अब भी भाजपा के कई दिग्गजों को सत्ता में भागीदारी का भरोसा

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दो दर्जन महत्वपूर्ण प्राधिकरण और अन्य संस्थान रिक्त

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में शिव सरकार द्वारा भले ही एक साथ निगम-मंडलों में 25 नियुक्तियां कर दी गई हैं , लेकिन अब भी करीब दो दर्जन प्रधिकरण और इतने ही निगम मंडल और अन्य ऐसे संस्थान रिक्त पड़े हुए हैं,जिनमें राजनैतिक तौर पर नियुक्तियां की जाती है।  हाल ही में की गई नियुक्तियों के भरोसे भले ही शिव सरकार ने सियासी समीकरणों को साध लिया हो , लेकिन इससे भाजपा के मूल नेताओं व कार्यकर्ताओं में निराशा का भाव नजर आने लगा है। इन नियुक्तिओं में श्रीमंत और उनके समर्थक दिग्गज भाजपा नेताओं पर मंत्रिमंडल की ही तरह फिर से भारी पड़े हैं। फिलहाल माना जा रहा है कि प्रदेश में जिन चार दर्जन निगम- मंडलों और प्राधिकरणों में पद खाली हैं उनमें जल्द ही नियुक्तियां की जा सकती हैं। इनमें सरकार करीब दो सैकड़ा नेताओं को समायोजित कर सकती है। इनमें पार्टी के कई दिग्गज नेताओं का राजनीतिक पुनर्वास किए जाने की संभावना है। मौजूदा नियुक्तियों में ग्वालियर-चंबल अंचल में श्रीमंत समर्थक तो एडजस्ट हो गए लेकिन पार्टी के अन्य बड़े नेताओं के समर्थकों का इंतजार अभी भी बना हुआ है। इसी तरह से शिव कैबिनेट में भी गुंजाइश बनी हुई है। यह बात अलग है कि सियासी तौर पर अधिकतर जगह को खाली रखकर आकस्मिक सियासी जरूरत के समय उनका उपयोग किया जाता है।

इन नेताओं के समर्थकों को मिल सकता है मौका
ग्वालियर-चंबल अंचल में श्रीमंत के साथ ही भाजपा का दामन थामने वाले नेताओं को सत्ता में भागीदारी मिल चुकी है, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा, मालवा में पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन सहित मध्यभारत और महाकोशल के वरिष्ठ नेताओं से जुड़े समर्थकों को जगह नहीं मिल सकी है। इसके अलावा भोपाल में भी कई नेता उम्मीद लगाए बैठे थे लेकिन , उन्हें भी निराशा ही हाथ लगी है। माना जा रहा है कि अब होने वाली नियुक्तिओं में इन नेताओं के समर्थकों को मौका दिया जाएगा।

इंदौर के कई नेताओं को लगी निराशा हाथ
भाजपा के कई नेता ऐसे हैं जिन्हें उपचुनाव के दौरान सत्ता-संगठन के प्रमुख नेताओं ने आश्वस्त कर दिया था कि उनका सम्मान बरकरार रखते हुए उनका ठीक-ठाक जगह  पुनर्वास किया जाएगा। ये ऐसे नेता हैं जो पंचायत,निकाय से लेकर विधानसभा- लोकसभा चुनावों के दौरान पार्टी के संकटमोचक रह चुके हैं। इनमें मालवा के कई दावेदार पद पाने से चूके, इनमें पूर्व मंत्री दीपक जोशी का भी नाम है। इसी तरह से भोपाल से विकास वीरानी, आलोक शर्मा, ध्रुव नारायण सिंह और गिरीश शर्मा के नाम हैं, जबकि इंदौर में गोविंद मालू, गोपी नेमा, जीतू जिराती, सुदर्शन गुप्ता और राजेश सोनकर जैसे दावेदारों की अनदेखी की गई।

इस तरह से दर्द किया बयां
इस मामले में दीपक जोशी का सकारात्मक और शायराना अंदाज में कहना है कि  नसीब में पता नहीं क्या लिखा है, बाकी वायदा करता हूं कि संघर्ष-मेहनत में कोई कसर नहीं छोडूंगा… लेकिन मालवा अंचल के एक बड़े नेता ने तल्ख अंदाज में अपना दर्द बयान कर दिया। उन्होंने कहा- कातिल हमारे कत्ल से मशहूर हो गए हमें शहीद होकर भी शोहरत नहीं मिली…।

अधिकांश संस्थाओं में हैं रिक्त पद
अभी जिन निगम-मंडलों में 25 अध्यक्ष-उपाध्यक्षों की नियुक्तियां की गई हैं, उनमें भी अभी और राजनीतिक पुनर्वास की गुंजाइश है। इसकी वजह है अधिकांश संस्थाओं में अध्यक्ष और कुछ में उपाध्यक्ष बनाए गए हैं। इनमें अधिकांश पद रिक्त हैं। यही पद ही सौ से ज्यादा हो जाते हैं। इसी तरह से  जिन संस्थाओं में नियुक्तियां होने का इंतजार किया जा रहा है। इनमें शहरों के विकास प्राधिकरण के अलावा कई अन्य संस्थाएं शामिल हैं। माना जा रहा है कि इनमें भी जल्द ही नियुक्तियां कर दी जाएंगी। अभी भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन, कटनी, देवास, रतलाम,अमरकंटक और सिंगरौली विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद खाली हैं। इसी तरह से ग्वालियर मेला प्राधिकरण, साडा ग्वालियर, राज्य कोल जनजाति विकास प्राधिकरण, भारिया विकास प्राधिकरण, ओरछा विकास प्राधिकरण, बैगा विकास प्राधिकरण, खजुराहो विकास प्राधिकरण बुंदेलखंड, विंध्य और महाकौशल विकास प्राधिकरण, तीर्थयात्रा एवं मेला प्राधिकरण में भी नियुक्तियां होनी है।

यहां भी दिया जा सकता है मौका
प्रदेशभर में दीनदयाल समितियों में नियुक्तियां होनी हैं। जल उपभोक्ता समितियों में तैनाती की जा सकती है। कैबिनेट की उप-समितियों में सियासी पुनर्वास किया जा सकता है। 12 से ज्यादा संस्थाओं के गठन का प्रस्ताव भी लंबित हैं। मसलन, प्रमोशन काउंसिल, रिसर्च एंड नॉलेज कॉपोर्रेशन, युवा आयोग का भी गठन होना  है।

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