पाकिस्तान चाहता है सार्क शिखर सम्मेलन की मेजबानी करना

पाकिस्तान

बिच्छू डॉट कॉम।   पाकिस्तान ने सोमवार को दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (सार्क) के लंबे समय से लंबित शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने के अपने प्रस्ताव को दोहराया। इस दौरान पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि यदि भारत बैठक में व्यक्तिगत रूप से भाग नहीं लेना चाहता है तो वह वर्चुअली भाग ले सकता है। कुरैशी ने 2021 के दौरान पाकिस्तान की विदेश नीति की समीक्षा प्रस्तुत समय इस्लामाबाद में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की। उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की उस टिप्पणी को दोहराया कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए कदम उठाने की जिम्मेदारी भारत की है।

19वां सार्क शिखर सम्मेलन नवंबर 2016 में इस्लामाबाद में होना था। लेकिन इसी साल पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा उरी आतंकी हमले को अंजाम दिया गया था जिसमें 17 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। इस हमले के बाद भारत ने सार्क शिखर सम्मेलन में भाग लेने से इनकार कर दिया था। इसके अलावा पिछले साल तालिबान द्वारा देश पर कब्जा किए जाने के बाद, सार्क समूह के आठ सदस्यों में से एक, यानी अफगानिस्तान की स्थिति के बारे में भी अनिश्चितता बनी हुई है। कुरैशी ने सार्क को एक “महत्वपूर्ण मंच” के रूप में बताया और कहा: “दुर्भाग्य से, भारत ने अपने हठ के कारण इस मंच को निष्क्रिय बना दिया है। वे इस्लामाबाद आने को तैयार नहीं हैं, झिझक रहे हैं।” कुरैशी ने कहा, “भारत के हठ के कारण, यह मंच सफर कर रहा है। अगर भारत नहीं आना चाहता [सार्क समिट के लिए] तो नए साधन उपलब्ध हैं। मैं सार्क के सभी सदस्यों को अपना निमंत्रण दोहराता हूं और पाकिस्तान इस्लामाबाद में 19वें सार्क शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने का इच्छुक है। अगर भारत नहीं आना चाहता, तो वे वर्चुअली अटेंड कर सकते हैं।”

कुरैशी ने आगे कहा, “अगर उन्हें [भारत] फिजिकल रूप से यहां आने में परेशानी होती है, तो वे वर्चुअल रूप से उपस्थित हो सकते हैं लेकिन उन्हें दूसरों को रोकना नहीं चाहिए। उन्हें दूसरों को आने देना चाहिए और इस मंच को प्रभावित नहीं करने देना चाहिए।” कुरैशी की टिप्पणियों पर भारतीय अधिकारियों की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। विकास सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए भारत ने हाल के वर्षों में, बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल (बिम्सटेक) जैसे अन्य क्षेत्रीय समूहों पर भी ध्यान केंद्रित किया है। 

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