प्रदेश के चारों महानगरों के 26 ब्लॉकों में भू-जल भंडार समाप्त

भू-जल भंडार
  • ग्राउंड वाटर निकालने के लिए एनओसी लेना अनिवार्य

    भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश की गिनती अब उन राज्यों में होना शुरू हो गई है , जिनमें तेजी से भू जल स्तर कम हो रहा है। इस वजह से प्रदेश के चारों महानगरों वाले ब्लाकों में तो हालात यह हो गए हैं कि उनके तहत आने वाले 26 ब्लॉकों में तो भू जल भंडार लगभग समाप्त ही हो गया है। यही नहीं अन्य इलाकों में भी तेजी से भूजल भंडार समाप्त होने के आसार बने हुए हैं।
    इसकी जो वजह सामने आ रही है उसके मुताबिक भूमिगत जल के अत्यधिक दोहन और बारिश में ग्राउंड वॉटर रिचार्ज कम होना। इसका खुलासा केंद्रीय भूजल बोर्ड की डायनामिक वॉटर रिसोर्स-2020 की रिपोर्ट से हुआ है। इसमें बताया गया है कि प्रदेश में साल 2017 की तुलना में 2020 में और विकट स्थिति बन गई है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रदेश के 317 ब्लॉक में से आधा सैकड़ा सेमी- क्रिटिकल कैटेगरी में आ चुके हैं। यह वे ब्लॉक है, जिनमें पानी तो हैं , लेकिन बहुत ही कम मात्रा में। रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें सालाना दोहन उपलब्धता से 90 फीसदी तक किया जा रहा है। जबकि इसके पहले 2017 में सिर्फ 22 ब्लॉक ऐसे पाए गए थे, जहां अतिदोहन की स्थिति सामने आयी थी और 8 ब्लॉक में उपलब्ध भू-जल का 100 फीसदी तक दोहन होना पाया गया था।  इस स्थिति पर काबे पाने के लिए अब तेजी से कवायद की जा रही है। इसके तहत नए नियम तैयार किए गए हैं, जिसमें अब ग्राउंड वाटर निकालने के लिए एनओसी लेना अनिवार्य कर दिया गया है। इसके तहत सिर्फ घरेलू ट्यूबवेलों को राहत दी गई है। इनमें हाउसिंग सोसायटी, अपार्टमेंट, कमर्शियल कॉम्पलेक्स आदि शामिल है। नए नियमों के तहत एमएसएमई की श्रेणी में आने वाले उद्योगों को अनुमति लेनी होगी।
    इन नियमों के पालन का जिम्मा कलेक्टरों को दिया गया है। इसके तहत कलेक्टरों को मॉनिटरिंग के साथ ही समय-समय पर जांच करने और एनओसी न लेने वालों पर पेनाल्टी गाने की जिम्मेदारी दी गई है। इसी तरह से नए नियमों के तहत एनओसी लेकर बोरिंग का उपयोग तभी किया जा सकेगा , जब उसमें मीटर लगाया गया हो। इसमें भी खास बात यह है कि तय मात्रा से ज्यादा पानी निकालने पर उस पर शुल्क भी देना होगा।  
    पांच साल के लिए होगी एनओसी वैध
    इसके लिए राज्य सरकार को ड्रिल किए गए कुओं का डाटा रखना होगा। इस संबंध में सीजीडल्यूए के पोर्टल पर आंकड़ों के लिए लिंक भी दी जाएगी। खास बात यह है कि दी जाने वाली एनओसी पांच साल के लिए ही वैध होगी। एनओसी समाप्ति के 90 दिन के भीतर इसके नवीनीकरण के लिए आवेदन करना होगा। नए नियमों के तहत 30 जून 2020 तक एनओसी के आवेदन करना थे। लेकिन, लोगों ने जानकारी के अभाव में आवेदन ही नहीं दिए, जिसकी वजह से अब उन्हें भूजल निकासी सहित विलंब शुल्क देना होगा। ऐसे आवेदकों को 31 मार्च 2022 तक पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क से छूट जरूर मिलेगी।
    इन मामलों में दी गई छूट
    बनाए गए नए नियमों में पेयजल और घरेलू उपयोग के लिए ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में घरेलू उपभोक्ताओं के अलावा ग्रामीण पेयजल स्कीम के साथ ही सशस्त्र बलों के प्रतिष्ठान और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल को इसमें छूट दी गई है। इसी तरह से कृषि कार्यों और 10 सीयूएम प्रतिदिन से कम भूजल का आहरण करने वाले माइक्रो और स्माल उद्योगों को भी छूट प्रदान की गई है। इसके लिए जो दर तय की गई हैं उसके मुताबिक रेसिडेंशियल अपार्टमेंट, हाउसिंग सोसायटी के लिए भूजल निकासी पर एक माह में 25 घनमीटर पानी तक कोई प्रभार नहीं देना होगा , जबकि 26-50 घनमीटर पर 1 रुपए प्रति घनमीटर और 50 घनमीटर से अधिक पर 2 रुपए प्रति घनमीटर प्रभार देना होगा।

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