कुलीन कुनबा सोचे भाजपा में श्रीमंत …निष्ठा चलेगी या पार्टी निष्ठा

भाजपा
  • ग्वालियर चंबल में हाशिए पर जा रहे हैं भाजपा के कद्दावर नेता

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। श्रीमंत के अजेय गढ़ रही गुना शिवपुरी संसदीय सीट को ढहाने वाले भाजपा के पिछड़े वर्ग के सांसद केपी सिंह इन दिनों बेहद परेशान चल रहे हैं। उन्हें न तो सरकार से और न ही स्थानीय राजनीति में महल महत्व मिल रहा है। दरअसल यादव ने बीते लोकसभा चुनाव में श्रीमंत को पराजित किया था। अब हालात पूरी तरह से बदल चुके हैं। इसकी वजह से इन दोनों ही नेताओं के बीच की लड़ाई पर सवाल खड़े होने लगे हैं। इसे अब लोग महल की राजनीति में पार्टी निष्ठा या व्यक्ति की निष्ठा की लड़ाई के रुप में देखने लगे हैं। अगर पार्टी ने इस पर जल्द ही काबू नहीं पाया तो ग्वालियर -चंबल अंचल इलाके में भाजपा को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। श्रीमंत के प्रभाव के चलते शासन व प्रशासन के साथ ही सरकार में उपेक्षित किए जा रहे सांसद कृष्णपाल सिंह यादव ने अब इस मामले में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर न केवल अपना दर्द बयां किया है बल्कि आम मूल भाजपा कार्यकर्ता का पक्ष भी रखा है।
श्रीमंत के विरोध में झंडावरदार बनकर उभरे यादव को इस अंचल के उन नेताओं का भी साथ मिलेगा या नहीं यह अभी भविष्य के गर्भ में है, जो श्रीमंत के भाजपाई बनने के बाद से अपने ही गृह जिलों में उपेक्षा का दंश झेलने को मजबूर बने हुए हैं। इनमें भाजपा के कई बड़े नेता शामिल हैं। फिलहाल इसको लेकर कयासों का दौर जारी है। इनमें भाजपा के कई बड़े नेता शामिल हैं। इस मामले में अब सांसद यादव द्वारा लिखे गए पत्र को लेटर बम फोड़ने के रुप में भाजपा की अंदरुनी राजनीति के रुप में देखा जा रहा है। इस पत्र में उनके द्वारा उपेक्षा किए जाने के अलावा साइडलाइन करने का आरोप लगाया गया है। यह चिट्ठी अब पूरी तरह से सार्वजनिक हो गई है। इस चिट्ठी  में उन्होंने लिखा है कि श्रीमंत समर्थक उनकी शह पर पार्टी का माहौल बिगाड़ने का काम कर रहे हैं। इसमें उनके द्वारा श्रीमंत समर्थक मंत्रियों पर गुटबाजी और भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए लिखा है कि श्रीमंत समर्थकों द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में मेरी और भाजपा कार्यकर्ताओं की घोर उपेक्षा की जा रही है। हालात यह हैं कि उन्हें कार्यक्रमों में तो बुलाया ही नहीं जाता साथ ही  प्रोटोकॉल के अनुसार उद्घाटन और लोकार्पण कार्यक्रम की शिलापट्टिका पर भी उनका नाम भी नहीं लिखा जाता है। यही नहीं जो काम उनके प्रयासों से मंजूर होते हैं, उनमें भी उनके नाम का उल्लेख नहीं किया जाता है। दरअसल श्रीमंत के भाजपा में आने के बाद से उनके समर्थकों का पार्टी व सरकार में पूरा ख्याल रखा जा रहा है। यही वजह है कि जहां श्रीमंत को केन्द्रीय मंत्री बनाया गया है तो उनके समर्थक इस अंचल के अधिकांश नेताओं को सत्ता में सीधे भागीदारी देकर पावरफुल बनाया जा रहा है। इसकी वजह से अब टीम मोदी के सदस्य माने जाने वाले यादव को अपने ही क्षेत्र में वजूद की लड़ाई लड़नी पड़ रही है। उल्लेखनीय है कि बीते दिनों शिवपुरी जिले के माधव नेशनल पार्क में टाइगर सफारी का श्रेय लेने के मामले में श्रीमंत और यादव आमने-सामने आ चुके हैं।
