ऑफ द रिकॉर्ड/तीसरी लहर-तीसरी चेतावनी, अगले 100 दिन अत्यधिक अहम

  • नगीन बारकिया
तीसरी लहर

तीसरी लहर-तीसरी चेतावनी, अगले 100 दिन अत्यधिक अहम
कोरोना वायरस को लेकर विगत तीन दिनों में तीन चेतावनियां जारी हो चुकी हैं जिसमें बताया गया कि जनता तीसरी लहर को हल्के में न ले तथा यह तो अभी ट्रेलर है, पूरी फिल्म बाकी है। तीसरी चेतावनी में कहा गया है कि तीसरी लहर के लिए आगामी सौ-सवा सौ दिन काफी अहम हें। डब्ल्यूएचओ के अनुसार  उत्तर और दक्षिण अमेरिकी क्षेत्रों को छोड़कर, अन्य सभी डब्ल्यूएचओ क्षेत्र अच्छे से बुरे और बुरे से बदतर की ओर बढ़ रहे हैं। दुनिया तीसरी लहर की ओर बढ़ रही है और यह एक सच्चाई है। नीति आयोग के डॉ. पॉल ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हमें इसे गंभीरता से यानी खतरे के तौर पर लेने के लिए कहा है। पीएम ने हमें तीसरी लहर को रोकने का लक्ष्य दिया है और यह संभव है। जहां तक आंकड़ों का सवाल है स्पेन में कोरोना के साप्ताहिक मामलों में 64 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। इसके अलावा नीदरलैंड में 300 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। थाईलैंड में लंबे समय से स्थिति स्थिर थी लेकिन अब यहां भी तेजी से नए मामले सामने आ रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि अफ्रीका ने भी कोविड -19 मामलों में 50 प्रतिशत की वृद्धि देखी है। इसके अलावा म्यांमार, मलेशिया, इंडोनेशिया, बांग्लादेश में भी अब अभूतपूर्व उछाल देखने को मिल रहा है।

कैप्टन वि. सिद्धू मामले में हाईकमान इतना विवश क्यों…?
पंजाब कांग्रेस का विवाद खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। जब भी ऐसा लगता है कि अब विवाद खत्म हो जाएगा उसी पल कोई न कोई नया विवाद मैदान संभाल लेता है। हालत यह है कि हाईकमान की उच्चस्तरीय कोशिशें भी मामले को सही आकार नहीं दे पा रही है। आज कांग्रेस हाईकमान जितना बेबस नजर आ रहा है उससे कमजोर कभी भी नहीं रहा। करीब दो माह की मशक्कत के बाद पार्टी ने सुलह का फॉर्मूला तय किया था, पर कैप्टन अमरिंदर सिंह के सख्त विरोध को देखते हुए फैसले पर रोक लगा दी है। नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की है। इस मुलाकात में राहुल गांधी और प्रदेश प्रभारी हरीश रावत मौजूद थे। इस मुलाकात के बाद हरीश रावत ने कैप्टन की तारीफ करने में कोई कोर कसर नहीं छोडी। नाराजगी के बारे में सवाल किए जाने पर उन्होंने कहा कि कोई कम्युनिकेशन गैप है, तो वह देखेंगे। नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने की खबरों से कैप्टन नाराज हैं। सिद्धू को अध्यक्ष बनाने का अभी ऐलान नहीं हुआ है, पर कैप्टन ने दस जनपथ को एक नोट भेजकर अपनी नाराजगी दर्ज कराई है। इस बीच, कैप्टन को समझाने की कोशिश जारी है। लेकिन लोगों का मानना है कि कैप्टन की कीमत पर सिद्धू को तरजीह दिया जाना उचित नहीं है। उनका मानना है यदि अमरिंदर को अनदेखा किया जाता है तो कांग्रेस को इसकी भारी कीमत चुकाना पड़ सकती है। इस बीच, लोकसभा सांसद मनीष तिवारी ने एक ट्वीट कर मामले को और उलझा दिया। मनीष ने वही दलील दी है, जो सिद्धू को अध्यक्ष बनाए जाने के खिलाफ कैप्टन देते रहे हैं। उन्होंने प्रदेश की आबादी का धार्मिक और जातिगत आंकड़ा पेश करते हुए किसी हिंदू नेता को ही नया प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की वकालत की है।

सिंधिया के बारे में क्या बोले राहुल….।
ऐसा लगता है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया का कांग्रेस छोड़कर भाजपा में प्रवेश करना अभी भी कांग्रेस नेताओं के गले नहीं उतर रहा है इसीलिए वे गाहे-बगाहे सिंधिया को निशाना साधकर अपनी खीझ  उतारते रहते है। ऐसा ही एक बयान हाल ही में पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने देते हुए कहा कि वह अपना घर बचाने के लिए और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से डरकर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए। राहुल गांधी ने यह भी कहा कि जो लोग हकीकत और भाजपा का सामना नहीं कर सकते वो पार्टी छोड़ सकते हैं। राहुल ने एक डिजिटल कार्यक्रम में ज्योतिरादित्य सिंधिया का उदाहरण दिया और कहा कि जो लोग डरे हुए थे वो कांग्रेस से बाहर चले गए। राहुल गांधी ने कहा, ”बहुत सारे लोग जो डरे हुए नहीं है, लेकिन कांग्रेस से बाहर हैं। ऐसे सभी लोग हमारे हैं। उन्हें अंदर लाइए और जो हमारी पार्टी में हैं और डरे हुए हैं उन्हें बाहर करना चाहिए। राहुल का कहना था कि ये आरएसएस के लोग हैं और उन्हें बाहर जाना चाहिए, उन्हें आनंद लेने दीजिए। उन्हें अपना घर बचाना था, वह डर गए और आरएसएस के साथ चले गए।

संसद सत्र सोमवार से, आ सकते हैं कई महत्वपूर्ण विधेयक
संसद के सोमवार से शुरू हो रहे आगामी मानसून सत्र में कई महत्वपूर्ण विधेयक सरकार द्वारा पेश किए जाने की उम्मीद है। सरकार ने मानसून सत्र शुरू होने के एक दिन पहले सर्वदलीय बैठक बुलाई है, वहीं, राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने मानसून सत्र के पहले कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेताओं के साथ परामर्श किया। सरकार द्वारा मानसून सत्र में डीएनए प्रौद्योगिकी विधेयक, माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के रखरखाव और कल्याण विधेयक सहित अन्य 15 विधेयकों पर विचार करने की उम्मीद है। सत्र शुरू होने के ठीक पहले सोमवार को सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है। सत्र काफी हंगामेदार होने की संभावना जताई जा रही है। विपक्षी दल बढ़ रही महंगाई, पेट्रोल-डीजल के बढ़ते मूल्य, कोरोना से संबंधित मुद्दे, बेरोजगारी, किसान आंदोलन जैसे मुद्दों को उठाते हुए सरकार को घेर सकती है।

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