बिहाइंड द कर्टन/पूर्व विधायक भारती पर कसा पुलिस का शिकंजा

  • प्रणव बजाज
राजेन्द्र भारती

पूर्व विधायक भारती पर कसा पुलिस का शिकंजा
दतिया के पूर्व विधायक राजेन्द्र भारती की किस्मत ही खराब चल रही है। पहले चुनाव में उन्हें अपनों ही दगा दे दिया जिसकी वजह से वे बेहद मामूली अंतर से चुनाव हार गए और बाद में उन्हें हराने वाले भाजपा नेता नरोत्तम मिश्रा गृह मंत्री बन गए। दन दोनों  नेताओं के बीच राजनैतिक अदावत इतनी अधिक है कि उनके बीच दूरिंया लगातार बढ़ती ही जा रही हैं। इस बीच उन पर दतिया में एक प्रकरण दर्ज हो गया। यह प्रकरण 27 अगस्त को स्कॉर्पियो गाड़ी जबरन कब्जे में लेने का दर्ज किया गया है। इस मामले में पूर्व मंत्री और विधायक पीसी शर्मा का आरोप है कि भारती पर सरकार के दबाव में यह झूठा प्रकरण दर्ज किया गया है। उनका कहना है कि जबकि पुलिस को इस मामले में फरियादी के गैराज से जो सीसीटीवी फुटेज मिला है, उसमें साफ दिख रहा है कि उक्त कार 6 सितंबर उन्हीं की गैराज में रखी हुई है। इस फुटेज में 6 सितंबर को दो पुलिस वाले सिविल ड्रेस में फरियादी की गैराज से उक्त कार निकालते हुए दिख रहे हैं।  उनका कहना है कि जब 6 सितंबर तक गाड़ी फरियादी के गैराज में थी तो आखिर भारती 27 अगस्त को गाड़ी पर कब्जा कैसे कर सकते हैं।

चार हजार युवाओं को और मिलेगा पटवारी बनने का मौका
प्रदेश के युवाओं के साथ ही आम लोगों के लिए अच्छी खबर यह है कि जल्द ही प्रदेश में पांच हजार पटवारियों की भर्ती की जा सकती है। इनकी भर्ती के बाद अच्छी बात यह रहने वाली है कि फिर हर पंचायत पर एक पटवारी को तैनात कर दिया जाएगा। इसकी वजह से आम लोगों को पटवारी की तलाश में इधर -उधर भटकना नहीं पड़ेगा। प्रदेश में पहले से रिक्त चल रहे एक हजार पदों को इसमें मिला दिया जाए तो इस बार 5 हजार पदों पर भर्ती की जाएगी। इसके लिए विभाग द्वारा प्रस्ताव सरकार को भेज दिया गया है। अभी एक पटवारी के पास दो से तीन पंचायतें हैं। इसकी वजह है प्रदेश की लगभग 23 हजार पंचायतों के मुकाबले महज 19 हजार पटवारियों का होना। विभाग में चल रही तैयारी से माना जा रहा है कि अगले 5 महीने में पहले चरण के तहत 1 हजार रिक्त पदों के लिए भर्ती परीक्षा आयोजित की जा सकती है।

एसीएस की पदस्थापना से नाराज हैं पीएस
हाल ही में सरकार द्वारा मंत्रालय स्तर पर किए गए फेरबदल में एक विभाग में महिला प्रमुख सचिव होने के बाद भी उस विभाग की कमान एसीएस को सौंप दी गई है। सरकार के इस फैसले की वजह से पीएस नाराज हैं। इसकी वजह से वे सीएस से मिलकर उन्हें उलाहना तक दे चुकी हैं। बता दें कि पहले से मौजूद पीएस के पास दो विभागों की कमान है। यह दोनों ही विभाग महत्वपूर्ण माने जाते हैं। अब  नए एसीएस से उनकी पटरी भी नहीं बैठ पा रही है। यह बात अलग है कि जिन नए एसीएस को पदस्थ किया गया है उनके पास पहले से ही महिलाओं और बच्चों से संबंधित महत्वपूर्ण विभाग है। इसके बाद भी एसीएस की नए प्रभार वाले विभाग में अधिक दिलचस्पी दिख रही है। यही वजह है कि पीएस की असहजता बढ़ती ही जा रही है।

और धुर्वे आए चर्चा में  
जबलपुर में 18 सितंबर को गोंड राजा रघुनाथ शाह- शंकर शाह के बलिदान दिवस पर केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ ही मुख्यमंत्री भी प्रवास करने वाले हैं। इस दौरान आयोजित कार्यक्रम का जिम्मा पार्टी द्वारा अपने पुराने आदिवासी दिग्गज नेता रह चुके नन्हेंलाल धुर्वे को सौंपा गया है। अचानक उन्हें बड़े और बेहद महत्वपूर्ण माने जाने वाले इस कार्यक्रम की कमान सौंपे जाने की वजह से लोग आश्चर्य में हैं। इसकी वजह है कि वे बीते लंबे समय से पूरी तरह से सक्रिय राजनीति से दूर बने हुए हैं। खास बात यह है कि नन्हेंलाल धुर्वे उम्र के चौथे पड़ाव में हैं । यह बात अलग है कि एक समय उन्हें महाकौशल का सबसे बड़ा अदिवासी नेता माना जाता था। आश्चर्य इस बात का बना हुआ है कि जब पार्टी में पीढ़ी बदलाव की बयार तेजी से चल रही है ऐसे में एक उम्रदराज नेता को यह जिम्मेदारी क्यों और कैसे मिली है। फिलहाल पार्टी में इसको लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।

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