बैंस साहब क्या शासन पर भारी हैं अग्रवाल

बैंस साहब

भोपाल/हरीश फतेह चंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। एक तरफ प्रदेश में भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का दावा किया जाता है तो दूसरी तरफ ऐसे ही एक मामले की जांच कराना प्रदेश के वरिष्ठ आईएएस अफसर पर भारी पड़ गया। दरअसल पूरा मामला उद्यानिकी विभाग के प्याज के बीज खरीदी से जुड़ा हुआ है। इस मामले की जांच करवाने और उसके भुगतान पर रोक लगाने का नुकसान विभाग की प्रमुख सचिव कल्पना श्रीवास्तव का उठाना पड़ गया है। उन्हें अब विभाग से ही हटा दिया गया है।
इस मामले में आयुक्त ग्रामोद्योग मनोज अग्रवाल की सेवाएं भी उनके मूल विभाग वन महकमे को लौटा दी गई हैं। इससे सवाल खड़ा होने लगा है कि क्या अग्रवाल शासन पर भारी हैं। दरअसल प्रमुख सचिव की छवि एक ईमानदार एवं दंबग अधिकारी की है। उन्हें बीते लंबे समय से आयुक्त अग्रवाल के खिलाफ अनियमितताओं की लगातार शिकायतें मिल रहीं थीं। इसके बाद प्रांरभिक रुप से की गई जांच में उन शिकायतों में तथ्य मिलने पर इसकी जानकारी उच्च स्तर पर पहुंचाई गई। लेकिन इसका कोई फर्क नहीं पड़ा। इसके बाद उनके द्वारा प्याज खरीदी में घोटाले के मामले को पूरी तरह से जांच के लिए ईओडब्ल्यू को सौंप दिया गया था। अब इस मामले में सामान्य प्रशासन विभाग ने छुट्टी के दिन (शनिवार) दोनों अधिकारियों को हटाने के आदेश जारी किए। जारी आदेश में डॉ. श्रीवास्तव को अवकाश के दिन अचानक हटाकर प्रमुख सचिव मंत्रालय बनाया गया है। राज्य शासन द्वारा अपर मुख्य सचिव पशुपालन जे. एन. कंसोटिया को वर्तमान कर्तव्यों के साथ अपर मुख्य सचिव उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। प्रमुख सचिव उद्यानिकी एवं खाद्य प्र- संस्करण श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव को प्रमुख सचिव मध्यप्रदेश शासन पदस्थ किया गया है। आयुक्त सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण डॉ. ई रमेश कुमार को वर्तमान कर्तव्यों के साथ आयुक्त-सह- संचालक उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है।
लंबे अर्से बाद आयुक्त उद्यानिकी के पद पर आईएएस अधिकारी की पदस्थापना की गई है। जिस अधिकारी के खिलाफ शिकायतों पर कार्रवाई की जानी थी, उसे अपने मूल विभाग में भेजने और वरिष्ठ अधिकारी को बिना विभाग के पदस्थ कर दिये जाने से प्रशासनिक गलियारों में अब मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस की कार्य प्रणाली पर भी सवाल खड़ा होना शुरू हो गए हैं। कहा जा रहा है कि अग्रवाल इस मामले में शासन पर भरी पड़
गए हैं।
गौरतलब है कि प्याज बीज खरीद का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा था, जिसके चलते विभाग की प्रमुख सचिव ने जांच कराई और बीज की खरीद और भुगतान पर रोक लगा दी। इसे लेकर दोनों अधिकारियों के बीच तकरार बढ़ गई थी। सूत्र बताते हैं कि प्रमुख सचिव ने आयुक्त को जो शिकायती पत्र सौंपा था, उस पर उन्होंने यह कहते हुए जांच बंद करने की सलाह दी थी कि शिकायतकर्ता का मोबाइल नंबर नहीं लग रहा है और जो पता लिखा गया है, वहां वह
रहता भी नहीं है।
यह है प्याज घोटाला
2300 रुपये किलो में खरीदा बीज मामला सितंबर 2020 का है। उद्यानिकी विभाग ने जिस प्याज बीज की बाजार में 1100 रुपये प्रति किलो कीमत थी। उसी को टेंडर बुलाए बगैर 2300 रुपये किलो की दर पर नेशनल हार्टिकल्चरल रिसर्च एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन (एनएचआरडीएफ) इंदौर से खरीद लिया। यह बीज एमपी एग्रो की जगह दूसरी संस्थाओं से खरीदा गया। राष्ट्रीय बागवानी मिशन में इसी साल पहली बार खरीफ फसल में प्याज को शामिल किया गया है।  इसके बाद विभाग ने दो करोड़ रुपए में 90 क्विंटल प्याज बीज को खरीद लिया। उद्यानिकी को एमआईडीएच योजना में संकर सब्जी बीज के नाम पर केन्द्र सरकार से 2 करोड़ रुपए मिले थे। इस राशि से नियमों को ताक पर रखकर निम्न गुणवत्ता के अप्रमाणित प्याज बीज की किस्म एग्री फाउंड डार्क रेड की खरीदी कर ली गई।
नियम विरूद्ध दी गई थी प्रतिनियुक्ति
राजनैतिक व प्रशासनिक रसूख के चलते मनोज अग्रवाल को नियम विरूद्ध प्रतिनियुक्ति दी गई थी। अग्रवाल के विरूद्ध लोकायुक्त में धोखाधड़ी और पद के दुरूपयोग का मामला 18 अक्टूबर 2019 को दर्ज होने के बाद भी उन्हें प्रतिनियुक्ति देकर बेहद महत्वपूर्ण पद पर पदस्थापना दी गई थी। मनोज अग्रवाल के खिलाफ सोलह हजार दलित किसानों की सब्सिडी न देने के मामले की भी जांच चल रही है। कर्मचारी संघों ने भी कई बार मनोज अग्रवाल की शिकायत की, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। अग्रवाल के रसूख का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्याज खरीदी की जानकारी लेने पहुंची ईओडब्ल्यू की टीम तक को उनके द्वारा बैरंग लौटा दिया गया था। आयुक्त उद्यानिकी द्वारा भ्रष्टाचार की शिकायत की जांच संबंधी जानकारी देने से इंकार करने के बाद टीम मंत्रालय में ही प्रमुख सचिव उद्यानिकी डॉ. कल्पना श्रीवास्तव के पास पहुंची। उन्होंने नियमानुसार जानकारी ईओडब्ल्यू को दी। शायद यही जानकारी देना श्रीमती श्रीवास्तव को भारी पड़ा है। दरअसल इस मामले में ईओडब्ल्यू द्वारा की जा रही जांच की राडार पर उद्यानिकी विभाग के कमिश्नर अग्रवाल आ चुके हैं।

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