बिहाइंड द कर्टन/धन कुबेरों को घर पर बार की सुविधा

  • प्रणव बजाज
धन कुबेरों

धन कुबेरों को घर पर बार की सुविधा
इस माह की एक तारीख से लागू की गई नई आबकारी नीति के तहत सरकार ने धन कुबेरों के लिए होम बार खोलने की सुविधा शुरू कर दी है। इसके लिए जो शर्तें तय की गई हैं, उसके मुताबिक करोड़पति होने के साथ-साथ उसका चरित्र भी अच्छा होना जरुरी है। इसमें कहा गया है कि घर में बार वही व्यक्ति खोल सकेगा जिसका और उसके परिवार का नैतिक चरित्र अच्छा हो और आपराधिक पृष्ठभूमि न हो। इसके साथ ही उसे इस बात का शपथ पत्र देना होगा कि आबकारी अधिनियम 1995 के तहत उस पर कोई मामला दर्ज नहीं है, साथ ही भारत के किसी न्यायालय द्वारा किसी भी आपरधिक आरोप के लिए वह दोषी भी नहीं ठहराया गया है।  हालांकि, सरकार पहले ही कह चुकी थी कि जिनकी सालाना आय एक करोड़ होगी, वे ही होम बार खोल सकते हैं। हाल में जारी लाइसेंस नीति में कहा गया है कि आय के प्रमाणीकरण के लिए चार्टर्ड एकाउंटेट द्वारा इस संबंध में जारी प्रमाण पत्र की मूल प्रति और 2021- 22 के आयकर रिटर्न की सेल्फ असेसमेंट की प्रति जमा करानी होगी। इसके लिए एक साल की फीस 50 हजार रुपए तय की गई है।

दर्द न समझे कोय
वैसे तो साहब वन महकमे में अफसर हैं , लेकिन सुविधाओं के मामलों में खुद को आईएएस अफसर से कम नहीं समझते हैं। यही वजह है कि भोपाल में रहते साहब को मिली सरकारी गाड़ी रास नहीं आती थी, लेकिन अब साहब के दिन अच्छे नहीं चल रहे हैं , सो विभाग के लूप लाइन वाली जगह पर पदस्थापना होने से परेशान चल रहे हैं। दरअसल भोपाल में पदस्थापना के समय उन्हें विभाग से जो वाहन मिला था, वह उन्हें रास नहीं आ रहा था , सो वे लगातार लग्जरी बड़ी कार की जुगत लगाते रहे। इस बीच उनका तबादला दूसरे शहर में बेहद लूप लाइन वाली जगह पर हो गया सो वहां उन्हें कोई वाहन तक नसीब नहीं हो पा रहा है। हालात यह हैं कि सो अफसर वहां पहले से पदस्थ हैं उन्हें भी अब तक वाहन नहीं मिल सका है, सो इन नए साहब को तो मिलना ना मुमकिन ही है। अब साहब इस जुगत में लगे हुए हैं,कि किसी तरह से दूसरी जगह पदस्थापन हो जाए।

अब आदिवासी ब्लॉकों पर रहेगी लाट साहब की सीधी नजर
यह पहला मौका है जब राजभवन द्वारा ट्राइबल सेल का गठन किया गया है। इसके जरिए लाट साहब मंगुभाई पटेल अब 20 जिलों के 89 आदिवासी ब्लॉक पर सीधे नजर रखेंगे। इस सेल के माध्यम से स्वयंसेवी संस्थाओं (एनजीओ), आदिवासियों को कर्जदार बनाने वालों से लेकर उनकी संपत्तियों व जमीनों को खुर्द- बुर्द करने वालों पर भी पूरी नजर रखी जाएगी। दरअसल संविधान से मिली शक्तियों का उपयोग करते हुए राजभवन द्वारा इस सेल का गठन किया गया है। इसकी वजह से अब महामहिम अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वालों की सुरक्षा के लिए फैसले ले सकेंगे और सीधे राष्ट्रपति को इसकी जानकारी देंगे। पटेल खुद आदिवासियों के बीच लंबे समय से काम कर रहे हैं। गवर्नर बनते ही उन्होंने संकेत दे दिए थे कि वे प्रदेश में आदिवासियों के हितों में काम करेंगे। देश में सिर्फ दस राज्य ही ऐसे हैं, जहां जनजातीय क्षेत्रों को अनुसूचित किया गया है। इनमें मप्र भी  शामिल है।

भारी पड़ रही रिश्तेदारी  
सूबे में ऐसे कई अफसर हैं, सो अपनी राजनैतिक रिश्तेदारी की वजह से मलाईदार मैदानी पदस्थापना पाकर अपने हिसाब से ही काम करते हैं, सरकार भी इसकी वजह से उन पर सख्ती नहीं कर पाती है, लिहाजा अन्य अफसर हक  मिलने में पीछे रह जाते हैं और जनता भी नाराज रहने को मजबूर हो जाती है। ऐसे ही एक कलेक्टर साहब हैं जिनसे सरकार तो नाराज है ,लेकिन कलेक्टर साब न केवल बेफिक्र नजर आते हैं , बल्कि उन्हें लगता है कि रिश्तेदारी के कमाल से वे जल्द ही कोई न कोई मलाईदार बड़ा जिला पा लेंगे। अब सबकी नजर उक्त कलेक्टर और सरकार पर लगी हुई है कि कौन किस पर भारी पड़ता है। बता दें कि कलेक्टर साब के ससुर साब एक छोटे प्रदेश में भाजपा के मुखिया हैं। यह बात अलग है कि साब को काम की वजह जिले की कमान भी अपने ससुर साब की वजह से ही मिली थी।

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