
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में करीब ऐसे आधा दर्जन अफसर हैं जो हाल ही में सेवानिवृत्त हुए हैं। इन अफसरों को सरकार का बेहद करीबी माना जाता है। यही वजह है कि अब सरकार को इनके पुर्नवास की चिंता सता रही है। इसकी वजह से ही अब सरकार स्तर पर उन्हें उपकृत करने की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।
इन अफसरों को अलग-अलग संस्थाओं में जिम्मेदारी देने की संभावनाएं हैं। इनमें सबसे अधिक जिम्मेदारी राज्य सूचना आयोग में दी जा सकती है। बताया जा रहा है कि इस आयोग में तीन अफसरों को बतौर सदस्य बनाकर पुर्नवास किया जा सकता है, जबकि शेष अफसरों को अन्य संस्थाओं में जिम्मेदारी दी जाएगी। इनमें सहकारी निर्वाचन पदाधिकारी तक का पद भी शामिल है। दरअसल प्रदेश में पंचायत चुनावों के बाद सहकारी संस्थाओं के चुनाव कराए जाने हैं।
दरअसल हाल ही में भोपाल संभाग के कमिश्नर कवीन्द्र कियावत व होशंगाबाद संभाग के कमिश्नर रजनीश श्रीवास्तव के अलावा स्पेशल डीजी विजय यादव भी एक माह के अंदर सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इन तीनों ही अफसरों को सरकार का बेहदी करीबी माना जाता है। सरकार की पसंद के चलते ही उनका पुर्नवास होना पहले से ही तय माना जा रहा था। बताया जाता है कि इन तीनों ही पूर्व ब्यूरोक्रेट को राज्य सूचना आयोग में बतौर सदस्य नियुक्त किया जा सकता है। दरअसल, सूचना आयुक्त डीपी अहिरवार इसी माह सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं, वहीं एक अन्य सूचना आयुक्त जी. कृष्णमूर्ति भी 2 माह बाद रिटायर हो जाएंगे। जानकारी के अनुसार राज्य सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त के अलावा दस सूचना आयुक्त बनाए जा सकते है। पांच पद पहले से ही खाली चले आ रहे है। इन दो सदस्यों के सेवानिवृत्त होने के बाद राज्य सूचना आयोग में सूचना आयुक्त के 7 पद रिक्त हो जाएंगे। इसके बाद आयोग में महज राज्य सूचना आयोग में इन दोनों सूचना आयुक्तों के सेवानिवृत्त होने के बाद केवल तीन सदस्य विजय मनोहर तिवारी, राहुल सिंह और अरुण पांडे ही शेष रह जाएंगे।
मुख्य सूचना आयुक्त के अलावा इन तीन सदस्यों का कार्यकाल पूरा होने में अभी काफी समय शेष है। सरकारी सूत्रों की माने तो राज्य सूचना आयोग में रिक्त चल रहे सूचना आयुक्तों के पदों को भरने के लिए राज्य सूचना आयोग और सामान्य प्रशासन विभाग के अफसरों की एक बैठक बीते पखवाड़े हो चुकी है। जिसमें में सूचना आयुक्त के रिक्त पदों को भरने विज्ञापन जारी करने पर विचार विमर्श किया गया। माना जा रहा है कि सरकार द्वारा इस माह में राज्य सूचना आयुक्तों के रिक्त पदों को भरने के लिए विज्ञापन जारी कर सकता है।
कियावत और श्रीवास्तव को अहिरवार और कृष्णमूर्ति की जगह नियुक्त कर पुनर्वास किया जा सकता है। इसी तरह से पूर्व स्पेशल डीजी रह चुके विजय यादव को भी सरकार कोई न कोई जिम्मेदारी देने पर विचार कर रही है। माना जा रहा है कि उन्हें भी सरकार सूचना आयोग में सदस्य बना सकती है। सूचना आयोग में आईपीएस कोटे से सूचना आयुक्त बनाए गए पूर्व डीजीपी सुरेन्द्र सिंह गत तीस जून को सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इसकी वजह से माना जा रहा है कि उनकी जगह यादव को पदस्थ किया जा सकता है।
पाल बनना चाहते हैं सहकारी निर्वाचन पदाधिकारी
प्रदेश में कुछ माह के अंदर होने वाले सहकारी संस्थाओं के चुनावों के लिए सहकारी निर्वाचन पदाधिकारी की भी नियुक्ति की जानी है। इस पद के लिए कई सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारियों द्वारा दावेदारी की जा रही है। इस पद के लिए जो दावेदार माने जा रहे हैं, उनमें वरिष्ठ आईएएस अधिकारी व सहकारिता आयुक्त नरेश पाल सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं। उनके बारे में तो यह भी कहा जा रहा है कि वे सहकारिता मंत्री डॉ. अरविंद भदौरिया को अपनी भावनाओं से भी अवगत करा चुके हैं। यदि अभी नरेश पाल को राज्य सहकारी निर्वाचन पदाधिकारी बनाने पर सहमति बनती है तो उन्हें स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) लेनी होगी। पाल 31 जनवरी 2022 को सेवानिवृत्त होंगे। हालांकि राज्य सहकारी निर्वाचन पदाधिकारी के दावेदारों में हाल ही में सेवानिवृत्त हुए भोपाल संभाग के कमिश्नर कवीन्द्र कियावत व होशंगाबाद संभाग के कमिश्नर रजनीश श्रीवास्तव के नाम भी शामिल हैं। उधर रिटायर्ड जिला व सत्र न्यायाधीश खरे को सहकारी ट्रिब्यूनल का अध्यक्ष बनना तय हो चुका है। इसके आदेश सरकार द्वारा कभी भी जारी किए जा सकते हैं।