आदिवासियों के हित संरक्षण के लिए बनाया जाएगा कानून

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  • प्रदेश की शिव सरकार अब आदिवासी समाज पर विशेष फोकस करने की तैयारी कर रही है…

    भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश वह प्रदेश है जहां पर आदिवासी समाज की भूमिका सरकार बनाने व बिगाड़ने में अहम रहती है। यही वजह है कि अब प्रदेश की शिव सरकार अब आदिवासी समाज पर विशेष फोकस करने की तैयारी कर रही है। दरअसल सरकार की मंशा है कि यह समाज पूरी तरह से भाजपा के साथ खड़ा रहे। इसके लिए अब सरकार द्वारा उनके लिए कई तरह की योजनाओं को शुरू करने की योजना है। इन योजनाओं को किस तरह से तैयार कर लागू किया जाए इसके लिए कुछ दिन पहले ही सरकार द्वारा एक समिति का भी गठन किया जा चुका है। इस समिति की रिपोर्ट के आधार पर ही सरकार द्वारा कानूनी प्रावधानों को तैयार कर उनका क्रियान्वयन किया जाएगा। इसकी वजह है सरकार की वह आशंका जो इस तरह का कानून बनने पर छत्तीसगढ़ में बने हैं। वहां पर आदिवासी बाहर के लोगों को गांव तक में नहीं घुसने दे रहे हैं और कानून का सहारा लेकर मनमानी पर भी उतर आए हैं। सरकार संवैधानिक व्यवस्था के आधार पर  आदिवासियों को सुविधा देने की तैयारी कर रही है। इसके संकेत हाल ही में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा इस वर्ग के विधायकों, मोर्चा पदाधिकारियों के साथ हुई बैठक में दिए गए हैं। बैठक में मुख्यमंत्री ने पेसा कानून पर चर्चा करते हुए विधायकों से इसके लिए सुझाव भी मांगे हैं। उन्होंने कहा है कि आदिवासी हित में सरकार हर संभव कदम उठाने के साथ ही पांचवीं व छठवीं अनुसूची की अनुशंसाओं को भी लागू करने पर भी विचार कर चुकी है। यही वजह है कि सीएम सचिवालय में आदिवासी वर्ग के दो अफसरों को भी तैनात किया गया है जिससे कि इस वर्ग के लोग सीधे इन अफसरों से संपर्क कर अपनी और क्षेत्र की समस्या बता सकें। उन्होंने कहा कि साहूकारी एक्ट के माध्यम से इस वर्ग को राहत देने का कदम उठाया जा चुका है और आदिवासी वर्ग का जीवन स्तर संवारने के लिए अन्य कई योजनाओं को भी लागू किया गया है।  
    पेसा कानून में इन बातों पर जोर
    पेसा कानून में कहा गया है कि आदिवासी क्षेत्रों में पंचायतों पर राज्य विधानमंडल द्वारा बनाया गया कानून वहां के प्रथागत कानूनों, रीति-रिवाजों, धार्मिक प्रचलनों आदि के अनुरूप होगा। प्रत्येक गांव में एक ग्राम सभा होगी जिसमें ऐसे लोग होंगे जिनके नाम ग्राम स्तर पर पंचायत के लिए निर्वाचन सूची में दर्ज हों। प्रत्येक ग्राम सभा अपने और अपने लोगों की परम्पराओं एवं प्रथाओं, सामाजिक- सांस्कृतिक पहचान, सामुदायिक संसाधन तथा विवाद निवारण के परंपरागत तरीकों की सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए सक्षम होगी। सामाजिक एवं आर्थिक विकास के कार्यक्रमों एवं परियोजना को ग्राम पंचायत द्वारा क्रियान्वित करने से पहले ग्राम सभा से स्वीकृति लेनी होगी।

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