बिच्छू डॉट कॉम:टोटल रिकॉल/डिंडोरी का नाम रानी अवंतीबाई पुरम रखने की मांग

 उमा भारती

डिंडोरी का नाम रानी अवंतीबाई पुरम रखने की मांग
मध्य प्रदेश में चुनावी साल में नाम बदलने को लेकर सियासत जारी है। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने आदिवासी बहुल डिंडोरी जिले का नाम अवंतीबाई पुरम करने की मांग की है। उमा ने इस संबंध में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है । उमा ने अपने पत्र के साथ अखिल भारतीय लोधी लोधा क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष कोक सिंह नरवरिया की तरफ से लिखे गए 22 सूत्रीय मांगों का पत्र भी भेजा है। इसमें 20 मार्च को वीरांगना रानी अवंतीबाई के बलिदान दिवस पर शासकीय अवकाश घोषित करने , रानी अवंती बाई का संग्रहालय बनाने और लोधी लोधा राजपूत समाज बोर्ड का गठन करने की भी मांग की है।

बिसेन चाहते हैं बढ़ जाए कार्यकाल
मप्र पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के अध्यक्ष चाहते हैं कि उन्हें एक और कार्यकाल मिले। दरअसल बिसेन का कार्यकाल इस साल विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सिंतबर में समाप्त होने जा रहा है। वे कहते  हैं कि आयोग द्वारा ओबीसी वर्ग के लिए बहुत कुछ काम किया गया है , लेकिन अब भी बहुत सा काम बचा हुआ है। उनका कहना है कि बच्चों को रोजगार उपलब्ध कराना, औद्योगिक क्षेत्र में उन्हें दक्ष करना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने जैसे काम अभी करना  है। सरकार चाहेगी तो कार्यकाल बढ़ाएगी। कार्यकाल बढ़ेगा तो आयोग बचे हुए काम पूरा करेगा।

मोदी के शासन की अहिल्या बाई  से तुलना  
भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश ने नरेन्द्र मोदी सरकार की तुलना देवी अहिल्या बाई के शासन से की है। उनका कहना है कि मोदी सरकार के 9 सालों के कामों को लेकर भाजपा के पांचों मोर्चा जनता के बीच जाएंगे। शिव प्रकाश ने कहा कि प्राचीन सांस्कृतिक मूल्य फिर स्थापित हुए हैं। भारत में जैसा धर्म प्रधान शासन सम्राट हर्षवर्धन और अहिल्याबाई के राज में था, मोदी के शासन को भी भविष्य में इसी तरह याद किया जाएगा।

जायसवाल फिर निर्दलीय उतरेंगे चुनावी मैदान में  
भले ही निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल को भाजपा की शिवराज सरकार ने खनिज विकास निगम का अध्यक्ष बनाकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे रखा हो , लेकिन उनका मन अब भी कांग्रेस के लिए ही धडक़ता है। यह बात अलग है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ पहले ही उनके लिए दरवाजे हमेशा के लिए बंद करने का बयान दे चुके हैं। यही वजह है कि एक बार उनके द्वारा निर्दलीय चुनाव लड़ने के संकेत स्पष्ट रूप से दे दिए गए हैं। उनका कहना है कि पिछली बार के चुनावों में 4 निर्दलीय थे। सपा-बसपा के 3 विधायकों में सबसे सीनियर विधायक मैं था और भाजपा ने मुझे मुख्यमंत्री बनने का ऑफर दिया था। बसपा और सपा के एक-एक विधायक को उप मुख्यमंत्री बनाने का ऑफर था। हम सरकार बना सकते थे, लेकिन मैंने कमलनाथ सरकार को समर्थन दिया। कमलनाथ अब कह रहे हैं कि वे मुझे नहीं लेंगे। जनता का दरवाजा खुला है। इसलिए मुझे किसी के पास जाने की जरूरत नहीं।

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