शिव ‘राज’ का प्रयास: अब ऑटोमोबाइल का हब बनेगा मप्र

ऑटोमोबाइल

-प्रदेश के पहले ऑटो शो में जगी उम्मीद, कई कंपनियों ने निवेश की जताई उम्मीद
-अब ई-व्हीकल पॉलिसी लांच करने की तैयारी में सरकार

आत्मनिर्भर मप्र बनाने की रणनीति पर काम कर रही शिवराज सरकार का प्रयास है कि मप्र ऑटोमोबाइल्स का अब बने इसके लिए हाल ही में इंदौर में ऑटो एक्स्पो का आयोजन किया गया। इस एक्स्पो से प्रदेश में ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में विकास की किरण दिखाई दी है। क्योंकि एक्स्पो के दौरान बड़ी संख्या में उद्योगपतियों ने मप्र में निवेश की संभावना जताई है।

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार के प्रयास से अब मप्र ऑटोमोबाइल का हब बनेगा। इसकी उम्मीद प्रदेश के पहले ऑटो शो में जगी है। इंदौर में आयोजित तीन दिवसीय ऑटो शो में कई कंपनियों ने प्रदेश में निवेश की इच्छा जताई है। एमपीआईडीसी के अधिकारियों का कहना है कि जिस तरह उद्योगों और निवेश को बढ़ावा देने के लिए औद्योगिक निवेश नीति बनाई गई है, उसी तरह अब ई-व्हीकल पॉलिसी बनाई जाएगी। इससे इंदौर, पीथमपुर सहित मप्र में ऑटोमोबाइल के ई-सेक्टर में उद्योग लगाने या निवेश करने करने वाली कम्पनियों को कई प्रकार की छूट व रियायतें दी जाएंगी।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मप्र को औद्योगिक हब बनाना चाहते हैं। इसके लिए लगातार कार्य किए जा रहे हैं। प्रदेश में बड़े स्तर पर औद्योगिक निवेश हो रहा है। अब इंदौर में संपन्न हुए ऑटो एक्सपो ने नई उम्मीद जगाई है। इंदौर में आयोजित ऑटो शो का आयोजन प्रधानमंत्री के मेक इंडिया का अनुसरण करते हुए किया गया। मध्यप्रदेश की ग्रोथ रेट 19.7 प्रतिशत देश में सबसे ज्यादा है। प्रति व्यक्ति आय 13 हजार से बढक़र 1 लाख 24 हजार प्रतिवर्ष हो गई है। देश की जीडीपी में हमारा योगदान पहले 3.6 प्रतिशत था, अब 4.6 प्रतिशत हो गया है। अब बहुत जल्दी इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपोनेंट मैन्यूफैक्चरिंग के लिए नई पॉलिसी लाने जा रही है। इस पॉलिसी के अंतर्गत सरकार 40 प्रतिशत तक निवेश प्रोत्साहन सहायता उपलब्ध कराएगी।

