
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र ऐसा राज्य है, जहां पर साल दर साल जंगल साफ होता जा रहा है। इसमें अवैध कटाई से लेकर आगजनी जैसी घटनाओं पर रोक लगाने में हर साल नाकाम साबित हो रहा है। यही वजह है कि प्रदेश में हर साल हजारों हेक्टेयर का वन क्षेत्र मैदानी इलाके में बदल जाता है। इसके बाद भी वन विभाग इन दोनों ही मामलों में रोक लगाने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा है। अब एक बार फिर गर्मी का मौसम दस्तक दे चुका है और प्रदेश के जंगलों में आगजनी की घटनाएं होना शुरू हो गई हैं। हर दिन इस तरह की दर्जनों घटनाएं सामने आ रही हैं। एक अनुमान के मुताबिक प्रदेश में लगभग हर साल करीब डेढ़ लाख हेक्टेयर जंगल खाक हो जाता है, लेकिन वन विभाग इससे इत्तेफाक नहीं रखता है और वह महज 10 फीसदी हिस्से में ही आगजनी की घटनाओं को बताता है। खास बात यह है कि सरकार द्वारा विभाग को आगजनी की घटनाओं को रोकने के लिए हर साल करोड़ों रुपए दिए जाते हैं। अगर विभाग के आंकड़ों को ही देखें तो हर साल विभाग आग रोकने पर 12 करोड़ रुपए खर्च करता है। यह खेल हर साल खेला जाता है। बीते ही साल करीब एक लाख हेक्टेयर से अधिक का जंगल खाक हुआ है , लेकिन विभाग के आंकड़े इसे महज 14012 हेक्टेयर जंगल ही नष्ट होना बता रहा है। विभाग करीब 12 करोड़ खर्च करने के बाद भी घटनाओं पर लगाम लगाने में नकारा साबित हो रहा है। प्रदेश में 94,689 वर्ग किमी. वन क्षेत्र है। इसमें 61,886 वर्ग किमी आरक्षित वन, 31,098 वर्ग किमी संरक्षित वन और 1705 वर्ग किमी अन्य वन क्षेत्र है। फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार जंगलों में आग लगने की घटनाओं में ओडिशा के बाद मप्र दूसरे नंबर पर है। हर साल आगजनी से जंगल में चारे का संकट भी खड़ा हो जाता है। इससे पेड़-पौधों के साथ जीव-जंतुओं को भी नुकसान होता है। वन्य प्राणियों को भोजन की तलाश में दूर तक प्रवास करना पड़ता है।
लगा दी जाती है जंगल में आग
करीब चार साल पहले 2019 में केंद्र ने जंगल की आग की घटनाओं को राष्ट्रीय आपदा घोषित कर दिया था। राष्ट्रीय आपदा मिशन के अनुसार 95 प्रतिशत घटनाएं मानव जनित होती है। ट्राइबल बेल्ट में अब भी आस्था के नाम पर मन्नत पूरी होने पर जंगलों में आग लगा दी जाती है। इससे भी हर साल हजारों हेक्टेयर जंगल नष्ट हो जाता है। विदिशा, दमोह, डिंडौरी और देवास में सबसे ज्यादा घटनाएं होती हैं। इसके रोकथाम के लिए विभाग द्वारा 966 लीफ ब्लोअर खरीदे गए हैं। इसी तरह से विभाग का दावा है कि विभाग के 40 डिविजन में 45 ड्रोन से जंगलों की निगरानी की जाती है। 7 हजार फायर बिटर्स भी हैं। ग्रामीणों को रोककर भी आग को रोक रहे हैं। मप्र में आगजनी रोकने पर सबसे अच्छा काम हो रहा है। अब हम 8वें नंबर पर पहुंच गए हैं। जल्द ही स्थिति और बेहतर होगी।