बिच्छू डॉट कॉम। पौष माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी की उपासना की जाती है। सफला एकादशी का व्रत करने से सहस्त्र वर्षों की तपस्या के समान फल प्राप्त होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस व्रत के प्रभाव से समस्त संकटों से मुक्ति मिलती है। सफला एकादशी का व्रत अपने नाम के अनुसार सभी कार्यों में सफलता प्रदान करने वाला है।
सफला एकादशी के दिन अपने घर की छत पर पीला ध्वज लगाएं। ऐसा करने से सुख-समृद्धि का आगमन होता है। एकादशी के दिन घर की पूर्व दिशा में तुलसी का पौधा लगाना शुभ माना जाता है। घर की उत्तर दिशा में गेंदे का पौधा लगाना शुभ माना जाता है। एकादशी के दिन घर में आंवले का पौधा भी लगा सकते हैं। सफला एकादशी पर जरूरतमंदों को पीले रंग का वस्त्र, अन्न और पीले रंग की चीजें भेंट करें। इस दिन पीले वस्त्र धारण करें। एकादशी के दिन भोजन में चावल का प्रयोग न करें। विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। माना जाता है कि बिना तुलसी भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं। इस व्रत में रात्रि जागरण का विशेष महत्व है। द्वादशी के दिन ब्राह्मण को भोजन कराएं। सामर्थ्य अनुसार दान-दक्षिणा दें। इस व्रत में पूरे दिन निराहार रहें, शाम को दीपदान के बाद फलाहार कर सकते हैं। एकादशी के दिन भगवान श्री सत्यनारायण की पूजा अर्चना करें। एकादशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण के नामों का उच्चारण करते हुए उनका पूजन करें। इन दिन दीपदान अवश्य करें। मान्यता है कि सफला एकादशी के दिन किया गया दान व्यर्थ नहीं जाता है। एकादशी का उपवास रखने से धन, मान-सम्मान और संतान सुख की प्राप्ति होती है।