कोरोना काल में भी 650 उद्योग स्थाापित

गौरतलब है कि पहले एमपी ऑटो शो में दूसरे दिन पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जहां हर साल इस शो के आयोजन की घोषणा कर दी, वहीं अगले वर्ष जनवरी में लगातार चार दिन बड़े आयोजन की भी जानकारी दी। 7 और 8 जनवरी को इंदौर में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के बाद 9 और 10 जनवरी को पहले प्रवासी भारतीय दिवस के आयोजन की भी घोषणा की। मुख्यमंत्री ने शासन की नई स्टार्टअप नीति जल्द जारी करने के साथ ही कहा कि अब प्रदेश बीमारू राज्य नहीं रहा। यहां तक कि कोरोना काल में भी 650 उद्योग स्थापित हुए, जिसके जरिए 40 हजार करोड़ रुपए से अधिक का निवेश आया। मेक इन इंडिया की तर्ज पर आयोजित एमपी ऑटो शो का अब हर साल आयोजन होगा और जल्द ही प्रदेश ऑटोमोबाइल हब के रूप में भी पहचाना जाएगा। सिंगल विंडो सिस्टम के तहत 30 दिन में ही सभी तरह की अनुमतियां उद्योगों को ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के तहत मिल जाती हैं। पीथमपुर को देश का डेट्राइट कहा जाता है। अब ऑटोमोबाइल सेक्टर में पीथमपुर सेक्टर जैसी बात कही जाए। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि मप्र अब बीमारू राज्य नहीं है। 2021-22 में प्रदेश की ग्रोथ रेट देश में सर्वाधिक रही। प्रदेश की पर कैपिटा इनकम वर्तमान में एक लाख 24 हजार रुपए है। देश के जीडीपी में मध्यप्रदेश का योगदान 4.6 प्रतिशत है। प्रदेश निर्यात के क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रहा है। मध्यप्रदेश का गेहूं जिसे देश में सोने के दाने की ख्याति प्राप्त है, उसके निर्यात में कई गुना अधिक वृद्धि आई है। मध्यप्रदेश का बासमती चावल कनाडा और अमेरिका तक अपनी नई पहचान बना चुका है। सिर्फ कृषि के क्षेत्र में नहीं बल्कि उद्योग के क्षेत्र में भी मध्यप्रदेश ने नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं।
ऑटो शो में औद्योगिक संगठन के विनोद अग्रवाल ने कहा कि देश के ऑटो उद्योग का कुल कारोबार करीब 100 बिलियन डॉलर है। इसमें से करीब 30 प्रतिशत हिस्सा हम निर्यात कर रहे हैं। देश की मैन्यूफैक्चरिंग जीडीपी में 35 फीसदी हिस्सेदारी ऑटो इंडस्ट्री की है। देश की जीडीपी में ऑटोमोबाइल उद्योग 7 प्रतिशत हिस्सेदारी कर रहा है। साथ ही यह क्षेत्र 3 करोड़ रोजगार भी दे रहा है। उद्योगपतियों ने कहा कि देश के आटो उद्योगों का कुल कारोबार करीब 100 बिलियन डालर है। इसमें से करीब 30 प्रतिशत हिस्सा हम निर्यात कर रहे हैं। उद्योगपतियों ने मुख्यमंत्री को सुझाव दिया कि एक्सपो को वार्षिक आयोजन के तौर पर मान्यता देते हुए हर वर्ष नियमित आयोजन की घोषणा की जाए। मंत्री दत्तीगांव ने मांग का समर्थन किया। मुख्यमंत्री ने माइक संभालते ही सबसे पहले हर साल आटो शो करवाने का ऐलान किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश का यह पहला ऑटो-शो अब हर साल आयोजित किया जाएगा। उन्होंने उद्योग विभाग एवं इंदौर जिला प्रशासन को कम समय में इतने भव्य कार्यक्रम का आयोजन करने पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि निवेश की दिशा में यह एमपी ऑटो-शो मध्यप्रदेश में एक नई क्रांति लाएगा। नौजवानों को रोजगार मिलेगा, अर्थ-व्यवस्था को गति और आत्म-निर्भर प्रदेश के निर्माण में एक बड़ी छलांग मध्यप्रदेश को मिलेगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का मंत्र मेक इन इंडिया पर एमपी ऑटो-शो किया जा रहा है। इंदौर देश की सबसे क्लीन नहीं बल्कि ग्रीन सिटी भी बनने जा रहा है। एमपी ऑटो-शो में लॉन्च हुए इलेक्ट्रिक एवं ग्रीन व्हीकल को दृष्टिगत रखते हुए कहा जा सकता है कि वह दिन दूर नहीं जब ई-व्हीकल के उपयोग करने का एक नया रिकॉर्ड इंदौर बनाएगा।

