मप्र में अरबों लूटने वाली कंपनी को क्लीन चिट देने की तैयारी में अफसर

श्रीनिवास राजू मेंटेना

– सर्वशक्तिमान राजू मेंटेना के सामने नतमस्तक हैं अफसर

आधे-अधूरे प्रोजेक्ट छोड़कर कंस्ट्रक्शन कंपनी ने सरकार को लगाई करोड़ों की चपत

– ई-टेंडरिंग घोटाले की आरोपी कंपनी की घपलेबाजी से शिवराज को अनभिज्ञ रखा है अफसरों ने


भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के चर्चित ई-टेंडरिंग घोटाले का आरोपी श्रीनिवास राजू मेंटेना भले ही जेल की सलाखों के पीछे  गुजर आया है, लेकिन मप्र में उसकी साख पर तनिक भी दाग नहीं लगा है। इसकी वजह यह है कि यहां के अलाल और दलाल नुमा अफसरों ने उसे सर आंखों पर बैठा रखा है। अगर यह कहा जाए कि सर्वशक्तिमान राजू मेंटेना के सामने मप्र सरकार नतमस्तक है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। सूत्रों का कहना है कि मप्र में अवैध तरीके से टेंडर लेकर अरबों रुपए लूटने वाली मेंटेना कंस्ट्रक्शन कंपनी को अफसर क्लीन चिट देने की तैयारी कर रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि मप्र को लूटने वाली इस कंपनी की काली करतूतों से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अनभिज्ञ रखा गया है। दरअसल, कंपनी ने अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर कई महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को हथियाया है। कंपनी ने इन परियोजनाओं को आधा-अधूरा की स्थिति में छोड़ रखा है। इनमें से राजगढ़ जिले के ब्यावरा में पार्वती नदी पर बन रहा सुठालिया प्रोजेक्ट का ग्रेविटी डेम और गोपालपुरा के नहर का कार्य भी अधर में लटका हुआ है। इस मामले में कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने की तैयारी हो चुकी थी। लेकिन अब अफसर राजनीतिक और प्रशासनिक दबाव में कंपनी को क्लीन चिट देने की तैयारी कर चुके हैं।
मेंटेना की दादागिरी सब पर भारी
3,000 करोड़ रुपए का ई-टेंडरिंग घोटाला करने वाली कंपनी ने एक तो अवैध तरीके से टेंडर हासिल किया है और उस पर दादागिरी यह की समय पर एक भी परियोजना पूरी नहीं की गई है। इस पर सरकार की तरफ से अफसरों को जांच कर कंपनी को टर्मिनेट और ब्लैकलिस्ट करने के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन कंपनी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। आलम यह है कि मेंटेना कंस्ट्रक्शन कंपनी के जितने कार्य मप्र में चल रहे हैं सभी के सभी अधर में लटके हुए हैं। इससे सरकार को हर साल करोड़ों रुपए की राजस्व हानि हो रही है। सूत्रों की माने तो कंपनी ने प्रदेश में नियमों को ताक पर रखकर कई प्रोजेक्ट हथियाए हैं। कमलनाथ सरकार में कंपनी की खूब मनमानी चली है। अब मांग उठ रही है कि कमलनाथ के शासनकाल में कंपनी को जितने प्रोजेक्ट दिए गए हैं उनकी जांच कराई जाय और उन्हें निरस्त किया जाए। जानकारी के अनुसार कंपनी ने 1550 करोड़ की बीना, 120 करोड़ की जुडी और 100 करोड़ की गुढ़ परियोजना को अफसरों के साथ मिलीभगत से पाया है।
कंपनी को मिले टेंडर्स की जांच कराने की मांग
