बिहाइंड द कर्टन/प्रशासन बना भाजपा का गुलाम

  • प्रणव बजाज
दिग्विजय सिंह

प्रशासन बना भाजपा का गुलाम
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया है की पूरे प्रदेश में प्रशासन भाजपा के गुलाम की तरह काम कर रहा है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं व नेताओं पर झूठे प्रकरण दर्ज किए जा रहे हैं। उनका आरोप है की अकेले दतिया जिले में ही 189 प्रकरण कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर झूठे लगा दिए गए हैं। इसकी वजह है राजनैतिक रंजिश। उनका कहना है की वर्तमान में कांग्रेस कार्यकर्ताओं का उत्पीड़न किया जा रहा है। सिंह का कहना है की भोपाल में ही कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा पर भी प्रकरण दर्ज कर लिया गया है, जबकि वे तो प्रशासन की कार्रवाई का विरोध करने और बाद में उसकी शिकायत करने खुद ही थाने गए थे। अब उन्हें कौन बताए की पीसी शर्मा से जैसे ही नेताओं की वजह से राजधानी में अतिक्रमण बढ़ गया है और जगह-जगह गुमटी व ठेले वालों ने न केवल अतिक्रमण कर लिया है , बल्कि शहर में झुग्गियां भी तनती जा रही हैं। इसकी वजह से आम आदमी बेहद परेशान है। 

और छह दशक से जारी है निर्विरोध निर्वाचन  
प्रदेश की एक पंचायत ऐसी है जिसमें बीते छह दशक में कभी भी सरपंच हो या पंच किसी का भी चुनाव से चयन नहीं हुआ है। इस बार भी पंचायत चुनाव में ऐसा ही कुछ हुआ है। यह पंचायत है बुरहानपुर जिले की माजरोद। इस पंचायत में महिला को जहां सरपंच चुना गया है वहीं सभी पंच पदों पर भी महिलाओं का चयन किया गया है। यह सभी भी निर्विरोध रूप से चयनित की गई है। इसी तरह से भोपाल जिले की आदमपुर छावनी में भी 22 साल की युवती को बगैर चुनाव के ही सरंपच चुन लिया गया है। इस पंचायत में भी सभी 20 पंच महिलाएं ही चुनी गई हैं, वह भी सर्वसम्मति से। इसी तरह से रतलाम जिले की धानासुता और सीहोर जिले की चीकली में भी सर्वसम्मति से संरपच को चुना गया है। धानासुता में तो यह तय किया गया है की अब सीएम को अपनी घोषणा के अनुसार आना पड़ेगा तो सड़क बिजली और पानी की बेहतर व्यवस्था तो हो ही जाएगी साथ ही पंचायत को भी 15 लाख रुपए अलग से विकास के कामों के लिए मिल जाएंगे।

और जमकर चले लात घूंसे
कांग्रेस की बैठक में अगर हो हल्ला और विवाद न हो तो उस बैठक को शायद सफल नहीं माना जाता है। ऐसे कई उदाहरण हैं। इसके बाद भी कांग्रेसी नेता से लेकर उसके कार्यकर्ता सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। ऐसा ही कुछ भोपाल में भी हुआ है, जहां पर पार्षद पद के दावेदारों के लिए रायशुमारी की जा रही थी, तभी अपना वार्ड आरक्षण में गंवाने के बाद पूर्व नेता प्रतिपक्ष मो सगीर दूसरे वार्ड से दावेदारी करने पहुंच गए , फिर क्या था स्थानीय दावेदार विरोध में खड़े हो गए। तू-तू मैं-मैं के बाद लात घूंसे चले और बाद में कुर्सियां भी जमकर फेंकी गर्इं। हालात ऐसे बने की रायशुमारी के लिए गए नेताओं को ही अपनी-अपनी कार में बैठकर भागना पड़ गया। रायशुमारी में यह हालत है तो समझ सकते हैं की चुनाव के समय क्या हाल होंगे। फिलहाल विपक्ष के नेता इन हालातों की वजह से खुश हैं की कम से कम यही हालात बने रहे तो उनकी जीत कांग्रेस के नेता ही करवा देंगे।

माननीय चाहते हैं पत्नी के लिए जनपद की कुर्सी
भाजपा के एक विधायक जी का जनपद अध्यक्ष की कुर्सी से मोह नहीं छूट पा रहा है। यही वजह है की पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर तमाम बड़े नेताओं के परिवार वाद के विरोध को दरकिनार कर माननीय ने अपनी पत्नी को जनपद सदस्य के लिए नामाकंन जमा करवा दिया है। माननीय के इस कदम से पार्टी के कई इस पद के दावेदार नेता भौंचक रह गए हैं। दरअसल माननीय खुद पहले जनपद अध्यक्ष रह चुके हैं और उस समय उन पर कई तरह के आरोप भी लगते रहे हैं। दरअसल यह माननीय बुदेंलखंड अंचल की एक विधानसभा सीट से अभी विधायक हैं। दरअसल यह विधायक जी अपने इलाके में संगठन की जगह व्यक्तिवादी राजनीति करने में विश्वास रखते हैं। वैसे नेता जी ने इन दिनों अपने इलाके के ठेकेदारों और अफसरों में गहरी पैठ बना रखी है, जिसकी वजह से स्थानीय संगठन से लेकर कार्यकर्ता तक अपनी ही सरकार में परेशान चल रहे हैं। देखना तो यह है की अब माननीय पर संगठन भारी पड़ता है या फिर संगठन पर माननीय।

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