बनेगा औद्योगिक विकास का ईको सिस्टम

प्रदेश में औद्योगिक विकास और निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए शासन द्वारा नई स्टार्टअप पॉलिसी मई में जारी की जाएगी। इससे प्रदेश में औद्योगिक विकास का ईको सिस्टम बनेगा। पीथमपुर में स्किल डेवलपमेंट एकेडमी की स्थापना की जा रही है। इसके लिए जरूरी भवन और अधोसंरचना शासन द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी। एकेडमी में प्रशिक्षण ले रहे युवाओं के कैपेसिटी बिल्डिंग के लिए डेनमार्क, स्वीडन, जापान,जर्मनी के साथ टेक्नोलॉजी कोलाबरेशन किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार पीथमपुर और मप्र में आटोमोबाइल उद्योगों की ओर से हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के निवेश प्रस्तावों पर सहमति बन चुकी है।
प्रदेश सरकार मई में स्टार्टअप नीति के साथ इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए नई नीति घोषित करेगी। लोकेशन, पानी, जमीन की उपलब्धता के लिहाज से मप्र में उद्योगों के लिए आज भी आदर्श स्थिति है। इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपोनेंट मैन्यूफैक्चरिंग के लिए आ रही नई नीति में 40 प्रतिशत तक टैक्स राहत निवेश प्रोत्साहन सहायता के तहत उपलब्ध कराई जाएगी। अगर उद्योग निजी या अविकसित सरकारी भूमि पर स्थापित होते हैं तो बिजली, पानी, सडक़ पर किए व्यय की प्रतिपूर्ति सरकार करेगी। उद्योगों को पावर टैरिफ में राहत मिलेगी। आरएंडडी के साथ गुणवत्ता प्रमाणन के लिए उद्योग द्वारा किए गए खर्च की प्रतिपूर्ति भी सरकार करेगी। उद्योग दिव्यांगजन को ट्रेनिंग देते हैं, नौकरी देते हैं तो कौशल विकास और पीएफ राशि की प्रतिपूर्ति भी मप्र सरकार करेगी। इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी, स्टाम्प ड्यूटी, अपशिष्ट प्रबंधन से जुड़े प्रस्तावों पर केस टू केस विचार कर राहत मिल सकेगी।
मुख्यमंत्री का कहना है कि मध्यप्रदेश में औद्योगिक विकास और निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए शासन द्वारा नई स्टार्ट-अप पॉलिसी मई माह में जारी की जाएगी। हमारे युवाओं के पास नवाचार से भरे विचार है और विचारों को सार्थक रूप देने के लिए राज्य शासन द्वारा आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। स्टार्ट-अप पॉलिसी से एक नया वातावरण मध्यप्रदेश की धरती पर निर्मित होगा। मध्यप्रदेश देश का हृदय स्थल है, यह पूरे देश से सेंट्रली कनेक्टेड है। प्रदेश में जमीन की उपलब्धता में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं है।उन्होंने कहा कि कोरोना काल के दौरान मध्यप्रदेश के फार्मा सेक्टर ने देशभर में दवाइयों की आपूर्ति की थी। पीथमपुर हमारा औद्योगिक हब है, जहां दो लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार प्राप्त हो रहा है। मध्यप्रदेश में सिंगल विंडो सिस्टम स्थापित किया गया है, जहाँ 30 दिन के अंदर इंडस्ट्रियल क्लीयरेंस उपलब्ध कराए जाते हैं। निवेश की राह में जो भी बाधा आ रही है उनको दूर करने के लिए अनेक नीतियों से च्च्इज ऑफ डूईंगज्ज् बिजनेस स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है। विभिन्न सेक्टर के लिए स्पेसिफिक नीतियाँ बनाई गई हैं।

