-खुशमिजाज शायराना अंदाज वाले नरोत्तम को आखिर गुस्सा क्यों आया!
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। नक्श लायलपुरी का यह शेर ‘खामोश नजर दिल का क्या राज छिपाएगी, टूटेगा अगर शीशा आवाज तो आएगी’ नरोत्तम मिश्रा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के बीच आ रही दरार पर बहुत मौजू है। इसकी वजह है मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार में इन दिनों सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चलना। इस कारण से हाल ही में आए दिन प्रदेश की राजनीति गरमाती रहती है। दरअसल भारतीय जनता पार्टी जिस समर्पण और अनुशासन का दावा करती है उसकी अपनी ही सरकार में धज्जियां उड़ती दिख रही हैं। इसकी बानगी कैबिनेट की बैठक में बीते रोज पूरी तरह से सभी को दिखाई दी।
कहा जा रहा है कि कहीं न कहीं खटास तो है, अन्यथा सौम्य व शालीन माने जाने वाले गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा को सामान्यतौर पर गुस्सा नहीं आता है। सरकार में पहले से नंबर दो पर मौजूं नरोत्तम मिश्रा अब संगठन के मामले में भी मजबूत नजर आने लगे हैं। बीते रोज और उसके पहले जिस तरह से नरोत्तम मिश्रा की नाराजगी देखी गई है उसकी वजह से सरकार की जमकर किरकिरी हो रही है। इस किरकिरी की वजह सरकार के वे फैसले रहे हैं, जो पार्टी लाइन व उसके सिद्धांतों को ताक पर रखकर किए जा रहे हैं। दरअसल इस सरकार के सलाहकारों में शामिल लोगों द्वारा जिस तरह की लापरवाही की जा रही है, उससे केन्द्रीय संगठन भी खुश नहीं है। नरोत्तम मिश्रा भी ऐसे ही मामलों को लेकर अपनी ही सरकार से जमकर नाराज चल रहे हैं। सरकार की सबसे अधिक किरकिरी मुख्यमंत्री के ओएसडी पद पर मुंबई निवासी तुषार पांचाल की आश्चर्यजनक ढंग से की गई नियुक्ति की वजह से हुई।
पांचाल को मोदी-शाह, हिन्दुत्व, बाबा रामदेव के अलावा भाजपा का घोर विरोधी माना जाता है। इसकी बानगी वे समय-समय पर अपने ट्वीट से देते भी रहे हैं। इस मामले में जब सरकार पर चारों तरफ से हमला होना शुरू हुए तो सरकार को फजीयत से बचने के लिए न केवल बैकफुट पर आना पड़ा, बल्कि तुषार से दायित्व स्वीकार न करने का ट्वीट भी कराना पड़ा। दरअसल इस मामले में सत्ता, संगठन और विपक्ष के निशाने पर सरकार आ गई थी, बल्कि संघ भी नाराज हो गया था। इसके बाद भी सरकार अपने फैसले पर अडिग दिख रही थी, लेकिन जब यह मामला नरोत्तम के माध्यम से पीएमओ व शाह के पास तक पहुंचा तो सरकार को फैसला बदलने पर मजबूर होना पड़ा। इस मामले में सरकार और उसके सलाहकारों की जमकर भद्द पिटी। अभी यह मामला शांत भी नहीं हुआ था कि कैबिनेट में दो मेगा सिंचाई परियोजनाओं को लेकर विवाद खड़ा हो गया। इस मामले में कई वरिष्ठ मंत्री पूरी तरह से सरकार के खिलाफ खड़े नजर आए। दरअसल यह मामला एनवीडीए की इन दोनों ही परियोजनाओं को 8800 करोड़ से अधिक की बजट में छूट देने से जुड़ा है। उनकी आपत्ति इस छूट देने पर थी। कैबिनेट द्वारा इस प्रस्ताव को स्वीकृति देते ही मिश्रा यह कह कर कि उनकी इस पर आपत्ति दर्ज की जाए और बैठक से निकल गए और बाद में उनके द्वारा ब्रीफिंग भी नहीं की गई। उधर कहा जा रहा है कि यह प्रोजेक्ट जिस हैदराबाद की कंपनी को देने की तैयारी है, वह पहले से ही विवादों में रह चुकी है।
शाम को वीडी-सुहास से मिले नरोत्तम
