100 फीसदी वीवीपैट मिलान की इजाजत न देना मतदाताओं से छल: जयराम रमेश

जयराम

नई दिल्ली। कांग्रेस ने चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने पर जोर देते हुए बुधवार को कहा कि ‘वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट’ (वीवीपैट) पर्चियों के 100 फीसदी मिलान की अनुमति नहीं देना मतदाताओं के साथ अन्याय है।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच पर कहा कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्ल्युसिव एलायंस’ (इंडिया) के घटक दलों की यह मांग रही है कि वीवीपैट पर्चियों के मिलान को बढ़ाकर सौ फीसदी किया जाए। रमेश ने कहा कि आठ अप्रैल, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग से वीवीपैट पर्ची मिलान वाले चुनाव बूथों की संख्या बढ़ाने का अनुरोध किया था। 

उन्होंने अदालती मामले का उल्लेख करते हुए कहा, मामला ‘एन चंद्रबाबू नायडू बनाम भारत संघ’ है। हां, वही चंद्रबाबू नायडू जो कभी हाई-टेक मुख्यमंत्री के रूप में जाने जाते थे। नायडू तब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने कहा, इस मुद्दे पर ‘इंडिया’ घटक दलों के साथ बातचीत करने में निर्वाचन आयोग की अनिच्छा और भी अधिक सवाल उठाती है। रमेश ने सवाल किया कि क्या निर्वाचन आयोग को इस तकनीक में अधिक जवाबदेही और पारदर्शिता लाने के लिए प्रयास नहीं करना चाहिए।

कांग्रेस ने बुधवार को केंद्र सरकार पर कुछ चुनिंदा बड़े कॉर्पोरेट समूहों को कर लाभ देने और देश के आम लोगों के साथ अन्याय करने का आरोप लगाया। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि व्यक्तिगत आय पर लगने वाले कर से प्राप्त धन कॉर्पोरेट कर से अधिक है। उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अपने दोस्तों के लिए कॉर्पोरेट कर में कटौती करने का परिणाम है, जबकि गरीब लोग मूल्य वृद्धि और अत्यधिक करों से जूझ रहे हैं।

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