प्रदेश की शांति, उद्योगों के लिए अहम

उद्योगपतियों ने कहा कि अभी निवेश के लिए बेहतरीन समय है। आने वाले समय में 75 हजार करोड़ से एक लाख करोड़ के निवेश की उम्मीद की जा रही है। उद्योग प्रतिनिधियों ने मप्र की नीति और लोकेशन को तो उद्योगों के लिए मुफीद करार दिया। साथ ही यहां की शांति को भी अहम बताया। उन्होंने कहा कि अब हमें लोगों के बीच जाकर बताना होगा कि यहां की खासियत क्या है। उन्होंने कहा कि अभी यूरोप में चल रहे वाल्वो कंपनी के ट्रकों के इंजन जो यूरो-6 तकनीक के हैं, वे भी पीथमपुर से ही बनाकर निर्यात किए जा रहे हैं। प्रदेश के औद्योगिक नीति व निवेश प्रोत्साहन मंत्री राजवर्धन दत्तीगांव ने कहा कि अभी पूरी सरकार यहीं मौजूद है, रेड कारपेट बिछा है, जो निवेश करना चाहते हैं अभी आएं और मिलें।
मुख्यमंत्री का कहना है कि प्रदेश में स्थापित किए गए आईटीआई और उद्योगों में समन्वय स्थापित कर उद्योगों की मांग के अनुरूप स्किल्ड मैनपॉवर उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा। इससे रोजगार के नए अवसरों का सृजन होगा। मुख्यमंत्री कहते हैं किपीथमपुर को देश का डेट्रॉइट कहा जाता था। अब हमें प्रयास यह करना है कि जब भी कोई ऑटोमोबाइल सेक्टर की बात करें तो वह कहें कि यह सेक्टर पीथमपुर जैसा बनाया जाना चाहिए। यह ऑटो-शो उसी दिशा में एक नया पड़ाव है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सीआईआई आयसर द्वारा पीथमपुर में स्किल डेवलपमेंट एकेडमी की स्थापना की जा रही है। राज्य शासन की ओर से उन्हें आश्वस्त किया जा रहा है कि एकेडमी की स्थापना के लिए जरूरी भवन और अधो-संरचना शासन द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे हमारे युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर मिल सके। उन्होंने कहा कि इस सेंटर की स्थापना के लिए 2 एकड़ भूमि जिसमें भवन बना हुआ है, उस को चिन्हित कर लिया गया है। इस एकेडमी को जल्द से जल्द शुरू किया जाएगा। एकेडमी में प्रशिक्षण ले रहे युवाओं के कैपेसिटी बिल्डिंग के लिए डेनमार्क, स्वीडन, जापान और जर्मनी के साथ टेक्नोलॉजी कोलेबोरेशन किया जाएगा। एकेडमी को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में नई पहचान दिलाई जाएगी।
मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव कहते हैं कि मुख्यमंत्री के प्रयास और संकल्प से ही एमपी ऑटो-शो 2022 संभव हो सका है। इस आयोजन से हम मध्यप्रदेश में औद्योगिक विकास के लिए बेहतर इकोसिस्टम और सुविधाएँ प्रदान करने का प्रयास कर रहे हैं। मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा ने कहा कि इंदौर में जल्द ही नया टेक्नोलॉजी पार्क स्थापित किया जायेगा, जिससे हम स्किल डेवलपमेंट की दिशा में कार्य कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में औद्योगिक क्लस्टर्स बनाए जा रहे हैं, उद्योगपतियों की माँग अनुरूप हम इन क्लस्टर को ट्रेड स्पेसिफिक भी बनाने का प्रयास करेंगे। मंत्री तुलसीराम सिलावट ने कहा कि मुख्यमंत्री चौहान जो भी बोलते हैं वह अवश्य करते हैं। उनके इसी संकल्प का परिणाम है एमपी ऑटो-शो। यह ऑटो-शो सिर्फ प्रदेश में नहीं बल्कि देश में भी अपनी छाप छोड़ेगा। (एजेंसी, हि.स.)

ऑटोमोबाइल कम्पनियों ने मांगीं प्लांटों के लिए जमीनें

तीन दिवसीय पहला ऑटो एक्स-पो का समापन हुआ। हालांकि कई जानी-मानी कम्पनियां हिस्सा नहीं ले सकीं, वहीं कम समय में ऑटो एक्स-पो की तैयारियां की गईं। बावजूद इसके यह पहला आयोजन सफल रहा। 52 हजार से अधिक इंदौरियों ने भी ऑटो शो में रखी गई आधुनिक साइकिलों, दोपहिया वाहनों से लेकर कार-जीप से लेकर बड़े वाहनों को भी निहारा। मुख्य आकर्षण का केन्द्र इलेक्ट्रॉनिक गाडिय़ां रहीं। इस एक्स-पो में 11 कम्पनियों के 15 वाहनों की जहां लॉन्चिंग हुई, वहीं 250 मीटिंगें भी ऑटोमोबाइल सेक्टर से जुड़े उद्योगपतियों-निवेशकों से हुईं और लगभग दो दर्जन ने जमीनें भी मांगी हैं। इस आयोजन में कई स्टार्टअप कम्पनियों की भी मौजूदगी रही, वहीं एमएसएमई सेक्टर को भी प्रोत्साहन मिलने का अनुमान है। सुपर कॉरिडोर और बिजासन रोड जंक्शन पर 25 एकड़ में आयोजित इस ऑटो एक्स-पो में लगभग 100 कम्पनियों ने हिस्सा लिया, जिनमें कई वाहन बनाने वाली, तो बाकी कम्पनियां कलपुर्जे, टायर-ट्यूब से लेकर अन्य ऑटोमोबाइल सेक्टर से जुड़ी शामिल हुईं। लगभग एक हजार ऑटोमोबाइल क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने इस ऑटो एक्स-पो में हिस्सा लिया। बैटरी से चलने वाली आधुनिक साइकिलों से लेकर दोपहिया और अब जो नए ई-वाहन लॉन्च हो रहे हैं, उन्हें भी देखा गया। एमपीएसआईडीसी का कहना है कि लगभग दो दर्जन ऑटोमोबाइल सेक्टर से जुड़े उद्योगपतियों ने जमीनों की मांग भी की है, वहीं सबसे अधिक रुझान इलेक्ट्रिक वाहनों में देखा गया।

