- अधिकारी-कर्मचारी रिश्वतखोरी व भ्रष्टाचार के गंभीर मामलों में लिप्त हैं बावजूद इसके आला अफसर अपनी आखें बंद किए हुए हैं
भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में विभिन्न विभागों में भ्रष्ट अफसरों की तूती बोल रही है लेकिन मजाल है कि प्रशासन इनके खिलाफ कोई कार्रवाई करे। एक नहीं ऐसे कई महकमें है जिनमें भ्रष्ट अफसर कई सालों से जमे हुए हैं। इनकी वजह से सरकार की भी किरकिरी होती है लेकिन इनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाता। ये अपनी मर्जी के मालिक हैं और अपनी मर्जी से ही काम करते हैं।
धार जिला भी इससे अछूता नहीं है। यह जिला पिछले कई सालों से भ्रष्टाचार का अड्डा बना हुआ है। यहां विभिन्न विभागों में जमे अफसर अन्य लोगों के साथ मिलकर जमकर रिश्वतखोरी व अवैध कारोबार में लिप्त हैं जबकि प्रशासन आंखें बंद किए हुए है। उल्लेखनीय है कि सहकारी बैंक के अंतर्गत काम करने वाली सोसायटीओं के माध्यम से एक ही परिवार के सदस्यों के नाम पर कई टन यूरिया खाद व्यापारियों को बेचकर खुलेआम घोटालेबाजी की गई है किंतु उक्त घोटाले बाजी में सत्ता व विपक्ष की मिलीभगत के चलते करोड़ों के घोटाले पर कोई कार्रवाई अब तक अधिकारियों पर नहीं हुई है। वहीं कृषि विभाग ने जिले के चार घोटालेबाज व्यापारियों के सिर्फ लाइसेंस निरस्त कर मामले में अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली। जबकि गंधवानी में नायब तहसीलदार द्वारा पकड़ी गई बिना कागज की आयशर में 66 टन यूरिया की बोरियां थी। उक्त मामले में कृषि विभाग ने कार्यवाही करते हुए चार आरोपियों के विरुद्ध प्रकरण दर्ज किया था। हालांकि सवाल उठता है कि आखिर 66 टन यूरिया किसानों के नाम पर लेने वाले व्यापारी व बेचने वाले सोसायटी प्रबंधक दोषी क्यों नहीं बनाए गए। यदि वे दोषी थे तो उन पर आपराधिक प्रकरण विभाग या अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने क्यों नहीं बनाया। सूत्रों की माने तो इस मामले में घूस लेकर अधिकारियों ने आंखें बंद कर ली। यानी जिले में एक जैसी व्यवस्था के लिए दो कानून काम कर रहे हैं। इसी तरह जिले में पीआईयू द्वारा पिछले पांच वर्ष में किए गए करोड़ों के घोटालों पर भी आज तक पर्दा डला हुआ है। जबकि पूर्व कार्यपालन यंत्री नीमा और मांझी के कार्यकाल से ही धार की पीआईयू शाखा में वसुनिया जमा हुए हैं। ज्ञात रहे कि अपने पांच साल के कार्यकाल में वसुनिया ने करोड़ों के घोटाले किए।
निमार्णाधीन बिल्डिंग गिरी और पुन: बन गई लेकिन भ्रष्ट वसुनिया पर कोई कार्यवाही प्रशासन द्वारा नहीं की गई। दरअसल एम वसुनिया जिले के ऐसे अफसरों है जिन्होंने अपनी पदस्थापना के दौरान तीन मुख्यमंत्री को बदलते हुए देखा लेकिन कोई भी सरकार इनकी कुर्सी नहीं बदल पाई। इसी तरह पीडब्ल्यूडी में भी धार में पदस्थ कार्यपालन यंत्री भिड़े पिछले पांच वर्षों से एक ही जगह पर जमे हुए हैं और मेंटेनेंस के नाम पर विभाग को करोड़ों का चूना लगा चुके हैं।
चालान पेश होने बाद भी बने हैं पद पर
उल्लेखनीय है कि इंदौर में कंट्रोल दुकानों में राशन की घोटालेबाजी करने वाले तीन आरोपियों पर रासुका व खाद्य अधिकारी को हटाकर विभागीय जांच के आदेश दिए गए जबकि इसके विपरीत धार में मार्केटिंग सोसायटी द्वारा संचालित कंट्रोल दुकानों की चाबी ही भ्रष्ट मार्केटिंग मैनेजर के हाथ में दे दी गई है। बता दें कि यह वो अफसर है जो लोकायुक्त द्वारा रिश्वत लेते हुए पकड़ाया गया और विगत छह जनवरी 2021 को लोकायुक्त ने लवलेश राठौर के खिलाफ चालान प्रस्तुत कर दिया है। नियमानुसार चालान प्रस्तुत होने के बाद रिश्वतखोर अफसर को निलंबित किया जाता है लेकिन दुर्भाग्य से लवलेश राठौर अभी भी पद पर बने हुए हैं। बता दें कि मार्केटिंग सोसायटी धार के माध्यम से हर साल किसानों की जरूरत के करोड़ों रुपयों की सामग्री का वितरण किया जाता है। वही इस शहर की उचित मूल्य की अधिकांश दुकानों का संचालन भी सोसाइटी द्वारा किया जाता है। करोड़ों के टर्नओवर वाली संस्था में रिश्वतखोर बाबू लवलेश राठौर के नियम विरुद्ध नियुक्ति आखिर अफसरों ने कैसे कर दी। यही नहीं अपनी तैनाती के बाद लवलेश ने भी अपने काले कारनामों को अंजाम देने के लिए झाबुआ जिले से अपने पसंदीदा कर्मचारियों को नियुक्त करा लिया है।
अब तक नहीं हटाए गए वसुनिया
पिछले पांच सालों में करोड़ों रुपए के घोटाले करने वाले पीआईयू के एसडीओ एम वसुनिया को अब तक कोई नहीं हटा सका है। इतना ही नहीं मध्यप्रदेश में पिछली शिवराज सरकार आकर चली गई। फिर कमलनाथ की सरकार आई और चली गई। उसके बाद फिर शिवराज वापस आए किंतु पांच वर्ष से अधिक समय से एक ही जगह जमे वसुनिया को कोई नहीं बदल सका।
19/08/2021
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