लोग यह न मानें कि कि न्यायपालिका विपक्ष की भूमिका निभाएगी: डीवाई चंद्रचूड़

डीवाई चंद्रचूड़

नई दिल्ली। भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (चीफ जस्टिस) डीवाई चंद्रचूड़ ने एक साक्षात्कर में न्यायपालिका की भूमिका को लेकर स्पष्ट जवाब दिए। दरअसल, चंद्रचूड़ की यह टिप्पणी राहुल गांधी के उस बयान को लेकर आई, जिसमें कांग्रेस नेता ने कहा था कि विपक्ष ने न्यायपालिका का काम करने की जिम्मेदारी भी खुद पर ही ले ली है। इस पर पूर्व सीजेआई ने कहा कि न्यायपालिका यहां कानूनों का परीक्षण करने के लिए है और लोगों को यह नहीं मान लेना चाहिए कि वह (न्यायपालिका) संसद और राज्यों की विधानसभा में विपक्ष की भूमिका भी निभाएगी।

चंद्रचूड़ ने कहा कि लोकतंत्र में राजनीतिक विपक्ष के लिए अलग जगह है। उन्होंने कहा, “मैं इस मुद्दे पर विपक्ष के नेता के साथ शामिल नहीं होना चाहता, क्योंकि हम यहां इस मुद्दे पर बात करने के लिए नहीं हैं। लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि कई बार यह गलतफहमी होती है कि न्यायपालिका की भूमिका विधायिका में विपक्ष की होती है, जबकि ऐसा नहीं है। हम यहां कानूनों के परीक्षण के लिए हैं।” पूर्व सीजेआई ने कहा, “हम यहां कार्यपालिका के कामों की जांच की जिम्मेदारी मिली है कि वह कानून और संविधान के तहत हैं या नहीं। लोकतंत्र में राजनीतिक विपक्ष के लिए अलग जगह है। लेकिन लोग न्यायपालिका के कंधे पर बंदूक रखकर गोली चलाना चाहते हैं और न्यायालयों को राजनीतिक विपक्ष की जगह में बदलना चाहते हैं।”

चंद्रचूड़ से जब प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता से मुलाकात को लेकर सोशल मीडिया मंचों पर चर्चा को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि इंसानों के तौर पर आधिकारिक बैठकों में सामाजिक होना प्राकृतिक बात है। उन्होंने कहा, “कई बार ऐसा होता है कि आप विपक्ष के नेता से बात करते हैं। उदाहरण के तौर पर हमारे कई विधानों में कहा गया है कि कुछ पदों पर नियुक्ति के लिए प्रधानमंत्री, चीफ जस्टिस और विपक्ष के नेता की सेलेक्शन कमेटी होगी। अब उसमें आपको चर्चाएं करनी होती हैं और आप किसी निष्कर्ष पर पहुंचते हैं। जब आप निष्कर्ष पर पहुंच जाते हैं तब इंसान होने के नाते आप 10 मिनट चाय पर बिताते हैं। आप क्रिकेट से लेकर फिल्मों और अन्य चीजों के बारे में भी चर्चा करते हैं।” प्रधानमंत्री मोदी को गणपति पूजा के दौरान अपने घर बुलाने पर उठे विवाद पर पूर्व सीजेआई ने कहा, “यह कोई अनोखी घटना नहीं थी। यह एक सामाजिक मिलाप था। मैं कह चुका हूं कि पहले भी प्रधानमंत्री जजों और अन्य सामाजिक कार्यक्रमों में मिलते रहे हैं। लेकिन हम जो काम करते हैं, उसमें हम एक-दूसरे से बिल्कुल स्वतंत्र हैं।”

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