अब नौकर नहीं, मालिक बनने का जुनून

प्रदेश सरकार की हर युवा को आत्मनिर्भर बनाने की पॉलीसी का परिणाम है की अब स्टार्टअप की संख्या के मामले में प्रदेश का नाम तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस लिहाज से देश के टाप 10 नगरों में इंदौर का भी नाम शामिल हो गया है। स्टार्टअप की संख्या नगर में अचानक बढ़ी है। 2020 तक करीब 300 स्टार्टअप हुआ करते थे, लेकिन जनवरी 2022 तक संख्या करीब 700 हो गई है। इस वर्ष की शुरुआत में स्टार्टअप के लिए पहली बार बड़े स्तर पर कार्यक्रम कराने के दौरान पता लगा कि कई स्टार्टअप घरों में शुरू हो गए हैं। अब इनका डाटा तैयार किया जा रहा है। सबसे ज्यादा आइटी क्षेत्र के स्टार्टअप संचालित हो रहे हैं और अब तेजी से इलेक्ट्रिक वाहन बनाने के लिए भी युवा आगे आ रहे हैं। पीथमपुर में ई- वाहन बनाने के लिए तीन बड़ी परियोजनाएं नगर के युवाओं ने शुरू की हैं। इसमें से एक ई-फाई स्टार्टअप ने खुद से पांच करोड़ रुपये का निवेश किया। पहले तक एक जैसे आइडिया पर काम करने वाले स्टार्टअप अब नवाचार को बढ़ा रहे हैं। इन्वेस्ट इंदौर के सचिव सावन लड्ढा का कहना है कि 700 स्टार्टअप में से करीब 100 ऐसे स्टार्टअप हैं, जिनका निवेश 10 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। कुछ स्टार्टअप एक हजार से दो हजार करोड़ रुपये तक के बन गए हैं। दो ऐसे स्टार्टअप भी हैं, जिनका निवेश 6 हजार करोड़ रुपये से ऊपर पहुंच गया है।
इंदौर में आइटी क्षेत्र में काम करने वाले 250 से ज्यादा स्टार्टअप हैं। इनमें से कई की शुरुआत कोरोना महामारी के दौरान हुई है। दुनियाभर में आटोमेशन की मांग बढऩे से आइटी क्षेत्र में बूम की स्थिति है। इसका लाभ उठाते हुए कई युवाओं ने नौकरी छोडक़र स्टार्टअप शुरू कर दिए। रैक बैंक के संस्थापक नरेंद्र सेन का कहना है कि इंदौर देश के बीच में स्थित है। ऐसे में बेंगलुरु, हैदराबाद और अन्य बड़े नगरों की आइटी कंपनियां भी नगर में आ गईं। यहां काम करने का अच्छा माहौल मिलने से और भी कंपनियां अगले महीनों में आएगी। इस वर्ष प्रदेश के टाप कालेजों की स्थिति देखें तो आइटी क्षेत्र में नौकरियों की भरमार है। अब यह स्थिति है कि युवा नौकरी के आफर लेने से मना कर रहे हैं। इंदौर आंत्रप्रेन्योर नेटवर्क संस्थापक अतुल भारत का कहना है कि इस वर्ष आइआइटी सहित इंदौर के बड़े इंजीनियरिंग कालेजों के 30 प्रतिशत विद्यार्थियों ने नामी कंपनियों के लाखों के पैकेज लेने से मना कर दिया। अब युवा स्टार्टअप से अपने आइडिया को उत्पाद में बदलना चाहते हैं। नगर इसी गति से बढ़ता रहा तो इंदौर का नाम स्टार्टअप के मामले में पांच वर्ष में देश में दूसरे या तीसरे पायदान पर पहुंच जाएगा।

स्टार्टअप बनाओ और 1 करोड़ का पुरस्कार पाओ

युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने और रोजगार दिलाने के लिए सरकार कई आकर्षक योजनाएं ला रही है। प्रधानमंत्री जल्द ही मध्यप्रदेश की पहली स्टार्टअप पॉलिसी और पोर्टल लांच करने वाले हैं। नई स्टार्टअप पॉलिसी में युवाओं को उद्यमिता की ओर प्रोत्साहित करने के लिए कई तरह की राहत दी गई है। नीति में मप्र स्टार्टअप इनोवेशन चैलेंज पुरस्कार स्थापित किया है, यह सरकार की समस्याओं का नवाचारी हल बताने पर 1 करोड़ रुपए का पुरस्कार दिलाएगा। मप्र की स्टार्टअप पॉलिसी का कार्य क्षेत्र विस्तृत बनाया गया है। इसे इनोवेटिव आइडियाज तक ही सीमित नहीं किया गया है। सरकार अब इनोवेटिव प्रॉडक्ट मेन्यूफेक्चरिंग स्टार्टअप को भी सहायता देगी। यह जानकारी एमएसएमई विभाग के आयुक्त पी. नरहरि ने ऑटो शो में आयोजित सेमिनार में दी। उन्होंने बताया, अब स्टार्टअप का क्षेत्र सीमित नहीं है। आइटी, फिनटेक व इनोवेटिव आइडिया को इनक्यूबेट करने वाले स्टार्टअप के साथ उत्पादन क्षेत्र में इनोवेटिव आइडियाज को भी पोषित किया जाएगा। इससे एमएसएमई को नया आयाम मिलेगा। उन्होंने बताया, नीति में फाइनेंशियल राहत ही नहीं देंगे, एम्प्लायमेंट जनरेशन ग्रांट और अन्य छूट भी दी जाएगी। ऑटो सेक्टर में ईवी टेक्नालॉजी के साथ इनोवेटिव फ्यूल प्रॉडक्शन में क्रांति होने वाली है। नीति का उद़्देश्य नवाचार को प्रोत्साहित करना है। स्टार्टअप नीति का प्रकाशन कर दिया गया है। इंदौर में ऑटोमेटिव पार्ट क्लस्टर भी तैयार किया जा रहा है।
प्रदेश में नई नीति के नए प्रावधान से युवाओं के भविष्य बदलेंगे। मप्र स्टार्टअप इनोवेशन चैलेंज पुरस्कार शुरू किया गया है। सरकारी विभागों की कई समस्याएं है। सरकार सभी विभागों की समस्याएं स्टार्टअप के समक्ष रखेगी। इनके लिए खुले तौर पर हल मांगे जाएंगे। स्टार्टअप द्वारा प्रस्तुत निराकरण का परीक्षण करवाएंगे। यदि यह निराकरण उस विभाग की समस्या के निराकरण पर खरा उतरेगा तो उस पर अमल किया जाएगा। इसके लिए आइडिया जनरेट करने वाले स्टार्टअप को 1 करोड़ रुपए का पुरस्कार देंगे। स्टार्टअप मेचिंग फंड सीड फंड की तरह होगा। स्टार्टअप को आरबीआइ या सेबी से अधिकृत संस्थान से निवेश मिलता है तो सरकार इसमें 15 प्रतिशत राशि देगी। जैसे-यदि 1 करोड़ का निवेश मिला तो सरकार इस पर 15 लाख रुपए देगी। यह राहत चार बार ली जा सकेगी। महिलाओं को 20 प्रतिशत की अतिरिक्त छूट मिलेगी। एम्प्लायमेंट जनरेशन ग्रांट प्रावधान भी पहली बार किया गया है। इसमें सरकार एम्प्लायमेंट जनरेट करने पर कंपनी को प्रति रोजगार 5 हजार रुपए की सहायता देगी। इसके अलावा ट्रेनिंग के लिए भी अलग से राशि दी जाएगी। यह ग्रांट तीन साल के लिए होगी।

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