ष्य है। इसके साथ ही पूंजीगत व्यय को बढ़ाकर भी 43 हजार करोड़ रुपए किया गया है। सीएम ने टेक्सटाइल इंडस्ट्री के विकास की संभावनाओं पर भी बात कही। उन्होंने कहा कि एमपी का कपास उत्पादन में देशभर में 5वां स्थान है। प्रदेश में स्किल्ड मैनपावर की प्रचुरता है। पीएम मित्रा स्कीम के अंतर्गत टेक्सटाइल पार्क स्वीकृत करने के लिए प्रस्ताव भेजे गए हैं। इस क्षेत्र में यहां 3513 करोड़ का इन्वेस्ट किया जा रहा है। मध्यप्रदेश चंदेरी सिल्क जैसे पारंपरिक वस्त्रों का गृह राज्य है। इंदौर-भोपाल के बीच एक ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट की स्थापना की जा रही हैं, जो देश का सबसे बड़ा एयरपोर्ट बनेगा। एक स्टेट से दूसरे स्टेट को बेहतर तरीके से कनेक्ट करने के लिए अटल और नर्मदा एक्सप्रेस वे भी बना रहे हैं। सीएम ने कहा कि पीएम मित्रा स्कीम के अंतर्गत प्रदेश को टेक्सटाइल पार्क स्वीकृत करने के लिए हमने 4 प्रस्ताव वस्त्र मंत्रालय को प्रेषित किये हैं। प्रदेश में टेक्सटाइल क्षेत्र में सबसे अधिक 3,513 करोड़ का निवेश किया जा रहा है। मध्य प्रदेश चंदेरी सिल्क जैसे पारंपरिक वस्त्रों का गृह राज्य है, जिसे मिलान फैशन वीक और पेरिस हॉट कुटूर-2021 में व्यापक रूप से प्रदर्शित किया गया। सीएम ने कहा कि मध्यप्रदेश में अब दो हाईवे अटल और नर्मदा एक्सप्रेस-वे बना रहे हैं। ये हाईवे नहीं होंगे, बल्कि दोनों ओर उद्योग के कलस्टर और टाउनशिप डेवलप करेंगे। प्रदेश में फार्मास्युटिकल सेक्टर के लिए सकारात्मक एवं कंड्यूसिव इकोसिस्टम उपलब्ध है। उज्जैन में मेडिकल डिवाइस पार्क की स्थापना के लिए भारत सरकार ने मंजूरी दी है। विश्व की कई बड़ी कंपनियों की इकाइयां प्रदेश में संचालित हैं। प्रदेश का कपास उत्पादन में देश में पांचवां स्थान है। प्रदेश में स्किल्ड मैनपावर की प्रचुरता है। टेक्सटाइल क्षेत्र में सबसे अधिक 3,513 करोड़ रु. का निवेश किया जा रहा है। चंदेरी सिल्क जैसे पारंपरिक वस्त्रों का गृह राज्य मप्र है। जिसे मिलान फैशन वीक और पेरिस हॉट कुटूर-2021 में व्यापक रूप से प्रदर्शित किया गया।

सवा लाख एकड़ जमीन हमारे पास
मुख्यमंत्री ने बताया कि लैंडबैंक हमारे पास तैयार है। 1 लाख 22 हजार एकड़ जमीन अलग-अलग हिस्सों में चिन्हित है। अगर चाहिए तो आपको 1 महीने के अंदर हम दे सकते हैं। इसे क्लिक करके आप देख सकते हैं कि कहां-कहां हमारे पास लैंड के पीसेज है। आप मध्यप्रदेश आकर घूमें, पसंद आए तो बाद में देख लें। कंपरेटिवली अगर देखें तो मप्र में मुंबई-पुणे के मुकाबले जमीन सस्ती उपलब्ध है। पीथमपुर के निकट मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क की स्थापना की जा रही है। सीएम ने कहा कि प्रदेश में फार्मास्युटिकल सेक्टर के लिए सकारात्मक एवं कंड्यूसिव इकोसिस्टम उपलब्ध है। उज्जैन में मेडिकल डिवाइस पार्क की स्थापना के लिए भारत सरकार द्वारा मंजूरी मिल गई है। मध्यप्रदेश के शरबती गेंहू का विश्व भर में निर्यात किया जा रहा है। विश्व की कई बड़ी कंपनियों की इकाइयां प्रदेश में संचालित हैं। उन्होंने कहा कि पांच महीनों में ही 2021-22 में इसी अवधि की तुलना में गेहूं की दोगुनी मात्रा का निर्यात हो रहा है। हमने अप्रैल- अगस्त 2022-23 के दौरान 43.50 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) का निर्यात किया, जो पिछले साल के इसी महीने की तुलना में 116.7 प्रतिशत अधिक था। प्रदेश का कपास उत्पादन में देश में पांचवां स्थान है। प्रदेश में स्किल्ड मैनपावर की प्रचुरता है।
