मुख्यमंत्री का रौद्र रूप… अफसरानों से हुए खफा

शिवराज सिंह चौहान

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का रुप बीते रोज अचानक से बेहद बदला हुआ नजर आया। इस दौरान उनका रौद्र रुप देखकर अफसरान भी हैरान परेशान रह गए। चौहान के इस रुप को देखकर कल हुई ताबड़तोड़ तरीके से बैठकों में पूरे समय अफसर इस बात को लेकर आशंकित रहे की कहीं वे भी उनके गुस्से का शिकार न हो जाएं। दरअसल चौहान के खफा होने की वजह थी स्मार्ट सिटी के अफसरों की कार्यशैली। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को लेकर आयोजित समीक्षा बैठक में अधिकारियों को फटकार लगाते हुए चौहान ने यहां तक कह दिया कि फाइलें निकालकर देखिए, स्मार्ट सिटी में गड़बड़ी और लापरवाही दिख जाएगी। स्मार्ट सिटी के कैमरे बंद पड़े हैं। पहले बहुत गड़बड़ हुई है। उन्होंने सीसीटीवी का काम पुलिस को देने की बात कही। दरअसल यह वह संस्थान है, जिसके अफसर विभागीय मंत्री भूपेन्द्र सिंह तक की बात को नहीं सुनते हैं। इसके अलावा शिशु और मातृ मृत्युदर के मामले में स्वास्थ्य विभाग के अलावा उनके निशाने पर कलेक्टर भी रहे, तो कोरोना की तीसरी लहर की आंशका व्यक्त करते हुए ओमिक्रॉन संक्रमण को लेकर सतर्कता और निगरानी बढ़ाने के निर्देश भी उन्होंने दिए।  समीक्षा शुरू करते ही स्मार्ट सिटी के अफसरों ने अपनी पीठ थपथपाने वाली जानकारियां देनी शुरू कर दीं, जिससे सीएम ऐसे नाराज हुए कि उनके द्वारा एक के बाद एक उनकी नाकामी बताना शुरू कर दी गईं, जिससे सभी भौंचक रह गए कि आखिर सीएम के पास इतनी जानकारियां आयीं कैसे। इसके बाद तो सीएम ने सातों स्मार्ट सिटी के कामकाज को लेकर जमकर नाराजगी जताई। सीएम की नाराजगी इससे ही समझी जा सकती है कि उनके द्वारा नए टेंडर तक पर रोक लगा दी गई। यही नहीं नए काम शुरू करने से पहले उनके रिव्यू करने के लिए भी कह दिया गया। इसके अलावा बीते दो साल में हुए कामों के औचित्य, टेंडर प्रक्रिया, व्यय राशि और अनियमितताओं की जांच के भी निर्देश दे दिए गए। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि स्मार्ट सिटी निर्माण में सौंदर्यीकरण की जगह उपयोगी और जन सुविधाओं वाले कामों को ही किया जाए। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में 6600 करोड़ से 587 योजनाएं चल रही हैं।  

भोपाल के अफसरों की लगाई क्लास
प्रोजेक्ट्स के दोहराव पर मुख्यमंत्री ने भोपाल स्मार्ट सिटी के अधिकारियों फटकार लगाते हुए कहा कि जब चौराहों पर पुलिस ने पहले से ही कैमरे लगा रखे हैं, तो स्मार्ट सिटी ने क्यों लगाए। स्मार्ट सिटी चालान बनाएगी तो पुलिस क्या करेगी। स्मार्ट सिटी के कैमरे भी बंद पड़े हैं। इसी तरह से कहा कि जब बिजली के खंबे लगे हुए हैं, फिर ये पोल क्यों लगाए। इनका क्या उपयोग है।

आदिवासियों को बनाया जाएगा अधिकार संपन्न
शिवराज सरकार आदिवासियों के उत्थान के लिए उन्हें अधिकार संपन्न बनाने की तरफ बढ़ रही है। इसी सिलसिले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को सामुदायिक वन प्रबंधन को लेकर अफसरों की बैठक बुलाई, जिसमें सामुदायिक वन प्रबंधन समिति का गठन, बिगड़े वन क्षेत्रों व वन्य प्राणी प्रबंधन पर चर्चा हुई। सरकार अब राष्ट्रीय उद्यानों व अभ्यारण्यों में प्रदेश शुल्क वसूलने का अधिकार वन समितियों को देने की तैयारी कर रही है।

पूर्व इंजीनियरों की फौज पर नाराज हुए भूपेंद्र सिंह  
मंत्री भूपेंद्र सिंह ने मप्र अर्बन डेवलपमेंट कंपनी में रिटायर्ड इंजीनियरों की बड़ी फौज रखने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि कई तो महीनों तक कार्यालय नहीं आते हैं। जहां भी प्रोजेक्ट चल रहे हैं, वहां नगरीय निकाय ने अपने हिस्से का कार्य कर लिया है, लेकिन कंपनी का काफी काम अधूरा पड़ा हुआ है। उन्होंने पूछा कि नगरीय प्रशासन के इंजीनियरों की सेवाएं ही कंपनी में क्यों नहीं ली जा रही हैं।

कलेक्टर भी रहे निशाने पर
मुख्यमंत्री ने कहा है कि प्रदेश में शिशु एवं मातृ मृत्यु दर कम करना हमारी प्राथमिकता है। इसके लिए परिवार कल्याण अभियान से लोगों में जागरूकता बढ़ाई जाना चाहिए। उन्होंने शिशु एवं मातृ मृत्यु दर को कम करने की कार्य-योजना की समीक्षा में कहा कि कलेक्टर इसकी हर माह जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में मॉनिटरिंग करें और जिला प्रभारी मंत्री भी इसकी लगातार समीक्षा करें। उन्होंने यहां तक कहा कि अगर इसमें सुधार नहीं हुआ तो कलेक्टरों की सीआर बिगड़ेगी। उन्होंने चेतावनी देते हुए यहां तक कह दिया कि बैठकें सिर्फ चाय-नाश्ता तक ही सीमित न रहें। इसी तरह से उनके द्वारा कोरोना संक्रमण रोकने के लिए प्रदेश के बॉर्डर से लगे तीन राज्यों गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान वाले  सीमाई जिलों में जांच और निगरानी बढ़ाने के निर्देश दिए हैं।

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