संगठन को भी दी चेतावनी
सांसद ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से आग्रह किया है कि पार्टी की रीति-नीति और सिद्धांतों के अनुरूप सभी को काम करना चाहिए, ताकि भविष्य में अच्छे परिणाम आ सकें। उन्होंने पत्र में संगठन को चेताते हुए लिखा है कि इस समस्या को जल्द सुलझाया नहीं गया, तो पार्टी निष्ठा खत्म होकर व्यक्ति निष्ठा बढ़ जाएगी। इसकी भरपाई कई दशकों तक नहीं की जा सकेगी। उनका कहना है कि जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच भ्रम पूर्ण स्थिति बनने से गुटबाजी शुरू हो चुकी है, जिसका फायदा विरोधी दल को हो सकता है। उन्होंने समन्वय स्थापित करने की मांग की है।
सोशल मीडिया पर यादव के समर्थन में आए समर्थक
केपी यादव के साथ हो रहे कथित भेदभाव को लेकर सोशल मीडिया पर उनके समर्थक सक्रिय हो गए हैं। वे पूरी तरह से यादव के साथ खड़े हुए दिखना शुरू हो गए हैं। उनके एक समर्थक ने तो इस मामले में संगठन का साथ नहीं मिलने से खफा होकर यहां तक लिखा है कि भाजपा की यादव विरोधी मानसिकता की वजह से ही यह स्थिति बनी है। उसने लिखा कि अपने दम पर श्रीमंत को हराने के बाद भी आपको कुछ नहीं मिला, जबकि जिन्हें हराया वो राज्यसभा सांसद और कैबिनेट मंत्री बन चुके हैं और उनके समर्थकों को सत्ता व संगठन में प्रभावशील बनाया जा रहा है।  
यादव हुए पोस्टर और बैनरों से गायब
यादव द्वारा लिखी गई चि_ी में शिकायत करते हुए लिखा है कि पार्टी कार्यक्रमों को लेकर लगाए जाने वाले कार्यक्रमों के पोस्टर, बैनरों में भी प्रोटोकॉल का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। इन बैनरों पोस्टरों में पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को भी जगह नहीं दी जाती है। उन्होंने लिखा कि सिंधिया समर्थक मंत्री पार्टी सिद्धांतों के विपरीत काम कर रहे हैं। यही नहीं उनके द्वारा पत्र में कहा गया है कि इस अंचल के तहत आने वाले तीनों जिलों के अधिकारी, कर्मचारी भी उपेक्षापूर्ण व्यवहार कर रहे हैं। बतौर सांसद, मेरी खुद की अध्यक्षता में होने वाली बैठक का भी श्रीमंत समर्थक बायकॉट करते हैं। इसकी वजह से कार्यकर्ता परेशान होकर हताश और निराश हैं। इससे गुना, शिवपुरी और अशोकनगर जिलों के अतिरिक्त ग्वालियर चंबल संभाग में खराब संदेश जा रहा है।
क्या यह नेता भी केपी के साथ होंगे
ग्वालियर-चंबल अंचल से भाजपा के कई दिग्गज नेता आते हैं। इनमें केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, वीडी शर्मा, नरोत्तम मिश्रा, प्रभात झा, विवेक शेजवलकर और और जयभान सिंह पवैया जैसे नेताओं के नाम शामिल हैं। श्रीमंत के भाजपा में आने के पहले इन नेताओं की इलाके की राजनीति और प्रशासन में तूती बोलती रही है हैं। मगर अब हालात बदल चुके हैं। यही वजह है कि ग्वालियर चंबल अंचल में श्रीमंत समर्थक ही प्रभारी मंत्री बनाए गए और इनके हिसाब से ही सरकारी अफसरों के तबादले और पदस्थापनाएं की जा रही हैं। इसकी वजह से इन उपेक्षित नेताओं का भी यादव को साथ मिलने या न मिलने को लेकर भी कयासों का दौर चल रहा है।

Related Articles