बिहाइंड द कर्टन/और आईएएस मिश्रा का इस्तीफा हो गया स्वीकृत

  • प्रणव बजाज
आईएएस मिश्रा

और आईएएस मिश्रा का इस्तीफा हो गया स्वीकृत
आर्ईएएस बनकर नौकरी करना हर कर्मचारी और युवक का सपना होता है , लेकिन प्रदेश में ऐसे कई अफसर रह चुके हैं, जिनके द्वारा इस नौकरी को ही छोड़ दिया गया। इसमें अब एक नया नाम 2014 बैच के आईएएस अधिकारी वरदमूर्ति मिश्रा का भी जुड़ गया है। उनके द्वारा दिए गए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के आवेदन को स्वीकार कर लिया गया है। राज्य प्रशासन सेवा के इन अफसर को इसी साल 17 जनवरी को ही आईएएस अवार्ड हुआ था। उनके द्वारा नौकरी छोड़ने  का कारण नहीं बताया। वे खनिज विकास निगम में कार्यपालक निदेशक (ईडी) थे। आमतौर पर इस पदस्थापना को अच्छा माना जाता है। मिश्रा द्वारा 2 जून की दोपहर वीआरएस का आवेदन दिया और तुरंत ही कार्यालय छोड़ दिया था। इसके पहले प्रदेश कैडर के 1991 बैच के आईएएस प्रमोद अग्रवाल नौकरी छोड़ चुके हैं। कोल इंडिया में सीएमडी के पद पर चयन होने पर उन्होंने वीआरएस ले लिया था। इसके अलावा आलोक श्रीवास्तव ,गौरी सिंह भी वीआरएस ले चुकी हैं। इसी तरह से आईएएस डॉ. भागीरथ प्रसाद, स्वर्णमाला रावला, प्रवेश शर्मा, रश्मि शुक्ला शर्मा, धीरज माथुर और अजय यादव भी नौकरी छोड़ चुके हैं।

जेब कटने की वजह से नहीं करना चहते थानेदारी
हर निरीक्षक चाहता है की उसे थाने की कमान सम्हालने को मिले। थाना प्रभारी बनते ही न केवल रुतबा बड़ जाता है, बल्कि लक्ष्मी जी की कृपा भी बरसनी शुरू हो जाती है, लेकिन एक ऐसे थानेदार हैं जो थानेदारी की वजह से परेशान बने हुए हैं। इसकी वजह से वे पुलिस कप्तान से हटाए जाने की गुहार लगाते घूम रहे हैं, लेकिन साहब है कि उन्हें हटाने को तैयार नही हैं। यह पूरा मामला है एक आदिवासी जिले का। दरअसल वहां पर पदस्थ  पुलिस कप्तान साहब अपना परिवार साथ नहीं ले गए, लिहाजा वे अपने सरकारी बंगले पर आए दिन  रात होते ही महफिल सजाकर बैठ जाते हैं। इसका जिम्मा इन थाना प्रभारी पर रहता है। इसकी वजह से थाना प्रभारी की हर रोज जेब कटती है। इसकी वजह से कई बार तो कमाई से अधिक तक खर्च करना पड़ता है। इस महफिल में कौन -कौन शामिल होता है यी तो कोई नहीं जानता है। यह बात अलग है कि अब थाना प्रभारी की परेशानी को देखते हुए कप्तान साहब ने आधी जिम्मेदारी एक सूबेदार को सौंप दी है। इसके लिए यातायात निरीक्षक को हटाकर उनकी जगह सूबेदार को यातायात का प्रभारी बना दिया है। खास बात यह है कि यह पुलिस कप्तान साहब घर के तमाम खर्च के लिए जेब में हाथ डालना उचित नहीं मानते हैं।

और होता रहा कलेक्टर साहब का इंतजार  
हाल ही में प्रदेश के एक बड़े रियल एस्टेट के कारोबारी के यहां बेटी की शादी हुई तो बेहद उमदा इंतजाम किए गए । शादी में कई आईएएस अफसरों के साथ ही तमाम ऐसी हस्तियों को भी आमंत्रण पत्र दिया गया था , जिनके आने से उनके रसूख का प्रदर्शन हो सके। दरअसल ये साहब रियल स्टेट के कारोबार के साथ ही शैक्षणिक ग्रुप के भी कर्ताधर्ता हैं। उनके इस ग्रुप में कई रसूखदार और आला अफसरों ने गोपनीय रुप से निवेश कर रखा है। शादी के समय मेहमानों की आवभगत में जब अफसरों व रसूखदारों को तलाशा गया तो पता चला की महज दो आईएएस अफसर ही आए हैं। इसके बाद सबकी निगाहें प्रदेश के सबसे बड़े  मलाईदार जिले के कलेक्टर साहब को तलाशती रहीं , लेकिन वे नहीं दिखे। दरअसल आमंत्रण देने के बाद लग रहा था कि वे आएंगे जरुर क्योंकि न सिर्फ उनकी पत्नी इस ग्रुप में बेहद महत्वपूर्ण पद पर हैं बल्कि साहब ने भी मोटी रकम निवेश की हुई है। आईएएस में केवल वे दो अधिकारी ही पहुंचे , जिनकी पत्नी इस ग्रुप के शैक्षणिक संस्थान में काम करती हैं।

नगर निगम के जवाब पर अब लगीं सभी की नजर
पूर्व आईएएस राधेश्याम जुलानिया और उनकी पत्नी के नाम से वार्ड 26 के अंतर्गत आने वाले बरखेड़ी खुर्द में अनुमति से कई गुना अधिक निर्माण करने के मामले में ननि को अदालत में जवाब देना है। इस पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं। दरअसल जुलानिया ने बरखेड़ी खुर्द में 600 वर्ग फीट की परमीशन लेकर सात हजार वर्ग फीट में निर्माण कर लिया है। इस मामले में दायर परिवाद पर नगर निगम से भी जवाब मांगा गया है। यह वो इलाका है जो पूर्व में ग्रामीण क्षेत्र में आता था, लेकिन बीते परिसीमन के बाद यह नगर निगम के वार्ड 26 का हिस्सा हो गया है। नीलबड़ क्षेत्र पहले ग्राम पंचायत में आता था, लेकिन 2014 में हुए नगर निगम चुनाव के पहले इसे नगर निगम में विलय कर दिया गया था। नगर निगम सीमा में आने के बाद इस क्षेत्र में कई सारी गड़बड़ियां सामने आ रही है। अकेले राधेश्याम जुलानिया ही नहीं कई सारे रसूखदारों ने यहां पर नियम विरुद्ध निर्माण किया है, जबकि इस हिस्से से बड़े तालाब का कैचमेंट एरिया भी लगता है। इस मामले में अफसर व सरकार भी कुछ नहीं करती है।

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