केन-बेतवा लिंक परियोजना की राह आसान नहीं

केन-बेतवा लिंक
  • जमीन के बदले देना होगा ढाई गुना मुआवजा: 15 दिन के अंदर सर्वे कर केंद्र को रिपोर्ट देगी सरकार …

    भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। 
    करीब 75 हजार करोड़ की केन-बेतवा लिंक परियोजना के निर्माण का 19 रास्ता साल बाद साफ हुआ है, लेकिन अभी भी बाधाएं कम नहीं हैं। परियोजना की राह में फिलहाल सबसे बड़ा रोड़ा वे 14 आदिवासी गांव हैं जो इसकी जद में आ रहे हैं। इन गांवों का विस्थापन करना सरकार के लिए चुनौती रहेगी। ये आदिवासी गांव होने के कारण जल संसाधान विभाग को ढाई गुना मुआवजा देना होगा। यानी सरकार पर करोड़ों रूपए का अतिरिक्त बोझ पड़ने वाला है। परियोजना के करीब 19 साल पिछड़ने से इसकी लागत में भारी-भरकम इजाफा हो चुका है। परियोजना की शुरूआत में अनुमानित लागत करीब आठ हजार करोड़ रुपए ही आंकी गई थी लेकिन, समय बढ़ने के साथ इसकी लागत में भी लगातार इजाफा होता जा रहा है। परियोजना में अभी तक जीएसटी की रकम नहीं जोड़ी गई थी। यह रकम जुड़ने के बाद अब इसकी लागत 75 हजार करोड़ पहुंच चुकी है। अब गांवों का विस्थापन सरकार के लिए चुनौती बन खड़ा हुआ है।
    15 दिन में सर्वे कर केंद्र 21 लाख पेड़ों की चढ़ेगी बलि को देनी है रिपोर्ट
    उधर, वन विभाग और जल संसाधन विभाग को परियोजना के बदले मिलने वाली 4338 हेक्टेयर जमीन जंगल के लिए उपयुक्त है या नहीं और इसके अंदर आने वाले 14 गांवों के विस्थापन की व्यवस्था का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को 15 दिन के अंदर भेजनी
    होगी। वन विभाग और जल संसाधन विभाग को परियोजना की तैयारी एक माह के अंदर करनी है। अगले माह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसकी आधारशिला रखेंगे। परियोजना के बांध की ऊंचाई करीब 73.80 मीटर होगी, जिसमें जलभराव करीब 43 सौ
    स्क्वायर किलोमीटर में होगा। इंदिरा सागर बांध की ऊंचाई 90 मीटर है, जलभराव 903 वर्ग किलोमीटर है। बताया जाता है कि केन-बेतवा लिंक परियोजना करीब आठ वर्ष के अंदर बनकर तैयार हो जाएगी। गांवों के विस्थापन के लिए छतरपुर और पन्ना
    जिले में तीन हजार हेक्टेयर जमीन आरक्षित की गई है, लेकिन यह जमीन उद्योगों के उपयोग के लिए उपयुक्त है।
    21 लाख पेड़ों की चढ़ेगी बलि
    बुंदेलखंड के लिहाज से केन-बेतवा लिंक परियोजना सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना है। केन नदी का पानी नहर के जरिए बेतवा के बेसिन में छोड़ा जाना है। इससे मध्य प्रदेश के नौ जिलों समेत यूपी के झांसी, महोबा, ललितपुर, बांदा और हमीरपुर को सिंचाई
    समेत पीने का पानी मिलेगा। परियोजना के लिए चयनित 6017 हेक्टेयर में से 5500 हेक्टेयर भूमि पन्ना टाइगर रिजर्व की है। कोर एरिया की 4208 और बफर एरिया की 1292 हेक्टेयर भूमि डूब रही है। 517 हेक्टेयर भूमि सामान्य वनमंडल की है। सैम्पल
    सर्वे के अनुसार परियोजना के लिए डूब क्षेत्र में आने वाले लगभग 21 लाख पेड़ काटे जाएंगे।
    गांवों की सैटेलाइट मैपिंग
    बुंदेलखंड के लिए अहम मानी जाने वाली केन-बेतवा लिंक परियोजना के लिए स्थलीय परीक्षण शुरू हो गया है। वहीं वन विभाग ने गांवों की सैटेलाइट मेपिंग करा ली है। परियोजना की जद में जो 14 गांव है, उसमें करीब छह गांव ज्यादा आबादी वाले हैं। इन गांवों में अमानगंज क्षेत्र के कटहरी, बिल्हारा, कोनी, मझौली, गहदरा, मरहा, खमरी, कूडऩ, पाठापुर, नैगुवा, डुंगरिया, कदवारा, घुघरी, बसुधा आदि शामिल हैं। जल संसाधन विभाग वनीकरण क्षतिपूर्ति, पौधरोपण सहित अन्य कार्यों के लिए करीब आठ हजार करोड़ रुपए वन विभाग को देगा। पन्ना नेशनल पार्क से लगे हुए 1800 हेक्टेयर में उजड़े वनों में पौधरोपण के लिए भी वन विभाग को राशि उपलब्ध कराई जाएगी।

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