
-पुलों का ऑडिट कराने पीडब्ल्यूडी ने जिलों से मांगी रिपोर्ट
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश सहित देशभर में जहां अंग्रजों के जमाने के पुल खड़े हैं और उन पर यातायात जारी है, वहीं नए बने पुल भरभराकर गिर रहे हैं। अभी हाल ही में भोपाल- जबलपुर हाईवे पर कलियासोत नदी पर बने पुल की सर्विस रोड धंस गई थी। इससे पहले भी 10 अप्रैल को भोपाल-नागपुर हाईवे पर सुखतवा में अंग्रेजों के जमाने का पुल ढह गया था। वैसे प्रदेश में करीब 108 पुल ऐसे हैं, जिन्हें अंग्रेजों ने आजादी के कुछ साल पहले बनवाया था, लेकिन इनमें से कई पुलों पर आज भी धड़ल्ले से वाहनों का आवागमन हो रहा है। हालांकि पीडब्ल्यूडी ने इन पुलों का ऑडिट कराने जिलों से रिपोर्ट मांगी है। गौरतलब है कि पिछले साल बहुत ज्यादा बारिश की वजह से ग्वालियर-चंबल में 7 पुलों के ढहने के बाद सरकार इन पुलों का आंकलन करा रही है। इसके आधार पर तय होगा कि किस पुल की मरम्मत की जाना है, किसे जर्जर घोषित करते हुए ट्रैफिक बंद करना है। उधर, छिंदवाड़ा के लोधीखेड़ा-खमारपानी रोड पर स्थित कन्हान नदी पर बने क्षतिग्रस्त हुए पुल पर ट्रैफिक बंद कर दिया गया है। यह पुल 60 साल पहले बना था। टीकमगढ़ जिले के ओरछा स्थित जामनी और बेतवा नदी पर बने पुल जर्जर हैं। नदी में पानी के तेज बहाव से पुलों पर लगा राजशाही पत्थर कई जगह से उखड़ गया है। वहीं, पुल के किनारों पर लोहे के सरिए निकल आए हैं। वहीं, कई जगहों पर पुल धंसकने की कगार पर पहुंच गया है। अब पुल पर पैदल चलना भी खतरे से खाली नहीं है। प्रमुख अभियंता सेतु परिक्षेत्र संजय खांडे का कहना है कि पिछले साल ग्वालियर चंबल में 24 घंटे के भीतर 18 इंच पानी गिरने की वजह से 7 पुल ढह गए थे। इनकी डिजाइन आजादी से पहले बने पुलों जैसी नहीं थी। अंग्रेजों के समय आर्च टेक्नोलॉजी वाले पुल बनाए जाते थे। वर्तमान में इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। आजादी के समय के 70 पुलों को मेंटेनेंस के लिए चिन्हित किया गया है। इसमें से 40 पर काम पूरा हो चुका है।
941 पुलों की जानकारी मांगी
इटारसी-नागपुर नेशनल हाईवे पर पुल का हिस्सा ढहने के बाद लोक निर्माण विभाग ने प्रदेश के 941 पुलों की जानकारी मांगी है। आजादी के पहले बने पुलों का सेफ्टी आॅडिट करा रहे हैं। ऐसे पुल जो सिंगल लेन हैं, उन्हें चौड़ा करने का प्लान तैयार किया जा रहा है। सेतु परिक्षेत्र के प्रमुख अभियंता संजय खांडे ने बताया कि अंग्रेजों के समय आर्च टेक्नोलॉजी वाले पुल बनाए जाते थे। वर्तमान में इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा। 70 पुलों को मेंटेनेंस के लिए चिह्नित किया गया था। इसमें से 40 पर काम पूरा हो चुका है।
बेसली नदी पर पुराने पुल में आई दरारें
भिंड जिले के गोहद से गोहद चौराहा को जोडने वाली बेसली नदी पर बना 46 साल पुराना पुल फिर जर्जर हो गया है। करीब 150 मीटर लंबाई के इस पुल की स्लैब रोड में उभरी दरारों से जॉइंट पर सरिया की चटाई निकल आई है। जॉइंट खुलने के साथ ही रोड पर सरिया निकल आए हैं। पुल के पिलर में दरारें भी आ गई हैं। लोक निर्माण विभाग के अफसरों को जानकारी होने के बाद भी अभी तक न तो मरम्मत की गई और न ही ट्रैफिक रोका गया। बता दें, बेसली नदी पर 2.70 करोड़ की लागत से जनवरी 2021 में नया पुल बनकर तैयार हुआ था, लेकिन पुल में उद्घाटन से पहले दरारें आ गई थीं, जिनकी मरम्मत की गई।
125 साल पुराने पुल पर जारी यातायात
विदिशा में बेतवा नदी पर बना रंगई पुल सिंधिया रियासत के समय का है। इसे 1897 में विदिशा के जमींदार गौरीशंकर श्रीवास्तव ने बनवाया था। इससे जुड़ा एक किस्सा क्षेत्र में मशहूर है। बताते हैं कि सिंधिया रियासत किसी बात से नाराज हो गई। उन्होंने जमींदार गौरीशंकर श्रीवास्तव पर एक कौड़ी का जुर्माना लगाया था, लेकिन श्रीवास्तव ने गलती स्वीकार न करते हुए जुर्माना भरने से इनकार कर दिया। तब सिंधिया रियासत ने उन्हें जनकल्याणकारी कार्य करने के लिए कहा। श्रीवास्तव ने तब एक कौड़ी के बदले, बेतवा नदी पर रंगई पुल बनवाया। इसका जिक्र हनुमान मंदिर की तरफ पुल पर लगे शिलालेख में भी था, लेकिन कुछ साल पहले वह शिलालेख एक हादसे में टूटकर नदी में गिर गया था। 1965 की बाढ़ में पुल क्षतिग्रस्त हो गया था। 2009 में रिंग रोड और नए पुल के लिए प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा। जिला प्रशासन का दावा है कि नया पुल बनाने के लिए 10 करोड़ मंजूर हुए। 125 साल पुराने पुल से अब ट्रैफिक चालू हो चुका है।