अब नक्सल की जगह औद्योगिक विकास बनेगी बालाघाट की पहचान

 औद्योगिक विकास

भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र का बालाघाट जिला अब तक प्रदेश का नक्सलवाद जिला होने का तमगा लटकाए बदनामी का दंश झेलने को मजबूर हैं, लेकिन जल्द ही उसका यह तमगा बदलने वाला है। इसके लिए सरकार स्तर पर वृहद रुप से प्रयास किए जा रहे हैं। अगर सरकार की मंशा के अनुरुप सबकुछ ठीकठाक रहा तो जल्द ही यह जिला औद्यौगिक विकास के रुप में अपनी पहचान बना लेगा। इसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा इस जिले में चार हजार करोड़ के निवेश की योजना को मूर्तरुप देने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसकी वजह से जिले के सात हजार लोगों को रोजगार भी मिल सकेगा। इसके लिए एक  इंवेस्टर समिट 2021 का आयोजन भी बीते रोज किया जा चुका है। जिसे संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि बालाघाट अद्भुत संभावनाओं का जिला है। यहां वन, खनिज, जल, कृषि सहित अनेक संपदाओं और सभी संसाधनों का भंडार है। इन संपदाओं और संसाधनों का उपयोग कर बालाघाट को बेरोजगारी मुक्त- रोजगार युक्त बनाया जाएगा। जिले में उद्योग लगाने के लिए निवेश प्रोत्साहन सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। भूमि आवंटन पर 50 प्रतिशत छूट के साथ 25 प्रतिशत की अतिरिक्त छूट दी जा रही है। विद्युत शुल्क, विद्युत टैरिफ में रियायत है। प्रदूषण नियंत्रण संबंधी वैधता 2 साल के स्थान पर 5 वर्ष कर दी गई है। अधोसंरचना विकास के लिए सहायता और अन्य प्रोत्साहन सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा रही हैं। बालाघाट में निवेश का वातावरण है। राज्य सरकार द्वारा लगभग 4 हजार करोड़ रुपए निवेश कर 7 से 8 हजार लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा।
इस कार्यक्रम में औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन मंत्री राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, आयुष एवं जल संसाधन राज्य मंत्री रामकिशोर कांवरे, सांसद ढाल सिंह बिसेन, पूर्व मंत्री तथा वर्तमान में विधायक गौरी शंकर बिसेन सहित औद्योगिक इकाइयों के प्रतिनिधि तथा अधिकारी उपस्थित थे।
कच्चे माल का वैल्यू एडिशन कराना होगा
मुख्यमंत्री ने कहा कि आत्म-निर्भरता के लिए रोजगार जरूरी है। रोजगार के अवसर उद्योगों से सृजित होंगे। बालाघाट में उपलब्ध कच्चे माल का वैल्यू एडिशन कराना होगा। यहां खनिज के साथ धान में अपार संभावनाएं हैं। धान के लिए नई नीति लाई जा रही है, जिससे न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी हो सकेगी तथा लोगों को रोजगार मिल सकेगा। फूड प्रोसेसिंग क्षेत्र में भी यहां कई अवसर हैं। उन्होंने कहा कि यहां पर खनिज आधारित उद्योग की भी संभावनाएं हैं। बालाघाट का कबेलू भी प्रसिद्ध है। पक्की छतों में कबेलू का प्रचलन कम है, पर अब लोग ईको फ्रेंडली भवन निर्माण की ओर आकर्षित हो रहे हैं। कबेलू का डिजाइन बदलकर डिजाइनर फ्लोर टाइल्स और प्री- फैब्रिकेटेड छत का निर्माण किया जा सकता है। बदलती आवश्यकता और तकनीक के आधार पर कबेलू उद्योग को भी पुनर्जीवित किया जा सकता है। चौहान ने कहा कि बालाघाट का बांस बहुत उपयोगी है। यहां वनों के साथ निजी भूमि पर भी बांसों का उत्पादन हो रहा है। बांस के रूप में उपलब्ध कच्चे माल से फर्नीचर और अगरबत्ती की काड़ी बनाने जैसे उद्यमों के लिए पहल की जा सकती है।
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए प्रतिबद्ध
औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन मंत्री राजवर्द्धन सिंह दत्तीगांव ने कहा कि मुख्यमंत्री चौहान  ईज आॅफ डूइंग बिजनेस के क्रियान्वयन के लिए प्रतिबद्ध हैं। मुख्यमंत्री चौहान के नेतृत्व और मार्गदर्शन के परिणामस्वरूप ही मध्य प्रदेश बीमारू से विकसित राज्यों की श्रेणी में आया है।  जल संसाधन राज्य मंत्री रामकिशोर कांवरे ने कहा कि एक जिला-एक उत्पाद योजना में बालाघाट के चीनौर चावल की ब्रांडिंग का प्रयास किया जा रहा है। सांसद ढाल सिंह बिसेन ने कहा कि औद्योगिक विकास के लिए आवश्यक अधोसंरचना, यातायात, कृषि और औद्योगिक क्षेत्र के लिए आवश्यक संसाधन आदि सभी बालाघाट में उपलब्ध हैं। राज्य शासन और निवेशकों के समन्वित प्रयास से बालाघाट के औद्योगिक विकास को गति मिलेगी। विधायक गौरी शंकर बिसेन ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।
निवेश व रोजगार देने पर सरकार ने दिया साथ देने का भरोसा  
मुख्यमंत्री ने कहा कि बालाघाट अपार संभावनाओं का स्वामी है। कृषि उत्पादन के साथ फूड प्रोसेसिंग की दिशा में बढ़ने की आवश्यकता है। राज्य सरकार निवेशकों को पूरे विश्वास के साथ निवेश के लिए आमंत्रित कर रही है। बालाघाट में हरसंभव सुविधाएं, सुरक्षित परिवेश और सहयोग उपलब्ध कराया जायेगा। मुख्यमंत्री चौहान ने निवेशकों को प्रेरित करते हुए कहा कि आप निवेश करें, बालाघाट में रोजगार दें, सरकार आपके साथ है।

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