- प्रणव बजाज
बोले वीडी, राहुल बताए कहां गया पैसा
भाजपा प्रदेशअध्यक्ष व सांसद विष्णुदत्त शर्मा ने कहा है कि नेशनल हेराल्ड मामले में राहुल गांधी द्वारा यह कहा जाना कि जो हुआ है, वह हमने नहीं मोतीलाल वोरा ने किया है, उन आरोपों को स्वीकार करना है, जिनके संबंध में ईडी द्वारा जांच की जा रही है। ऐसा कहकर राहुल गांधी इस मामले की जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। उन्हें देश को यह बताना चाहिए कि नेशनल हेराल्ड मामले में जो लेनदेन हुआ है, उसका पैसा वोरा जी ले गए या फिर गांधी परिवार के पास है। उन्होंने कहा कि इस मामले में कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं ने पूरे देश को गुमराह किया। लोगों को भड़काया। ईडी की कानून सम्मत कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित कार्रवाई बताकर जांच एजेंसी का अपमान किया। अब इसी मामले में राहुल गांधी खुद को बेकसूर बताते हुए मोतीलाल वोरा का नाम ले रहे हैं। लेकिन पूरा देश जानता है कि मोतीलाल वोरा गांधी परिवार के ही सिपहसालार थे। इसलिए राहुल गांधी उनका नाम लेकर बच नहीं सकते और इस मामले को उनके ऊपर टाल नहीं सकते। अब ईडी और सरकार को पूरी गंभीरता से उनके खिलाफ कानून सम्मत कार्रवाई करना चाहिए।
पंचायत सचिव की तीनों पत्नियां चुनावी मैदान में
मप्र वैसे को ऐसे ही अजब -गजब नहीं कहा जाता है, यहां कारनामे भी अजब -गजब के तरीके होते है। ऐसा ही नया मामला सामने आया है प्रदेश के सिंगरौली जिले का। वहां पर एक पंचायत सचिव की तीन पत्नियां है और तीनों पंचायत चुनाव के मैदान में हैं। जब तीनों पत्नियां ने नामांकन दाखिल किया तो लोग हैरान रह गए। हालांकि तीनों अलग-अलग पंचायत से चुनावी मैदान में जंग जीतने के लिए उतरी है। एक पत्नी ने जनपद सदस्य तो दूसरी व तीसरी ने सरपंच पद के लिए नामांकन दाखिल किया है। सिंगरौली जिले के जनपद पंचायत देवसर अंतर्गत घोंघरा पंचायत के सचिव सुखराम सिंह की तीन पत्नियां है, सुखराम ने अपनी पहली पत्नी को देवसर जनपद सदस्य के चुनाव में बतौर प्रत्याशी खड़ा किया है, जबकि दूसरी पत्नी कुसुम कली व गीता सिंह को अलग -अलग ग्राम पंचायत में सरपंच पद के लिए नामांकन दाखिल करवा चुके हैं। अब इसे मामले में एक नया मोड़ तब आ गया जब जनपद सीईओ बीके सिंह ने हिन्दू अधिनियम के विरुद्ध बताकर तीनों को दस्तावेज में पत्नी बताने को लेकर नोटिस थमा दिया है।
क्या यह वंशवाद नहीं
प्रदेश के नागदा में एक साथ तीन पीढ़ियों का भाजपा द्वारा ख्याल रखा जा रहा है। दरअसल मौजूदा राज्यपाल थावरचंद गहलोत के बेटे को पार्टी ने बीते चुनाव में पिता के राज्यसभा सदस्य और केंद्रीय मंत्री रहते टिकट दिया था , लेकिन वे चुनाव हार गए। इसके बाद अब निकाय चुनाव में भाजपा द्वारा उनकी पुत्र वधू दिव्या को अपनी ही पार्टी की पूर्व पार्षद का टिकट काटकर प्रत्याशी बना दिया गया है। इस सीट पर पहले भाजपा की कला मालवीय ही पार्षद निर्वाचित हो चुकी हैं। वे भी टिकट की दावेदारी बनी हुई थीं। बताया जा रहा है कि दिव्या अगर चुनाव जीत जाती है तो वे नगर पालिका अध्यक्ष बनेगी। ऐसा होने पर परिवार द्वारा अगले साल होने वाले चुनाव में दिव्या को बतौर विधायक के टिकट के लिए दावेदार के रूप में पेश करने की तैयारी की जा रही है। दिव्या को दूसरे कार्यकर्ता का टिकट काटकर प्रत्याशी बनाए जाने से भाजपा द्वारा वंशवाद को लेकर तय की गई गाइड लाइन की धज्जियां उड़ गई हैं।
कांग्रेस में कार्यकर्ताओं की इज्जत नहीं: शिवराज
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा है कि महापौर के लिए जारी हमारी सूची मे सभी तरह के कार्यकर्ता हैं। हमने प्रतिष्ठित चिकित्सक, व्यवसायी, श्रेष्ठ अधिवक्ता, समाजसेवी और जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओं को मौका दिया है। वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस के पास कार्यकर्ताओं का अभाव है, अगर कार्यकर्ता हैं तो उनकी इज्जत नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा विश्व की सबसे बड़ी पार्टी हैं, पार्टी विथ डिफरेंस। हमने स्थानीय निकाय चुनाव में टिकट के लिए सब मापदंडों का पालन करते हुए बेहतर टिकट दिए। मीडिया से चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने तय किया था कि विधायक मेयर का चुनाव नहीं लड़ेंगे उसका पालन किया, विधायक को मेयर का टिकट देना आसान होता है। सीएम ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि उसे प्रत्याशी ही नहीं मिलेता, कई जगह विधायक ही लड़ा दिए। सीएम ने कहा कि मुझे गर्व है कि हमने निर्धारित मापदंडों का पालन करते हुए टिकट दिए।