प्रदेश की औद्योगिक क्लस्टर विकास नीति में संशोधन किया जाएगा। प्रदेश में बनने वाले 40 से अधिक क्लस्टर में वास्तविक निवेशकों को ही जमीन दी जाएगी। उद्योग लगाने के नाम पर जमीन लेकर वर्षों तक निर्माण नहीं करने वालों को प्राथमिक सूची से बाहर किया जाएगा। क्लस्टर में जमीन अलॉट होने के बाद उद्योग शुरू करने की समय सीमा तय कर उसका सख्ती के साथ पालन भी किया जाएगा। कुछ औद्योगिक क्लस्टर्स के लिए प्रस्तावित जमीनों को लेकर पेंच आ रहे हैं, उनसे जुड़े मामलों का जनवरी में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट से पहले निराकरण कर लिया जाएगा। उद्योगों के आर्थिक मामलों का निराकरण करने वाले फेसिलिटेशन काउंसिल की सुनवाई भोपाल के अलावा इंदौर में भी करने पर विचार किया जा रहा है। इंदौर आए एमएसएमई विभाग के प्रमुख सचिव पी. नरहरि उद्योगपतियों को इसका आश्वासन दिया है। क्लस्टर में जमीन आवंटन के लिए बनाई गई एसपीवी (स्पेशल पर्पज व्हीकल) के गठन और अधिकारों को पारदर्शी बनाने को लेकर भी सरकार योजना बना रही है। एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज मप्र के अध्यक्ष योगेश मेहता और सचिव तरुण व्यास ने बताया पहले से संचालित औद्योगिक क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं की कमी को लेकर आयुक्त ने विस्तृत प्रेजेंटेशन देने को कहा है। चार साल से प्रदेश में उद्योगों को सब्सिडी से जुड़े प्रकरणों का निराकरण नहीं हो सकता है, टाइम लाइन में निराकरण करने की मांग भी प्रमुख सचिव से की गई है।

2 साल में शुरू होना हैं 42 क्लस्टर
22 जिलों में सरकार अगले 2 साल में 42 औद्योगिक क्लस्टर लॉन्च करने की तैयारी में है। यह क्लस्टर अलग-अलग इंडस्ट्री सेक्टर के होंगे। 10283.35 करोड़ रुपए की पूंजी का निवेश होगा इन क्लस्टर में। 19 क्लस्टर और निजी औद्योगिक क्षेत्रों का लोकार्पण, भूमिपूजन पिछले माह हुआ है। 3 हजार उद्योग स्थापित होंगे इन 42 क्लस्टर में। इससे लगभग 2.50 लाख लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। 6 क्लस्टर इंदौर रीजन में स्थापित करने की योजना है। इंदौर के पास उज्जैन में इंजीनियरिंग और प्लास्टिक क्लस्टर की योजना है, जहां पर 10 उद्योग स्थापित होंगे। 2 टेक्सटाइल क्लस्टर में 355 उद्योग लगेंगे बुरहानपुर में। यहां 900 करोड़ का निवेश और 11 हजार 600 को रोजगार मिलेगा। 1 ग्रीन क्लस्टर बनेगा खंडवा में। 35 करोड़ निवेश होंगे। 8 जिलों में फूड प्रोसेसिंग क्लस्टर बनेंगे, जिसमें 205.20 करोड़ रुपए का निवेश संभावित है।
प्रदेश में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देकर रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए सरकार लगातार निवेश प्रस्तावों को मंजूरी दे रही है। गतदिनों खाद्य प्रसंस्करण, दवा और कपड़ा उद्योग क्षेत्र की कंपनियां प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में इकाइयां स्थापित करने के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई निवेश संवर्धन मंत्रिपरिषद समिति की बैठक में महिमा फाइबर्स कंपनी के 576 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को अनुमति दी गई। कंपनी धार के धरमपुरी और खरगोन के कसरावद में कपड़ा बनाने की इकाई लगाएगी। वहीं, मेसर्स एंडुराफेब कंपनी देपालपुर (इंदौर) में 145 करोड़ रुपये का निवेश करके बड़े बैग सहित