- नगीन बारकिया

अगले माह से वैक्सीन की कोई कमी नहीं रहेगी, प्रतिदिन लग सकेंगे 80-90 लाख टीके
ऐसी उम्मीद है कि देश में अगले महीने से कोरोना टीकाकरण के लिए वैक्सीन की कोई कमी नहीं रहेगी जिसके कारण टीके लगाने की रफ्तार भी तेज होने की संभावना है। बताया जाता है कि अगले महीने से देश में निर्मित स्पूतनिक वी के अलावा बायोलॉजिकल ई और जायडस कैडिला के टीके भी मिलने लग जाएंगे। यही कारण है कि प्रतिदिन 80-90 लाख टीके लगने शुरू हो जाएंगे। मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि जुलाई में टीके की 12 करोड़ खुराकें उपलब्ध होंगी। ये खुराक कोविशील्ड एवं कोवैक्सीन की हैं। अगस्त सितंबर से इनके उत्पादन में भी थोड़ी बढ़ोत्तरी होगी। जायडल कैडिला का टीका तैयार है तथा मंजूरी की प्रक्रिया में है। इसके साथ ही बायोलॉजिकल ई के टीके के परीक्षण भी करीब-करीब पूरे हो चुके हैं तथा अगस्त से इसकी भी आपूर्ति शुरू होने की संभावना है। कैडिला का शुरूआती उत्पादन प्रतिमाह 1-2 करोड़ तथा बायोलॉजिकल ई का 4-5 करोड़ रहने की संभावना है। राहत की बात है कि इस बीच स्पूतनिक टीके का हिमाचल में उत्पादन शुरू हो गया है। इसकी खुराकें रूस से आयात होकर भी आ रही हैं। उधर फाइजर, मॉडर्ना एवं सिप्ला के बीच टीके की खरीद को लेकर भी बातचीत अंतिम चरण में है।
महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन में पनप रहा है असंतोष
जैसी कि आशंका थी महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के रिश्तों में खटास दिखाई देने लगी है। जबसे कांग्रेस के नाना पटोले ने स्पीकर का पद छोड़ प्रदेश कांग्रेस का भार संभाला है तबसे शिवसेना और एनसीपी की उनसे नाराजगी की खबरें सामने आ रही हैं जिससे इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके सहयोगियों के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। बताया यह जा रहा है कि नाना पटोले द्वारा कांग्रेस के राज्य प्रमुख के तौर पर अपनी जिम्मेदारी संभालने के लिए विधानसभा स्पीकर के पद से इस्तीफा दिए जाने के बाद से ही कांग्रेस पार्टी के लिए परेशानी शुरू हो गई। शिवसेना और एनसीपी को नाना पटोले का यह कदम निराश करने वाला था। एक बात यह भी कि राज्य कांग्रेस प्रमुख के इस सियासी कदम से दोनों ही दल अनजान थे। बताया जा रहा है कि यहीं से महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार में कांग्रेस और अन्य सहयोगियों के बीच विवाद शुरू हो गया।
बंगाल भाजपा में सब ठीक नहीं, हटाए जा सकते हैं प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष
बंगाल विधानसभा चुनाव में अपेक्षानुसार परिणाम नहीं आ पाने की खीझ भाजपा पदाधिकारियों के चेहरों पर आसानी से पढ़ी जा सकती है। यह खीझ और नाराजगी स्वाभाविक भी है क्योंकि उनसे अपेक्षाएं ज्यादा कर ली गई थी जिस पर वे खरे नहीं उतर सके। पता चला है कि इसी बात पर मंथन कर भाजपा नेतृत्व राज्य में संगठन को गति देने के लिए कई बदलाव कर रहा है। इसके पहले शिकार के रूप में राज्य भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष को भी बदले जाने की संभावना है। हाल में राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले दो मंत्रियों को हटाकर चार नए नेताओं को केंद्र सरकार में मंत्री बनाया गया है। भाजपा के साथ संघ ने भी पश्चिम बंगाल में काफी बदलाव किए हैं। वहां के क्षेत्र प्रचारक को बदला गया है। कुछ प्रांत प्रचारक भी बदले गए हैं। इसके अलावा संगठन प्रभारी के रूप में भी राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का दायित्व बदला जा सकता और उन्हें दूसरा महत्वपूर्ण काम सौंपा जा सकता है।
बिहार में अलग-थलग पड़ने से बचने के प्रयास में चिराग
पशुपति कुमार पारस के विद्रोह और उनके केंद्रीय मंत्री बनने के बाद चिराग पासवान अब इस प्रयास में लगे हुए हैं कि वे किसी भी तरह बिहार की राजनीति में अलग-थलग पड़े हुए न दिखाई दें। इसके लिए वे लालू और तेजस्वी से मिलने में भी कोई परहेज नहीं कर रहे हैं। बताया जाता है कि चिराग ने नई दिल्ली में दोनों से फोन पर बातचीत की। इस बातचीत ने बिहार की राजनीति में नए समीकरणों और अटकलों को जन्म दे दिया है। लोग किसी बड़े उलटफेर की आशंका जता रहे हैं। तेजस्वी इससे पहले सार्वजनिक रूप से चिराग को अपने साथ आने का न्योता दे चुके हैं। एलजेपी नेता अशरफ अंसारी ने इस बात की पुष्टि की कि चिराग ने लालू और तेजस्वी से बातचीत की है। पार्टी पर कब्जे को लेकर चल रही लड़ाई के बीच चिराग को पिछले हफ्ते हाईकोर्ट से झटका भी लगा है। जिस पार्टी को चिराग के पिता रामविलास पासवान ने बनाया था, उसका नेता चाचा पारस को घोषित करने के लोकसभा अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ दायर याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी।