जयललिता की प्रेम कहानी देखना है तो जरूर देखिए थलाइवी….

थलाइवी

मुंबई/बिच्छू डॉट कॉम। तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के जीवन पर बनी फिल्म थलाइवी सिनेमाघरों में जलवा बिखेर रही है खास बात यह है कि कंगना ने इस फिल्म के जरिए जयललिता को एक बार फिर दुनिया भर में उनके जानने और चाहने वालों के दिलों में जिंदा कर दिया है। अगर आप कंगना की अदाकारी के साथ साथ जयललिता के कुछ खास प्रेम प्रसंगों को भी देखना और जानना चाहते हैं तो थलाईवी जरूर देखिए… फिलहाल हम आपको बता रहे हैं कि जयललिता का कौन था सबसे बड़ा दीवाना… जिसने जयललिता को तपती रेत में गोद में उठा लिया था।  तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की जिंदगी पर बनी कंगना रनौत की फिल्म थलाइवी हाल ही में रिलीज हुई है. फिल्म में जयललिता के एक्ट्रेस से राजनेता बनने तक के सफर को दर्शाया गया है. दर्शकों को कंगना का काम काफी पसंद आ रहा हैं. बता दें कि जयललिता अपने प्रशंसकों के बीच ‘अम्मा’ के नाम से फेमस थीं.  जयललिता ने अपने फिल्मी करियर क दौरान करीब 125 फिल्मों में काम किया था. उसके बाद उन्होंने राजनीति की तरफ रुख किया. अपने अच्छे कामों की वजह से उन्होंने बहुत जल्द लोगों के दिलों में एक खास जगह बना ली थी. जिसके बाद लोग उन्हें अम्मा कहकर बुलाने लगे थे. बता दें कि 1991 से लेकर 2016 के बीच 14 साल से ज्यादा समय तक वो तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पद पर रही थीं. जयललिता को बहुत जल्दी ही अपने फिल्मी करियर में सफलता मिल गई थी. लेकिन बहुत कम लोग जानते है कि वो कभी भी एक्ट्रेस बनना नहीं चाहती थी. लेकिन किस्मत ने उन्हें इस इंडस्ट्री तक पहुंचा दिया. बताया जाता है कि, जयललिता का स्वभाव बहुत ही शांत और शर्मीला था. शूटिंग के दौरान वो एक कोने में बैठकर किताब पढ़ती रहती थीं. इस बात से तो सभी वाकिफ है कि वो बहुत ही सुंदर थीं.और उनकी सुंदरता के कई लोग दीवाने भी थे. वहीं बात करें एमजीआर की तो साथ काम करते हुए धीरे-धीरे उन्हें जयललिता पसंद आने लगी थी. वहीं जब एक बार दोनों थार रेगिस्तान में शूटिंग के लिए गए तो वहां रेत इतनी गर्म थी कि जयललिता उसपर चल नहीं पा रही थी. अब ये बात एमजीआर से देखी नहीं गई.और उन्होंने झट से जयललिता को अपनी गोद में उठा लिया. जयललिता पर किताब लिख चुकी वासंती बताती हैं कि, इस बात का जिक्र जयललिता ने खुद कुमुदन पत्रिका में किया था. उन्होंने लिखा था कि हमारी कार थोड़ी दूर पार्क थी. और मैं नंगे पांव थी. तो गर्म रेत पर चलना बहुत मुश्किल हो रहा था. तभी एमजीआर ने मेरी परेशानी को समझा और मुझे अपनी गोद में उठा लिया. इसके बाद एमजीआर और जयललिता के रिश्ते ने काफी सुर्खियां बटोरी. दोनों के बीच कई मनमुटाव भी हुए. फिर कुछ वक्त बाद एमजीआर ने जयललिता को पार्टी के प्रोपेगेंडा सचिव के साथ साथ राज्यसभा का सदस्य भी बना दिया,लेकिन लोगों ने इसका काफी विरोध किया जिसकी वजह से उन्हें प्रोपेगेंडा सचिव के पद से हटाना पड़ा।फिर एक दिन एमजीआर ने लंबी बीमारी के बाद दुनिया को अलविदा कह दिया. बताया जाता है कि निधन के वक्त एमजीआर के परिवार वालों ने जयललिता को अपने घर आने तक नहीं दिया था।

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