
इस्लामाबाद। पाकिस्तान दुनियाभर में आतंकवाद की फैक्ट्री के नाम से प्रसिध्द है। भारत में मुंबई, दिल्ली हमलों के पीछे पाकिस्तान का ही हाथ सामने आया है। जिन लोगों पर आतंकी हमलों का आरोप है वह पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहे हैं। लेकिन अब पाक पीएम शहबाज शरीफ ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एनएससी) की बैठक बुलाई जिसमें देश से आतंकवाद के सभी रूपों को खत्म करने के लिए एक व्यापक अभियान शुरू करने का फैसला किया गया।
एनएससी की 41वीं बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री शहबाज ने की, जिसमें कैबिनेट मंत्री, मुख्यमंत्री, सेवा प्रमुख, खुफिया प्रमुख और अन्य अहम प्रशासनिक तथा सैन्य अधिकारी शामिल हुए। प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में शुक्रवार को कहा गया कि बैठक में पूरे देश और सरकार के समर्थन से व्यापक अभियान शुरू करने का फैसला किया गया जो नए जोश और संकल्प के साथ देश को आतंकवाद की समस्या से निजात दिलाएगा।
इसमें कहा गया है कि पाकिस्तान से आतंकवाद के सभी रूपों को खत्म करने के अभियान में राजनीतिक, कूटनीतिक सुरक्षा, आर्थिक और सामाजिक स्तरों पर उपायों को शामिल किया जाएगा। प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है जो दो सप्ताह के भीतर ऑपरेशन के कार्यान्वयन और सीमाओं के संबंध में सिफारिशें देगी।
देश के राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पंजाब प्रांत में चुनाव कराने को लेकर न्यायपालिका और संघीय सरकार के बीच बढ़ती खाई के बीच यह बैठक हुई। एनएससी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक संघीय संस्थागत और परामर्शदात्री निकाय है। यह एक प्रमुख मंच है जो वरिष्ठ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों और कैबिनेट मंत्रियों के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति के मामलों पर विचार करने के लिए अनिवार्य है।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, एनएससी ने विद्रोही समूहों, विशेष रूप से प्रतिबंधित संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान से जुड़े लोगों द्वारा उत्पन्न खतरों पर विस्तार से चर्चा की। इसमें कहा गया है, ‘इन लौट रहे खतरनाक आतंकवादियों और अफगानिस्तान में बड़ी संख्या में मौजूद विभिन्न आतंकवादी संगठनों द्वारा दिए गए समर्थन के परिणामस्वरूप, देश में शांति और स्थिरता नष्ट हो गई, जो अनगिनत बलिदानों और निरंतर प्रयासों के परिणामस्वरूप हासिल की गई। डॉन अखबार ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार 14 मई को पंजाब प्रांत में चुनाव होने की स्थिति में संघीय सरकार शीर्ष अधिकारियों से आतंकवादियों से संभावित खतरों के बारे में जानकारी मांगेगी।