
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। पार्टी पदाधिकारियों को प्रदेश में पार्टी की सत्ता होने का अहसास कराने और जिलों में उनका प्रभाव बढ़ाने के लिए अब प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने तबादलों को लेकर अपने मंडल स्तर तक के पदाधिकारियों की सिफरिश को महत्व देने के लिए प्रभारी मंत्रियों पर नकेल कस दी है। इस मामले में प्रभारी मंत्रियों को साफ कह दिया गया है कि वे तबादलों में सांसद और विधायक के सिफरिश वाले उन आवेदनों को पहली प्राथमिकता दें जिनमें भाजपा के जिला या मंडल पदाधिकारियों की भी सिफारिश हो।
इसके अलावा अलग से भी अगर स्थानीय संगठन द्वारा किसी कर्मचारी य अधिकारी के तबादले की सिफारिश की जाती है तो उसे भी पूरा महत्व दिया जाए। दरअसल प्रदेश में एक जुलाई से तबादलों पर से प्रतिबंध हटा दिया गया है। जिले के अंदर ही तबादलों के अधिकार जिले के प्रभारी मंत्रियों को दिए गए हैं। प्रभारी मंत्री के अनुमोदन के बाद ही जिलों में पदस्थापना आदेश जारी होंगे। तबादलों से प्रतिबंध हटने के साथ ही एक जुलाई को ही मंत्रियों को प्रभार के जिले आवंटित किए गए हैं। इसके बाद से अब तक मंत्री प्रभार के जिलों में एकाध बार ही दौरा कर सके हैं। यही वजह है कि अब तक प्रभारी मंत्रियों का सभी कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों से प्रभार के जिलों में सही से संवाद भी नहीं हो सका है। इस बीच कुछ जिलों के अध्यक्षों और मंडल अध्यक्षों से प्रदेश संगठन को बड़ी संख्या में शिकायतें मिली हैं कि जिलों में होने वाले तबादलों को लेकर मंत्री स्टाफ सीधे ही आवेदन बुला कर उन पर अपने अनुसार फैसले ले रहे हैं। खास बात यह है कि इन शिकायतों में मंत्रियों के स्टाफ पर लेनदेन के भी आरोप लगाए गए हैं। इसके बाद ही संगठन ने तय किया है कि जिला स्तर पर होने वाले तबादलों में जिले और मंडल स्तर के नेताओं की सिफारिश वाले आवेदनों को पूरा महत्व देना होगा। अगर उनकी सिफारिश पर तबादले नहीं किए जाते हैं तो उन्हें बुलाकर मंत्रियों को समाधान कारक वजह भी बतानी होगी।
जिलों के नेताओं की शिकायत है कि प्रभारी मंत्री कुछ ही घंटों के लिए जिलों में खानापूर्ति करने के लिए आए और बगैर कार्यकर्ताओं व नेताओं से मेल मुलाकात किए ही चले गए। उनकी शिकायत है कि जिलों के अंदर होने वाले तबादलों में उन्हें महत्व मिलना चाहिए, पर अधिकांश मंत्रियों के भोपाल स्थित बंगलों पर उनके स्टाफ द्वारा सूचियां तैयार करने का काम किया जा रहा है। इसमें भी उन लोगों की सिफारिशों को महत्व दिया जा रहा है जिनका पार्टी से कोई लेना देना तक नहीं है।
नेताओं में मंत्री स्टाफ को लेकर नाराजगी
प्रदेश के अधिकांश जिला व उससे छोटे स्तर के नेता व कार्यकतार्ओं में मंत्रियों के स्टाफ की कार्यप्रणाली को लेकर नाराजगी बनी हुई है। यही वजह है कि ऐसे मंत्रियों के स्टाफ की शिकायतें भी संगठन से की गई हैं। इनमें कहा गया है कि कुछ मंत्रियों के यहां सरकारी के अलावा निजी स्टाफ भी तैनात है। इनके द्वारा तबादलों को लेकर मनमर्जी से पैसों की मांग की जा रही है। हालत यह है कि कार्यकर्ताओं ने एक मंत्री को लेकर खुलकर यह तक आरोप लगाए है कि तबादलों में उनकी पत्नी ही रेट तय कर रही हैं। यही नहीं आरोपों में उनके बेटे पर भी डील करने की बता कही जा रही है। इसके अलावा दो मंत्रियों के यहां निजी स्टाफ को छोड़कर तबादलों की सूची बनाने का काम मंत्रियों के अपने निजी लोग कर रहे हैं।