अन्य सामग्री तैयार करने की इकाई स्थापित करेगी। कटनी के गुलवारा में केवलानी एग्रो इंडस्ट्रीज 66 करोड़ रुपये की लागत से आटा, सूजी और मैदा तैयार करने की इकाई लगाएगी। इसी तरह देवास के महल्सापुरा में होलनेस फूड्स लिमिटेड 37 करोड़ रुपये के निवेश से आटा और दलिया बनाने का काम करेगी। छिंदवाड़ा में आदिशक्ति राइस मिल 28 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। पीथमपुर (धार) में गुफिक बायोसाइंसेस 238 करोड़ रुपये और एनक्यूब कंपनी 165 करोड़ रुपये का निवेश करके सिरिंज, क्रीम, जेल, लोशन आदि बनाने की इकाई लगाएगी। मेसर्स गुजरात गार्जियन लिमिटेड द्वारा औद्योगिक क्षेत्र मालनपुर घिरोंगी (भिंड) में डेढ़ हजार करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। प्रदेश में जिंदल समूह चार हजार करोड़ रुपये से अधिक लागत से सीमेंट उत्पादन सहित अन्य इकाइयों की स्थापना कर सकता है। समूह के प्रतिनिधियों ने सोमवार को मंत्रालय में मुख्यमंत्री से मुलाकात की और बताया कि पवन ऊर्जा के क्षेत्र में भी निवेश का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।

उद्योग शुरू करने की तय होगी समय सीमा
जनवरी 2023 को होने वाले इनवेस्टर्स समिट में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए सरकार कई ऐसे प्रावधान करने जा रही है, जिससे बड़ी संख्या में निवेशक मप्र का रूख करें। इसी के तहत मप्र की औद्योगिक क्लस्टर नीति में बड़ा बदलाव हो सकता है। इसके संकेत मिलने लगे हैं। ऐसे में उद्योगों के विस्तार व विकास के लिए सरकार ऐसे प्रावधान करने जा रही है, जिससे औद्योगिक क्लस्टर में उद्योग लगाने के नाम पर जमीन लेने वालों को समय सीमा में उद्योग शुरू करने होंगे। जानकारी के अनुसार प्रदेश की औद्योगिक क्लस्टर विकास नीति में जो संशोधन किया जाएगा, उससे प्रदेश में बनने वाले 40 से अधिक क्लस्टर में वास्तविक निवेशकों को ही जमीन दी जाएगी। उद्योग लगाने के नाम पर जमीन लेकर वर्षों तक निर्माण नहीं करने वालों को प्राथमिक सूची से बाहर किया जाएगा। क्लस्टर में जमीन अलॉट होने के बाद उद्योग शुरू करने की समय सीमा तय कर उसका सख्ती के साथ पालन भी किया जाएगा। कुछ औद्योगिक क्लस्टर्स के लिए प्रस्तावित जमीनों को लेकर पेंच आ रहे हैं, उनसे जुड़े मामलों का जनवरी में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट से पहले निराकरण कर लिया जाएगा।
प्रदेश में औद्योगिक निवेश का गति देने के लिए उद्योगों के आर्थिक मामलों का निराकरण करने वाले फेसिलिटेशन काउंसिल की सुनवाई भोपाल के अलावा इंदौर में भी करने पर विचार किया जा रहा है। इंदौर आए एमएसएमई विभाग के प्रमुख सचिव पी. नरहरि उद्योगपतियों को इसका आश्वासन दिया है। क्लस्टर में जमीन आवंटन के लिए बनाई गई एसपीवी (स्पेशल पर्पज व्हीकल) के गठन और अधिकारों को पारदर्शी बनाने को लेकर भी सरकार योजना बना रही है। एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज मप्र के अध्यक्ष योगेश मेहता और सचिव तरुण व्यास ने बताया पहले से संचालित औद्योगिक क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं की कमी को लेकर आयुक्त ने विस्तृत प्रेजेंटेशन देने को कहा है। चार साल से प्रदेश में उद्योगों को सब्सिडी से जुड़े प्रकरणों का निराकरण नहीं हो सकता है, टाइम लाइन में निराकरण करने की मांग भी प्रमुख सचिव से की गई है।

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