कंपनी पर टेंडर में फिक्सिंग के आरोप लगते रहे हैं। रीवा में भी नहर परियोजनाओं के कई कार्यों के लिए हुए टेंडर में फिक्सिंग के आरोप शुरू से लगते रहे हैं लेकिन जांच को दबाया जाता रहा है। रीवा में करीब दर्जनभर की संख्या में बड़े कार्य इस ग्रुप की कंपनी ने कराए हैं। कुछ प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं तो कुछ अब भी चल रहे हैं। वर्ष 2010 के बाद सरकार ने टेंडर प्रक्रिया के नियमों में बदलाव किया, तब से लगातार मेंटेना ग्रुप को ठेके मिलते रहे हैं। कुछ कार्य तो ऐसे भी रहे हैं जिनका टेंडर होने से पहले ही कंपनी ने काम शुरू कर दिया था और बाद में उसे ही टेंडर भी मिला। इन कार्यों को अपनी मर्जी के अनुसार कंपनी ने कराए और गुणवत्ता पर सवाल उठे तो जांच नहीं हुई। यहां तक की बीच-बीच में भोपाल से टीमें भेजी जाती थी जो ठेकेदार को ही क्लीनचिट देकर चली जाती थी। जब मेंटेना के प्रमोटर श्रीनिवास राजू की गिरफ्तारी हुई थी तब से रीवा, सतना एवं सीधी में मेंटेना और उसकी करीबी ठेका कंपनियों को मिले ठेके की जांच करने की मांग उठाई जा रही है। मेंटेना और उसकी सहयोगी फर्मों को रीवा जिले में कई प्रमुख कार्य ई-टेंडरिंग के जरिए दिए गए। जिस पर कंपनी की ओर से कई परियोजनाओं का अधूरा कार्य छोड़ दिया गया है। जिसकी वजह से नहरों का पानी खेतों तक नहीं पहुंच पा रहा है। कई ऐसे कार्य हैं जिनमें 80 से 90 प्रतिशत कार्य पूरा करने का दावा किया गया है और भुगतान भी हो चुका है लेकिन इस पर जो कार्य अधूरा छोड़ा गया है वह किसी बीच के हिस्से में है। जिसकी वजह से नहरों का पानी आगे की ओर नहीं जा रहा है।
मप्र में मेंटेना की मनमानी लूट
हैदराबाद की इस कंपनी ने मप्र को चारागाह बना लिया है। इसकी बानगी इससे मिलती है कि प्रदेशभर में कंपनी के जो भी प्रोजेक्ट चल रहे हैं वे आधे-अधूरे पड़े हैं। मेंटेना कंपनी को मर्जी के मुताबिक टेंडर मिले और उसी मनमानी के अनुसार वह काम कर रही है। 12 अप्रैल को बीना प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट की समीक्षा बैठक में यह तथ्य सामने आया कि कंपनी को गोपालपुरा केनाल परियोजना का वर्क आर्डर 21 अगस्त 2015 को किया गया था। आज तक यह कार्य पूरा नहीं हुआ है। वर्षा से पहले करना था लेकिन कंपनी ने नहीं किया। वहीं 15 अप्रैल को सुठालिया प्रोजेक्ट ब्यावरा राजगढ़ को समय पर पूरा नहीं करने के कारण कंपनी को टर्मिनेट और ब्लैकलिस्ट करने की चेतावनी दी गई थी, उसके बाद भी कंपनी ने काम पूरा नहीं किया है। अब अफसर कंपनी को क्लीन चिट देने की तैयारी कर रहे हैं।
अरबों की परियोजनाएं लटक जाएंगी
पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों का कहना है कि अगर कंपनी को क्लीन चिट दी जाती है तो अरबों रुपए की योजनाएं अधर में लटक जाएंगी। दरअसल, कंपनी के पास प्रदेशभर में कई परियोजनाएं हैं, जिनमें से अधिकतर निर्माणाधीन हैं। अगर कंपनी को ऐसे में क्लीन चिट दी जाती है तो कंपनी का मनोबल बढ़ेगा। गौरतलब है कि शासन-प्रशासन में अपने हितैषियों के संरक्षण में मेंटेना कंस्ट्रक्शन कंपनी ने मप्र को चारागाह बना रखा है। कंपनी सरकारी आदेश-निर्देश नहीं मानती है। कंपनी की निडरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ब्लैक लिस्ट के नोटिस के बाद भी उसने सुठालिया प्रोजेक्ट को पूरा नहीं किया और गोपालपुरा के नहर का कार्य भी अधर में लटका हुआ है।

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