
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। दमोह जिले का बिखनाखेड़ी गांव इन दिनों चर्चा में बना हुआ है। इसकी वजह है इस गांव की पहाड़ियों में निकल रहा कीमती काला पत्थर। यह बात अलग है कि जिला मुख्यालय से महज 17 किलोमीटर दूर स्थित इस गांव में निकल रहे इस खनिज के बारे में अफसरों को कोई जानकारी तक नहीं है। यह हाल तब है जबकि एक नहीं बल्कि आसपास के कई गांवों के लोग अपना काम धंधा छोड़कर पूरे दिन यहां की पहाड़ियों को काले पत्थर की तलाश में खोदते दिख रहे हैं। इस काले पत्थर को ग्रामीण काला मोती नाम से पहचानते हैं। यहां की पहाड़ियों पर सुबह से ही हजारों की संख्या में लोग कुदाली व खुदाई के अन्य औजार लेकर पहुंच जाते हैं और उसके बाद शाम तक खुदाई का क्रम अनवरत चलता रहता है। यहां पर मिलने वाला काला पत्थर पूरी तरह से ठोस और अपारदर्शी होता है। पत्थर के बीच में सफेद रंग की धारियां होती हैं। जिसे फिलहाल सुलेमानी हकीक पत्थर मानकर चला जा रहा है। यहां पर मिलने वाले एक पत्थर की कीमत उसके आकार के हिसाब से 5 से लेकर 30 हजार रुपए तक होने की जानकारी समाने आ रही है। इस पत्थर की कीमत की वजह से ही आसपास के दर्जनों गांव के लोग अपना सारा काम छोड़कर परिवार सहित इन पत्थरों की तलाश में खुदाई में जुटे रहते हैं। हालात यह है कि इसकी वजह से पहाड़ियों पर हजारों की संख्या में गड्ढे हो गए हैं। यह बात अलग है कि यह पत्थर कुछ ही लोगों के हाथ लग रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि लगभग एक माह पहले कुछ काले पत्थर ग्रामीणों को पहाड़ियों की ऊपरी सतह पर पड़े हुए मिले थे। पहले तो इन पत्थरों को ग्रामीणों ने समान्य पत्थर माना, लेकिन जब इनकी पहचान हुई तो वह कीमती पत्थर निकला। इसके बाद से तो यहां पर बड़ी संख्या में लोग खुदाई के काम में जुट गए। खास बात यह है कि यहां की पहाड़ियों पर यह पत्थर महज एक से आधा फीट की खुदाई में ही मिल जाता है। यही वजह है कि ग्रामीणों द्वारा इन पत्थरों की तलाश में की जा रही खुदाई के लिए किसी बड़े औजारों की जगह कन्नी, हंसिया, खुरपी जैसे छोटे औजारों का उपयोग किया जा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इंटरनेट पर सर्च करने पर इस पत्थर की पहचान सुलेमानी हकीक पत्थर के नाम से हो रही है। इसे बहुत कीमती पत्थर के रुप में देखा जा रहा है। इसका उपयोग गले में पहनने के अलावा अंगूठी आदि में किया जाता है। उधर इस सबंध में जिला खनिज अधिकारी मेजर सिंह का कहना है कि बिसनाखेड़ी के पास कुछ विशेष प्रकार के पत्थरों की खुदाई किए जाने की सूचना तो मिली है। अब मै स्वयं जाकर पता करुंगा की कौन सा पत्थर है। साथ ही पुरातत्व विभाग से इसकी जांच भी कराई जाएगी। इस मामले में की जा रही देरी की वजह से सरकार को मिलने वाली रॉयल्टी का नुकसान भी हो रहा है।
बाहरी व्यापारी कर रहे हैं खरीदी
ग्रामीणों के मुताबिक इस काले पत्थर को खरीदने के लिए बाहरी व्यापारियों का आना जाना लगा रहता है। वे पत्थर के आकार के हिसाब से उसकी कीमत तय कर उनकी खरीदी करते हैं। उनका कहना है कि यहां पर मिलने वाले पत्थरों का आकार अनार के दाने से लेकर अंगूर तक की साइज का पत्थर लोगों को खुदाई से मिल रहे हैं। इन पत्थरों के दाम ग्रामीणों को 5 हजार से लेकर 30 हजार रुपए तक मिल जाते हैं।