बा खबर असरदार/माननीयों के मंदिर पर नजर

 अफसर
  • हरीश फतेहचंदानी

माननीयों के मंदिर पर नजर
माननीयों के मंदिर पर इन दिनों कई अफसरों की नजर लगी हुई है। दरअसल, माननीयों के मंदिर विधानसभा में नए साल में प्रमुख सचिव की कुर्सी खाली होने वाली है। इस कुर्सी पर काबिज होने के लिए कई अफसर लॉबिंग कर रहे हैं। वैसे तो वर्तमान प्रमुख सरीखी योग्यता और उपयोगिता वाले शख्स की खोजबीन की जा रही है। आपको यह जरूर बता दें कि विधानसभा के ही अफसर इसके कुर्सी के स्वाभाविक उम्मीदवार होते हैं। एक अफसर तो सीधे दावेदार हैं, दूसरे उनसे जूनियर हैं, जिनका आईएएस बनने का ख्वाब भी अब तक अधूरा ही साबित हो रहा है। लेकिन सूबे के कुछ नीति निर्धारक यहां न्यायिक सेवा से आयात करने की योजना भी बना रहे हैं। सब कुछ प्लानिंग का हिस्सा है।  हालांकि विधानसभा कैडर के अफसर लंबे वक्त से प्रमोशन का इंतजार कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि इस उठापटक के दौरान शायद उनके रुके हुए प्रमोशन का रास्ता भी साफ हो जाए। अब देखना है मार्च में खाली होने वाली कुर्सी पर कौन काबिज होता है।

न कायदा, न कानून
2012 बैच की महिला आईएएस अधिकारी एक बार फिर चर्चा में हैं। अपने बिहारीपन के कारण हमेशा विवादों में रहने वालीं मैडम इन दिनों मंत्रालय में पदस्थ हैं। यहां भी मैडम का जलवा मैदानी पदस्थापना की तरह देखा जा सकता है। यानी उनके लिए न कायदा है न कानून। आलम यह है कि मैडम जिस विभाग में पदस्थ हैं, वहां के लोग तो परेशान हैं ही, दूसरे अफसर भी उनसे खार खाए बैठे हैं। दरअसल, मैडम मंत्रालय में रहते हुए भी प्रोटोकॉल का तनिक भी पालन नहीं कर रही हैं। स्थिति यह है कि वरिष्ठ अधिकारियों के दिशा-निर्देशों को भी वे दरकिनार कर देती हैं। बीते दिनों की ही बात है, विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव से मिलने के लिए मैडम का आगमन हुआ। चूंकि सेंट्रलाइज्ड एयरकंडीशनर सिस्टम वाली मंत्रालय बिल्डिंग में कोरोना संक्रमण का खतरा हमेशा बना रहता है, इसलिए केंद्र और राज्य की चेतावनी के बाद एसीएस साहब ने अपने कक्ष में मास्क के बगैर एंट्री पर रोक लगा दी है। मैडम द्वारपाल के स्मरण दिलाने के बावजूद दो मातहतों के साथ धड़ाक से बगैर मास्क ही प्रवेश कर गईं। अफसर मैडम को देखकर केवल मन मसोस कर रह गए।

वॉट्सऐप से भ्रष्टाचार की निगरानी
2012 बैच के एक आईएएस अधिकारी प्रवीण सिंह इन दिनों राजधानी के पड़ोसी जिले सीहोर में कलेक्टरी कर रहे हैं।  साहब को मालूम है कि उनके हर कदम पर शासन और प्रशासन की नजर पड़ती ही होगी। इसलिए साहब ने अपने जिले में भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए ऐसा नवाचार किया, जिसकी खूब सराहना हो रही है। दरअसल, साहब ने जिले में एक वॉट्सएप हेल्पलाइन नंबर 9303628757 जारी किया है। इस नंबर पर भ्रष्टाचार की शिकायत सीधे तौर पर की जा सकेगी। कलेक्टर द्वारा जारी नंबर पर जिला चिकित्सालय में इलाज के लिए आने वाले मरीजों से और पीएम आवास की स्वीकृति और किश्त डलवाने के लिए हितग्राहियों से रुपए या अन्य किसी प्रकार की मांग की जाती है, तो उस व्यक्ति का वीडियो-आॅडियो तथा शिकायत इस हेल्पलाइन नंबर पर  की जा सकेगी। साहब द्वारा जारी किए गए हेल्पलाइन नंबर के इस नवाचार को खूब सराहा जा रहा है।

ई-जनसुनवाई देशभर में छाई
महाकाल की नगरी के पड़ोसी जिले शाजापुर कलेक्टर दिनेश जैन  इन दिनों राष्ट्रीय स्तर पर छाए हुए हैं। दरअसल, 2011 बैच के प्रमोटी आईएएस जबसे उक्त जिले के कलेक्टर बने हैं, उनके नवाचार सुर्खियों में हैं। इसी में से एक है ई-जनसुनवाई। साहब का यह नवाचार इस कदर ख्यात हुआ है कि गत दिनों साहब ने देश की लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी मसूरी में मप्र का प्रतिनिधित्व करते हुए ई-जनसुनवाई पर पहले चरण में वर्ष 2022 बेच के 80 अधिकारियों के साथ बातचीत कर देश भर में प्रणाली में सुधार को गति देने के लिए संबोधित किया। बताया जाता है कि ई-जनसुनवाई जिले में 23 जून 2020 से शुरू करवाई थी। उक्त दिनांक से वर्तमान तक जिले में ई-जनसुनवाई से न केवल लोगों की समस्याओं का समाधान हो रहा है, बल्कि जिले में विकास योजनाओं को भी गति मिल रही है।

अवमानना का रिकॉर्ड
मप्र वाकई अजब है, गजब है। यहां के अफसर भी इस स्लोगन को सार्थक कर रहे हैं। आलम यह की सरकार की सख्ती के बाद भी अफसर किसी की नहीं सुन रहे हैं। आलम यह है की सामान्य प्रशासन विभाग कई बार अफसरों को ताकीद कर चुका है, लेकिन सरकारी अफसर आम आदमी को तो छोड़िए हाईकोर्ट तक की नहीं सुनते हैं। इसका अंदाजा अवमानना के मामलों के आंकड़ों पर गौर करके लगाया जा सकता है। प्रदेश में पिछले 5 साल में यानी 2018 से लेकर अक्टूबर 2022 तक अधिकारियों-कर्मचारियों पर हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना के 15780 मामले हुए हैं। इसमें राज्य मंत्रालय में बैठकर नीति निर्धारण करने वाले अफसरों से लेकर कलेक्टर-एसपी तक शामिल हैं। जिस तरह मप्र में अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ अवमानना के मामले दर्ज हो रहे हैं, वह अन्य प्रांतों की तुलना में सर्वाधिक हैं। 

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