इस विवाद के बाद शाम को मिश्रा ने प्रदेश भाजपा कार्यालय में वीडी शर्मा और सुहास भगत से बंद कमरे में मुलाकात की। इसके बाद जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट भी प्रदेश कार्यालय पहुंचे। यह बात अलग है कि संगठन नेताओं से अपनी मुलाकात को सिलावट ने सौजन्य भेंट बताया।
कई मंत्रियों का मिला मिश्रा को साथ
खास बात यह है कि इस प्रस्ताव पर मिश्रा को कई वरिष्ठ मंत्रियों का भी साथ मिला। इनमें गोपाल भार्गव और कमल पटेल जैसे वरिष्ठ मंत्री भी शामिल हैं। इनके द्वारा भी इस प्रस्ताव पर एतराज जताया गया, हालांकि बाद में भार्गव ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि चूंकि यह प्रस्ताव अनुसमर्थन के लिए कैबिनेट में लाया गया था। यदि इसे स्वीकृत नहीं करते, तो मुख्यमंत्री की बात खाली जाएगी। इस बीच प्रस्ताव के पक्ष में जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट और ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने भी तर्क दिए।
यह परियोजनाएं बनी विवाद की वजह
कैबिनेट बैठक में जिन परियोजनाओं को लेकर विवाद हुआ है उनमें चिंकी-बोरास बैराज संयुक्त बहुउद्देश्यीय, सांवेर लघु सिंचाई और अपर नर्मदा परियोजना शामिल है। तीनों परियोजना की लागत 10 हजार 369 करोड़ रुपए है। इसके अलावा 7 अन्य सिंचाई परियोजनाओं की लागत भी 10 हजार रुपए के आसपास है, जिन्हें टाल दिया गया है।
पांचाल मामले में भी दिखाई नाराजगी
पांचाल की नियुक्ति को लेकर भी मिश्रा बेहद नाराज थे, यह बात अलग है कि इस मामले में सार्वजनिक रुप से उन्होंने सरकार का बचाव करते हुए कांग्रेस के आरोपों पर तंज कसते हुए कहा था कि कोहनी पर टिके लोग, खूंटी पर टंगे लोग , बरगद की बातें करते हैं गमले में उगे लोग। हालांकि इसके साथ ही उनके द्वारा यह भी कहा गया था कि वे इस मामले में मुख्यमंत्री से बात करेंगे।
सीएस को लगाई फटकार
एनवीडीए से जुड़ी जिन परियोजनाओं को लेकर विवाद कैबिनेट बैठक में हुआ था उन परियोजनाओं के पक्ष में तर्क देने पर मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को मिश्रा ने फटकार लगाते हुए यहां तक कह दिया कि पेश प्रस्ताव की राशि से पाइप की खरीदी की जानी है। पाइप खरीदी में किस तरह से भ्रष्टाचार होता है सभी को पता है। अगर पानी का उपयोग ही करना है तो बांध क्यों नहीं बनाते उससे पानी को भी सुरक्षित रखा जा सकता है, लेकिन वह काम नहीं करेंगे।
पॉवर सेंटर बने नरोत्तम मिश्रा
मेल-मुलाकातों के जारी दौर में सर्वाधिक फायदा नरोत्तम मिश्रा को मिला है। वे प्रदेश में सत्ता व संगठन के बड़े केन्द्र के रुप में उभरे हैं। शायद ही ऐसा कोई बड़ा नेता हो जो उनसे मिलने उनके आवास पर इस दौरान न गया हो। इस वजह से सबसे फायदे में मिश्रा ही रहे हैं। पहले से मंत्रिमंडल में नंबर दो चल रहे मिश्रा के कद में और भी वृद्धि हुई है। इन मेल मुलाकातों पर अफसरशाही से लेकर आम आदमी तक की निगाहें बनी हुई हैं। गौरतलब है कि मिश्रा को बीते कुछ समय से सत्ता में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखा जा रहा है। यही नहीं उनकी चौहान से पटरी भी नहीं बैठ रही है। हाल ही में बने इस नए माहौल की वजह से अब अफसरशाही को भी साफ संदेश जा चुका है कि मिश्रा एक ताकतवर नेता के रूप में तेजी से उभर रहे हैं।
09/06/2021
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