सीटें बढ़ने और संसाधनों की कमी से जूझ रहे प्रदेशभर के कॉलेज

कॉलेज

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेशभर के सरकारी कॉलेजों के सामने वर्तमान में बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। दरअसल एक तरफ उच्च शिक्षा विभाग ने प्रदेश के यूजी और पीजी कॉलेजों की 25 फीसदी सीटें बढ़ा दी है वहीं दूसरी ओर कॉलेजों में ना तो विद्यार्थियों को बैठाने के लिए अतिरिक्त कमरे हैं, न उतना फर्नीचर है और न ही अन्य आवश्यक संसाधन।
ऐसे में संसाधनों के अभाव में प्राचार्य को निश्चित ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। यही नहीं उनके सामने अब किंकर्तव्यविमूढ़ की स्थिति बन गई है। वह इसलिए कि वर्तमान में प्रदेश भर में कॉलेज और विद्यार्थियों के हिसाब से पचास फीसदी ही स्टाफ कार्य कर रहा है। ऐसे में अतिरिक्त विद्यार्थियों से व्यवस्था बिगड़ने के आसार बन गए हैं। वर्तमान में नान प्रोफेशनल यूजी में दस लाख तीस हजार और पीजी में दो लाख तीन हजार सीटें शामिल हैं। सूत्रों की माने तो विभाग हर साल के बाद सीटें बढ़ा देता है। वर्तमान सत्र में सीधे यूजी और पीजी में पच्चीस-पच्चीस प्रतिशत सीटें बढ़ा दी गई है। ऐसे में अधिक संख्या में विद्यार्थी होने पर प्राचार्य गुणवत्ता पर फोकस नहीं करा पाएंगे। वहीं प्राचार्य का कहना है कि यदि कॉलेज में स्टाफ, कमरे और फर्नीचर की व्यवस्था कर दी जाती उसके बाद सीटों में बढ़ोतरी करने पर कोई समस्या नहीं आती।
पहले अलॉटमेंट में ही घिर गए परेशानियों से
दरअसल कॉलेज प्राचार्यो की हालत ऐसी है कि वे विभाग द्वारा जारी होने वाले पहले अलॉटमेंट से ही परेशानियों से घिर गए हैं। बता दें कि सत्र 2021 – 22 में बारह लाख पैंसठ हजार सीटें हो गई हैं, जबकि गत वर्ष विभाग के पास साढ़े आठ लाख सीटें थीं। इस तरह सीटें बढ़ाने के लिए कॉलेजों में न तो अतिरिक्त कमरे हैं और न ही फर्नीचर इत्यादि की व्यवस्था। यही नहीं टीचिंग स्टाफ की कमी भी पहले से ही बनी हुई है।
बारहवीं पास करके पहुंचे लाखों विद्यार्थी
इस साल बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण कर करने वाले लाखों विद्यार्थी कॉलेज में दाखिला लेंगे। एमपी बोर्ड ओर सीबीएसई ने 12वीं का रिजल्ट जारी कर दिए हैं। जिसमें सीबीएसई में करीब सत्तर हजार विद्यार्थी पास हुए हैं। तो एमपी बोर्ड के करीब साढ़े सात लाख विद्यार्थी पास होकर कॉलेज में प्रवेश लेने की योग्यता रखते हैं। इसके अलावा संस्कृत बोर्ड के विद्यार्थी भी कॉलेजों में एडमिशन के लिए प्रयासरत है। वहीं उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव का कहना है कि विश्वविद्यालय कैंपस के संसाधनों का विद्यार्थियों के लिए किस तरह से अधिकतम उपयोग हो सके उसकी कार्य योजना बनाकर काम करें।

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